रांचीः झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ का एक प्रतिनिधिमंडल महेश सोरेन, प्रदेश उपाध्यक्ष की अगुवाई में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने हड़ताल के दौरान हुए समझौते को समय पर लागू करने की मांग की. इसके साथ ही मनरेगा कर्मचारियों को लेकर कई मांगों से भी ग्रामीण विकास मंत्री को अवगत कराया गया.
इस दौरान अपनी बातों को रखते हुए महेश सोरेन ने कहा कि सुशील कुमार पांडेय केंद्रीय संयुक्त सचिव झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ झारखंड प्रदेश सभी छोटे बड़े 40 अनुबंधकर्मियों के आंदोलन की अगुवाई के लिए सर्वमान्य नेता हैं और सरकार तथा अनुबंधकर्मियों के बीच उचित सुलह के लिए अधिकृत हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा बिना जाने समझे उन्हें परेशान करना उचित नहीं है.
इसी तरह हड़ताल समाप्ति के तुरन्त बाद राजेश दास प्रदेश सचिव को हड़ताल का बहाना बनाकर नियम विरुद्ध अपने गृह प्रखंड से 80 km दूरी पर स्थानांतरण कर दिया.
उन्हें पुनः मूल स्थान वापस करने की बात रखी गई. अनुरुद्ध पाण्डेय, मुकेश राम सहित गिरिडीह ,चतरा राम गढ़ पाकुड़ हजारीबाग सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में छोटी मोटी गलती के लिए सेवा समाप्ति जैसे बड़ी कार्रवाई पर दोबारा जांच कराकर निर्दोषों को सेवा में वापस करने की मांग भी रखी गई है.
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अल्प मानदेय भोगी मनरेगा कर्मियों की आर्थिक हालत अत्यंन्त ही दयनीय है. हम लोगों ने कोरोना ड्यूटी भी की है इसलिए हमें कोरोना वारियर्स घोषित कर 2 माह का अतिरिक्त मानदेय पूजा के पहले उपलब्ध कराई जाए.
राज्य के कुछ प्रखंडों में मानदेय होल्ड पर रखा गया है जिसे पूजा के पहले जारी किया जाए. मनरेगा में अनावश्यक दबाब ओर jslps का अनावश्यक हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग की.
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अनुबंधकर्मियों की संविदा संवाद में मान ही लिया है. यह सरकार आपकी है और आपके हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता में है.
कोरोना काल के कारण राजस्व और कोष की हालत नाजुक है. हम सब मिलकर अनुबन्ध कर्मियों का हित साधने के लिए तत्पर हैं. इस मुलाकात के दौरान मनरेगा कर्मचारियों में डॉ राजेश दास प्रदेश संयुक्त सचिव, जितेंद कुमार प्रदेश कोषाध्यक्ष ,शोयब, उदय कुमार बंसन्त सिंह, वीरेन्द्र भोक्ता, पंकज सिंह मौजूद रहे.