रांची: झारखंड में एक तरफ 60-40 वाली नियोजन नीति को लेकर झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन आए दिन सड़क पर विरोध जता रहा है तो दूसरी तरफ हेमंत सरकार लंबे समय से लटकी नियमित और बैकलॉग नियुक्ति प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने में जुट गई है. इस बार पंचायत सचिवों और निम्नवर्गीय लिपिक की बारी है. राज्य सरकार जोर शोर से 2,209 पंचायत सचिवों और लिपिकों को नियुक्ति पत्र देने की तैयारी कर रही है. अबतक की जानकारी के मुताबिक 22 जून को रांची के मोरहाबादी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नियुक्ति पत्र बांटेंगे.
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मुख्यमंत्री सचिवालय ने वित्त विभाग, पंचायती राज, राजस्व, भूमि सुधार तथा राजभाषा विभाग, खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग और वाणिज्य कर विभाग के सचिवों को पत्र जारी कर अभ्यर्थियों की संख्या और तैयारियों के संबंध में 16 जून तक विस्तृत प्रतिवेदन मुख्यमंत्री सचिवालय को मुहैया कराने को कहा है. नियुक्ति पत्र वितरण के संचालन के लिए पंचायती राज विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है.
कब से पेंडिंग है मामला: इंटरमीडिएट स्तर पर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के लिए नियमित नियुक्ति को लेकर 01/2017 और बैकलॉग नियुक्ति के लिए विज्ञापन संख्या 02/2017 निकाली गई थी. राज्य स्तरीय मेधा सूची के आधार पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने पंचायत सचिव/निम्नवर्गीय लिपिक के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन कई वजहों से मामला पेंडिंग होता चला गया. बाद में जनवरी 2023 को जेएसएससी ने 3,088 पदों के लिए हुई परीक्षा के आधार पर 1,542 पंचायत सचिव और 647 निम्नवर्गीय लिपिक पद के लिए अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया. इस दौरान 879 पद रिक्त रह गये थे. इसके बावजूद चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र के लिए संघर्ष करना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुला भाग्य का दरवाजा: यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. छह माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की कोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था. इसके लिए जनवरी-फरवरी 2018 में लिखित परीक्षा हुई थी. इसको तत्कालीन रघुवर सरकार की 2016 की नियोजन नीति के आधार पर लिया गया था. 13 अनुसूचित जिलों के सभी पद स्थानीयों के लिए आरक्षित थे. शेष 11 जिलों में कोई भी आवेदन कर सकता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य स्तरीय मेरिट के आधार पर मेधा सूची जारी करना होगा.
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पंचायत सेवकों ने झेली हैं लाठियां: पांच साल के इंतजार के बाद जनवरी 2023 में जब पंचायत सेवकों और निम्नवर्गीय लिपिक का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ तो उन्हें भरोसा हुआ कि अब सरकारी नौकरी लेने से कोई नहीं रोक पाएगा. हालांकि इसके लिए पंचायत सेवकों को लंबा संघर्ष करना पड़ा. तीन साल पहले रिजल्ट जारी नहीं होने से नाराज पंचायत सेवक सीएम आवास घेरने पहुंचे थे. इस दौरान पुलिस ने उनपर जमकर लाठियां भी बरसाई थी. इस घटना पर भाजपा ने हेमंत सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. यहां स्पष्ट कर दें कि पंचायत सेवकों को ही बाद में पंचायत सचिव का नाम दिया गया. साल 2017 में पंचायत सचिव पद के लिए ही विज्ञापन निकाला गया था. सबसे खास बात है कि पंचायत सचिवों का पद रिक्त होने की वजह से पंचायत सचिवालय के कामकाज प्रभावित हो रहे थे. ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा था. इसकी वजह से पंचायत स्तर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे क्योंकि विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधि के अलावा पंचायत सचिव का होना जरूरी होता है.
आपको बता दें कि 2016 की नियोजन नीति की वजह से उपजे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मई माह में सीएम हेमंत सोरेन ने माध्यमिक स्तर के करीब 3,469 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा था. इससे पहले जुलाई 2022 में प्राइवेट कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीयों को नौकरी देने से संबंधित कानून के आधार पर 11,406 युवक और युवतियों को नियुक्ति पत्र दिया गया था. इनका चयन 21 सेक्टर के लिए हुआ था.