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सरयू राय का निराला अंदाज, एसीबी के लिए खुद निकाले अपने ऊपर लगे आरोपों से जुड़े कागजात, क्या है पूरा मामला

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Published : Dec 6, 2022, 6:51 PM IST

निर्दलीय विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) ने अपने ऊपर लगे आरोपों से जुड़े दस्तावेज को खुद एसीबी को सौंपने की पेशकश की है. सरयू राय ने कहा है कि उन्होंने आरटीआई के जरिए सभी संचिकाओं की टिप्पणी पक्ष और पत्राचार पक्ष की छायाप्रतियां निदेशालय से हासिल की है. एसीबी उसकी छायाप्रति उनसे ले सकती है. ताकि उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच जल्द पूरी हो सके.

MLA Saryu Rai
MLA Saryu Rai

रांची: निर्दलीय विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) ने अपने ऊपर लगे आरोपों से जुड़े दस्तावेज को खुद एसीबी को सौंपने की पेशकश की है. उन्होंने इस बाबत निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भी लिखा है. सरयू का कहना है कि उनके खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहते अनियमितता के आरोपों के संबंध में एसीबी ने विभाग से पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. एसीबी की दलील थी कि आरोप लगाने वाले ने प्रासंगिक संचिकाओं की छायाप्रतियां संलग्न की थी. इसलिए मूल संचिकाओं से इसका मिलान करने के लिए पीई दर्ज करना जरूरी है. इसी मामले को आगे बढ़ाते हुए सरयू राय ने कहा है कि उन्होंने आरटीआई के जरिए सभी संचिकाओं की टिप्पणी पक्ष और पत्राचार पक्ष की छायाप्रतियां निदेशालय से हासिल की है. एसीबी उसकी छायाप्रति उनसे ले सकती है. ताकि उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच जल्द पूरी हो सके. (ACB inquiry against Saryu Rai)

ये भी पढ़ें- विधायक सरयू राय ने सूचना का अधिकार के तहत खाद्य आपूर्ति विभाग से मांगी फाइलों की कॉपी

दरअसल, एसीबी द्वारा पीई के लिए पिछले दिनों अनुमति मांगी गयी थी. तब सरयू राय ने कहा था कि वह खुद सीबीआई जांच की मांग (Demand for CBI inquiry) कर चुके हैं. उन्होंने कहा था पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थकों द्वारा उनके ऊपर लगाये गये आरोपों की जांच जल्द की जानी चाहिए.

सरयू राय पर क्या-क्या आरोप लगे हैं

बाबा कम्प्यूटर्स को अधिक दर पर वायस मैसेज के आदेश का मामला- सरयू राय का कहना है कि निविदा का प्रकाशन विभागीय सचिव ने मंत्री से अनुमति लिए बिना खुद किया था. उन्होंने जो भी किया था वह नियमानुकूल था.

आहार पत्रिका के प्रकाशन का मामला- इसका उद्देश्य था राशन उपभोक्ताओं तक विभागीय निर्णयों को पहुंचाना. सक्षम तीन-चार संस्थाओं से इसके लिए कोटेशन प्राप्त किया गया था. न्यूनतम दर वाले संस्था का चयन किया गया था. दर निर्धारण पर वित्त और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की सहमति ली गई थी. रघुवर दास के पास ही विभाग का प्रभार था. बेहतर होगा कि एसीबी उनसे भी जानकारी प्राप्त कर ले.

युगांतर भारती को सरकार की ओर से कार्यादेश दिलाने का मामला- सरयू राय का कहना है कि मंत्री रहते अपने विभाग से किसी भी प्रकार के काम के लिए कोई भी आदेश युगांतर भारती के पक्ष में नहीं दिया गया है. वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में युगान्तर भारती से अनसेक्युर्ड लोन लिया है.

सुनील शंकर को सेवा अवधि विस्तार देने का मामला- सरयू राय का कहना है कि इस संबंध में पूरी जानकारी विभाग की संचिका में दर्ज है.

सरयू राय ने निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के नाम लिखे अपने पत्र के जरिए बताया है कि उन्होंने खुद सभी आरोपों से जुड़े 2,500 पृष्ठों के दस्तावेज निकाले हैं. तमाम दस्तावेज एसीबी जांच को गति दे सकते हैं.

रांची: निर्दलीय विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) ने अपने ऊपर लगे आरोपों से जुड़े दस्तावेज को खुद एसीबी को सौंपने की पेशकश की है. उन्होंने इस बाबत निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भी लिखा है. सरयू का कहना है कि उनके खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहते अनियमितता के आरोपों के संबंध में एसीबी ने विभाग से पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. एसीबी की दलील थी कि आरोप लगाने वाले ने प्रासंगिक संचिकाओं की छायाप्रतियां संलग्न की थी. इसलिए मूल संचिकाओं से इसका मिलान करने के लिए पीई दर्ज करना जरूरी है. इसी मामले को आगे बढ़ाते हुए सरयू राय ने कहा है कि उन्होंने आरटीआई के जरिए सभी संचिकाओं की टिप्पणी पक्ष और पत्राचार पक्ष की छायाप्रतियां निदेशालय से हासिल की है. एसीबी उसकी छायाप्रति उनसे ले सकती है. ताकि उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच जल्द पूरी हो सके. (ACB inquiry against Saryu Rai)

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दरअसल, एसीबी द्वारा पीई के लिए पिछले दिनों अनुमति मांगी गयी थी. तब सरयू राय ने कहा था कि वह खुद सीबीआई जांच की मांग (Demand for CBI inquiry) कर चुके हैं. उन्होंने कहा था पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थकों द्वारा उनके ऊपर लगाये गये आरोपों की जांच जल्द की जानी चाहिए.

सरयू राय पर क्या-क्या आरोप लगे हैं

बाबा कम्प्यूटर्स को अधिक दर पर वायस मैसेज के आदेश का मामला- सरयू राय का कहना है कि निविदा का प्रकाशन विभागीय सचिव ने मंत्री से अनुमति लिए बिना खुद किया था. उन्होंने जो भी किया था वह नियमानुकूल था.

आहार पत्रिका के प्रकाशन का मामला- इसका उद्देश्य था राशन उपभोक्ताओं तक विभागीय निर्णयों को पहुंचाना. सक्षम तीन-चार संस्थाओं से इसके लिए कोटेशन प्राप्त किया गया था. न्यूनतम दर वाले संस्था का चयन किया गया था. दर निर्धारण पर वित्त और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की सहमति ली गई थी. रघुवर दास के पास ही विभाग का प्रभार था. बेहतर होगा कि एसीबी उनसे भी जानकारी प्राप्त कर ले.

युगांतर भारती को सरकार की ओर से कार्यादेश दिलाने का मामला- सरयू राय का कहना है कि मंत्री रहते अपने विभाग से किसी भी प्रकार के काम के लिए कोई भी आदेश युगांतर भारती के पक्ष में नहीं दिया गया है. वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में युगान्तर भारती से अनसेक्युर्ड लोन लिया है.

सुनील शंकर को सेवा अवधि विस्तार देने का मामला- सरयू राय का कहना है कि इस संबंध में पूरी जानकारी विभाग की संचिका में दर्ज है.

सरयू राय ने निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के नाम लिखे अपने पत्र के जरिए बताया है कि उन्होंने खुद सभी आरोपों से जुड़े 2,500 पृष्ठों के दस्तावेज निकाले हैं. तमाम दस्तावेज एसीबी जांच को गति दे सकते हैं.

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