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विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा- लोहार जाति के खतियान की हो विभागीय जांच

रांची में बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश के मूल वास्तविक लोहरा जाति का खतियान गैर आदिवासी लोहार नामित होते जा रही है. इसकी जांच होनी चाहिए.

MLA Bandhu Tirkey wrote a letter to Chief Minister Hemant Soren
विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
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Published : Jun 10, 2020, 5:12 PM IST

रांची: मांडर विधायक बंधु तिर्की ने बुधवार को मुख्यमंत्री और राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के वास्तविक लोहरा जाति है जिनका 1930-32 आरएस सर्वे खतियान में दर्ज है. उनका विभागीय जांच करवाते हुए उनकी भूमि की रजिस्ट्री हो और म्यूटेशन पर रोक के लिए जल्द जरूरी कार्रवाई की जाए.

बंधु तिर्की ने अपने पत्र में कहा कि झारखंड राज्य के अनुसूचित जनजाति सूची के क्रमांक 21 पर लोहरा जाति दर्ज है. वहीं, पूरे प्रदेश में वास्तविक लोहरा जाति का सर्वे खतियान 1930-32 पर भूलवश अधिकांश रूप में कौम लोहार दर्ज है. जिसकी पुष्टि 2002 में ही झारखंड सरकार के कल्याण मंत्रालय के शोध आदेश के जवाब में झारखंड सरकार के डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय संस्था के जरिए दी जा चुकी है. जिसमें लोहार और लोहरा जाति के अंतर संबंधित शोध प्रतिवेदन 24 अगस्त 2002 के तहत समर्पित किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में कोरोना के बढ़ते मामले, जानें 10 जून का अपडेट

उन्होंने कहा है कि भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की संलिप्तता के कारण जान बूझकर वैसे लोगों को लोहार बताकर गलत भूमि हस्तांतरित कराने का षड्यंत्र लंबे समय से किया जा रहा है. जिस कारण पूरे झारखंड प्रदेश के मूल वास्तविक लोहरा जाति का खतियान गैर आदिवासी लोहार नामित होते जा रही है. इसकी जांच होनी चाहिए.

रांची: मांडर विधायक बंधु तिर्की ने बुधवार को मुख्यमंत्री और राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के वास्तविक लोहरा जाति है जिनका 1930-32 आरएस सर्वे खतियान में दर्ज है. उनका विभागीय जांच करवाते हुए उनकी भूमि की रजिस्ट्री हो और म्यूटेशन पर रोक के लिए जल्द जरूरी कार्रवाई की जाए.

बंधु तिर्की ने अपने पत्र में कहा कि झारखंड राज्य के अनुसूचित जनजाति सूची के क्रमांक 21 पर लोहरा जाति दर्ज है. वहीं, पूरे प्रदेश में वास्तविक लोहरा जाति का सर्वे खतियान 1930-32 पर भूलवश अधिकांश रूप में कौम लोहार दर्ज है. जिसकी पुष्टि 2002 में ही झारखंड सरकार के कल्याण मंत्रालय के शोध आदेश के जवाब में झारखंड सरकार के डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय संस्था के जरिए दी जा चुकी है. जिसमें लोहार और लोहरा जाति के अंतर संबंधित शोध प्रतिवेदन 24 अगस्त 2002 के तहत समर्पित किया जा चुका है.

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उन्होंने कहा है कि भू-माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों की संलिप्तता के कारण जान बूझकर वैसे लोगों को लोहार बताकर गलत भूमि हस्तांतरित कराने का षड्यंत्र लंबे समय से किया जा रहा है. जिस कारण पूरे झारखंड प्रदेश के मूल वास्तविक लोहरा जाति का खतियान गैर आदिवासी लोहार नामित होते जा रही है. इसकी जांच होनी चाहिए.

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