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उत्कृष्ट विद्यालय का क्रेज, 37 हजार से ज्यादा विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा में शामिल

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Published : May 30, 2023, 9:57 PM IST

झारखंड में उत्कृष्ट विद्यालयों में नामांकन के लिए 37 हजार से अधिक छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए. इन स्कूलों में 11,986 छात्रों का एडमिशन होना है.

Enrollment in Schools of Excellence
प्रवेश परीक्षा में शामिल छात्र
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रांची: हर मां बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे निजी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा ग्रहण करें. लेकिन आर्थिक तंगी उनके इस कोशिश और सपने के आड़े आ जाती है. ऐसे अभिभावकों और होनहार बच्चों के सपने को उड़ान देने के लिए झारखंड सरकार ने 80 उत्कृष्ट सरकारी विद्यालयों का चयन कर सीबीएसई से संबद्धता के साथ अंग्रेजी में शिक्षा देने की तैयारी को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. इसका जबरदस्त रिस्पांस भी देखने को मिल रहा है. इन स्कूलों में 11,986 उपलब्ध सीट के लिए चयन परीक्षा में कुल 37,309 विद्यार्थी शामिल हुए. सबसे अधिक देवघर में 3915, पलामू में 3344, लोहरदगा में 2517, चतरा में 2352, सरायकेला - खरसावां में 1818, गिरिडीह में 1693, पूर्वी सिंहभूम में 1638, रामगढ़ में 1607 और रांची में 1554 विद्यार्थी शामिल हुए.

ये भी पढ़ें- Jharkhand News: उत्कृष्ट विद्यालयों में एडमिशन फॉर्म जमा करने की तारीख बढ़ी, 12 जून तक होगा नामांकन

उत्कृष्ट विद्यालयों में नामांकन के लिए परीक्षा दिलाने आए अभिभावकों ने अपनी भावना का भी खुलकर इजहार किया. जमशेदपुर निवासी रूबी दास ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी अंजना दास भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर सकेगी. रूबी दास अपनी होनहार बेटी को आर्थिक समस्या की वजह से सीबीएसई संबद्धता प्राप्त स्कूल में पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं थी. लेकिन मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू की गई उत्कृष्ट विद्यालयों ने बेटी को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्राप्त करने का रास्ता साफ कर दिया. यह कहते हुए रूबी दास का गला रूंध गया. मंगलवार को इन स्कूलों में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा सेंटर के बाहर अभिभावकों की आंखों में एक उम्मीद की किरण नजर आई.

बढ़ाई गई थी आवेदन की तारीख: अभिभावकों की मांग को देखते हुए उत्कृष्ट विद्यालयों में आवेदन जमा करने की समय सीमा 25 मई 2023 तक बढ़ाई गई थी. उसी के तहत मंगलवार को चयन परीक्षा का आयोजन हुआ. अब प्रथम मेधा सूची 7 जून को जारी होगा और 12 जून से मेधा सूची के तहत नामांकन प्रारंभ होगा. इस बीच उत्कृष्ट विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी पूरी की जा चुकी है. लेकिन निजी स्कूलों को टक्कर देने लायक अनुभवी शिक्षकों के चयन में अभी भी कमी नजर आ रही है. अब देखना है कि सरकार अपने इस टारगेट को कैसे पूरा कर पाती है.

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रांची: हर मां बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे निजी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा ग्रहण करें. लेकिन आर्थिक तंगी उनके इस कोशिश और सपने के आड़े आ जाती है. ऐसे अभिभावकों और होनहार बच्चों के सपने को उड़ान देने के लिए झारखंड सरकार ने 80 उत्कृष्ट सरकारी विद्यालयों का चयन कर सीबीएसई से संबद्धता के साथ अंग्रेजी में शिक्षा देने की तैयारी को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. इसका जबरदस्त रिस्पांस भी देखने को मिल रहा है. इन स्कूलों में 11,986 उपलब्ध सीट के लिए चयन परीक्षा में कुल 37,309 विद्यार्थी शामिल हुए. सबसे अधिक देवघर में 3915, पलामू में 3344, लोहरदगा में 2517, चतरा में 2352, सरायकेला - खरसावां में 1818, गिरिडीह में 1693, पूर्वी सिंहभूम में 1638, रामगढ़ में 1607 और रांची में 1554 विद्यार्थी शामिल हुए.

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उत्कृष्ट विद्यालयों में नामांकन के लिए परीक्षा दिलाने आए अभिभावकों ने अपनी भावना का भी खुलकर इजहार किया. जमशेदपुर निवासी रूबी दास ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी अंजना दास भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर सकेगी. रूबी दास अपनी होनहार बेटी को आर्थिक समस्या की वजह से सीबीएसई संबद्धता प्राप्त स्कूल में पढ़ाई कराने में सक्षम नहीं थी. लेकिन मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू की गई उत्कृष्ट विद्यालयों ने बेटी को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्राप्त करने का रास्ता साफ कर दिया. यह कहते हुए रूबी दास का गला रूंध गया. मंगलवार को इन स्कूलों में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा सेंटर के बाहर अभिभावकों की आंखों में एक उम्मीद की किरण नजर आई.

बढ़ाई गई थी आवेदन की तारीख: अभिभावकों की मांग को देखते हुए उत्कृष्ट विद्यालयों में आवेदन जमा करने की समय सीमा 25 मई 2023 तक बढ़ाई गई थी. उसी के तहत मंगलवार को चयन परीक्षा का आयोजन हुआ. अब प्रथम मेधा सूची 7 जून को जारी होगा और 12 जून से मेधा सूची के तहत नामांकन प्रारंभ होगा. इस बीच उत्कृष्ट विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी पूरी की जा चुकी है. लेकिन निजी स्कूलों को टक्कर देने लायक अनुभवी शिक्षकों के चयन में अभी भी कमी नजर आ रही है. अब देखना है कि सरकार अपने इस टारगेट को कैसे पूरा कर पाती है.

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