रांची: सदन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की मौजूदगी में राज्य की जनता के लिए नीतियां बनाई जाती है. स्वभाविक रूप से सदन की कार्यवाही के दौरान इसपर लाखों रुपये प्रतिदिन खर्च होते हैं लेकिन, जिस तरह से सदन की कार्यवाही चलती है उसे ना केवल समय की बर्बादी मानी जा रही है बल्कि भारी भरकम सरकारी पैसे का दुरुपयोग भी माना जाने लगा है. ऐसा ही हाल झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Jharkhand Assembly winter session) के दौरान भी देखने को मिला है, जहां पिछले दो दिनों में सदन की कार्यवाही ठीक से दो घंटे भी नहीं चल पाई. हालांकि, तीसरे दिन सदन हंगामेदार होने के बाबजूद स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो चलाने में सफल होते दिखे.
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23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के पहले दिन शोक प्रकाश रखा गया, जिस दौरान बीजेपी विधायकों ने साहिबगंज पहाड़िया महिला हत्याकांड का मामला उठाकर सदन को बेहद ही हंगामेदार कर दिया. पहले दिन सदन मुश्किल से आधा घंटा चल पाया. दूसरे दिन भी सदन का माहौल नियोजन नीति रद्द होने के मुद्दे पर गरमाया रहा और भोजनावकाश से पूर्व किसी तरह एक घंटा भी नहीं चल पाया. इसी दौरान सरकार द्वितीय अनुपूरक बजट पेश करने में सफल भी हुई. तीसरे दिन भी हंगामेदार होने के बाबजूद स्पीकर दिनभर सदन चलाने में सफल रहे.
सदन की गरिमा हो रही है तार-तार: झामुमो विधायक सरफराज अहमद बहुत ही दुखी मन से कहते हैं कि इस तरह सदन चलाने के लिए हम सभी दोषी हैं. लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष की अपनी-अपनी शक्तियां हैं लेकिन, इस तरह से आचरण करने से ना केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि सदन की मर्यादा को भी ठेस पहुंचता है. हम लोग सिर्फ यही समझते हैं कि लोग इसे नहीं देख रहे हैं लेकिन, इससे बाहर के लोग सब कुछ समझ रहे हैं इसलिए राजनीति करने के बजाए सदन की मर्यादा को बनाकर राज्य के विकास के लिए सभी को सोचना चाहिए.
बीजेपी ने राज्य सरकार को ठहराया दोषी: इधर बीजेपी विधायक रणधीर सिंह सदन की कार्यवाही इस तरह चलने के लिए राज्य सरकार को दोषी मान रहे हैं. राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए रणधीर सिंह कहते हैं की जब विपक्ष सरकार को किसी भी नीति पर अपनी सलाह देता है तो उसे नहीं माना जाता है और किसी भी नीति को सरकार मनमाने ढंग से लागू करती है लेकिन, कोर्ट से जब सरकार को फजीहत झेलनी पड़ती है तो इसके लिए विपक्ष को दोषी ठहराया जाता है. बहरहाल, 5 दिनों के इस शीतकालीन सत्र के आधे से अधिक समय समाप्त हो चुके हैं और 2 दिन शेष हैं. ऐसे में राज्य की जनता को उम्मीद है की सदन में राजनीति करने के बजाय जनहित के मुद्दे जरूर उठेंगे.
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र: दो दिन में दो घंटे भी नहीं चला सदन, तीसरे दिन भी हंगामा - Jharkhand News
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Jharkhand Assembly winter session) के दौरान लगातार हंगामा देखने को मिल रहा है. सत्र के पहले दो दिन सदन की कार्यवाही ठीक से 2 दिन भी नहीं चल पाई. हालांकि, तीसरे दिन हंगामे के बीच भी स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो पूरे दिन सदन की कार्यवाही चलाने में सफल हुए. हंगामेदार सदन पर विधायकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
रांची: सदन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की मौजूदगी में राज्य की जनता के लिए नीतियां बनाई जाती है. स्वभाविक रूप से सदन की कार्यवाही के दौरान इसपर लाखों रुपये प्रतिदिन खर्च होते हैं लेकिन, जिस तरह से सदन की कार्यवाही चलती है उसे ना केवल समय की बर्बादी मानी जा रही है बल्कि भारी भरकम सरकारी पैसे का दुरुपयोग भी माना जाने लगा है. ऐसा ही हाल झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Jharkhand Assembly winter session) के दौरान भी देखने को मिला है, जहां पिछले दो दिनों में सदन की कार्यवाही ठीक से दो घंटे भी नहीं चल पाई. हालांकि, तीसरे दिन सदन हंगामेदार होने के बाबजूद स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो चलाने में सफल होते दिखे.
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23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के पहले दिन शोक प्रकाश रखा गया, जिस दौरान बीजेपी विधायकों ने साहिबगंज पहाड़िया महिला हत्याकांड का मामला उठाकर सदन को बेहद ही हंगामेदार कर दिया. पहले दिन सदन मुश्किल से आधा घंटा चल पाया. दूसरे दिन भी सदन का माहौल नियोजन नीति रद्द होने के मुद्दे पर गरमाया रहा और भोजनावकाश से पूर्व किसी तरह एक घंटा भी नहीं चल पाया. इसी दौरान सरकार द्वितीय अनुपूरक बजट पेश करने में सफल भी हुई. तीसरे दिन भी हंगामेदार होने के बाबजूद स्पीकर दिनभर सदन चलाने में सफल रहे.
सदन की गरिमा हो रही है तार-तार: झामुमो विधायक सरफराज अहमद बहुत ही दुखी मन से कहते हैं कि इस तरह सदन चलाने के लिए हम सभी दोषी हैं. लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष की अपनी-अपनी शक्तियां हैं लेकिन, इस तरह से आचरण करने से ना केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि सदन की मर्यादा को भी ठेस पहुंचता है. हम लोग सिर्फ यही समझते हैं कि लोग इसे नहीं देख रहे हैं लेकिन, इससे बाहर के लोग सब कुछ समझ रहे हैं इसलिए राजनीति करने के बजाए सदन की मर्यादा को बनाकर राज्य के विकास के लिए सभी को सोचना चाहिए.
बीजेपी ने राज्य सरकार को ठहराया दोषी: इधर बीजेपी विधायक रणधीर सिंह सदन की कार्यवाही इस तरह चलने के लिए राज्य सरकार को दोषी मान रहे हैं. राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए रणधीर सिंह कहते हैं की जब विपक्ष सरकार को किसी भी नीति पर अपनी सलाह देता है तो उसे नहीं माना जाता है और किसी भी नीति को सरकार मनमाने ढंग से लागू करती है लेकिन, कोर्ट से जब सरकार को फजीहत झेलनी पड़ती है तो इसके लिए विपक्ष को दोषी ठहराया जाता है. बहरहाल, 5 दिनों के इस शीतकालीन सत्र के आधे से अधिक समय समाप्त हो चुके हैं और 2 दिन शेष हैं. ऐसे में राज्य की जनता को उम्मीद है की सदन में राजनीति करने के बजाय जनहित के मुद्दे जरूर उठेंगे.