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एससी-एसटी छात्रों को शिक्षा ऋण नहीं मिलने से विधायक बंधु तिर्की नाराज, बैंकों को बोरिया बिस्तर समेटने की दी हिदायत

राज्य में आदिवासी और अनुसूचित जाति को शिक्षा ऋण नहीं मिलने से बंधु तिर्की नाराज है. इसको लेकर विधायक और सह पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को अपना बोरिया बिस्तर समेटने की हिदायत दी है.

mla bandhu tirkey
विधायक बंधु तिर्की
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Published : Jul 5, 2020, 3:58 PM IST

रांची: मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने झारखंड क्षेत्र में स्थापित बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को यह चेतावनी दी है कि अगर वे आदिवासी छात्रों के हितों की रक्षा करने में अक्षम हैं तो वे कृपया बोरिया बिस्तर समेटकर अन्यत्र व्यवसाय करने की योजना बना लें. इस राज्य में उनके बैंकों की कोई आवश्यकता नहीं है.
बंधु तिर्की एक स्थानीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित 'एसटी एससी छात्रों को नहीं मिल रहा लोन' शीर्षक समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह गंभीर बात है कि झारखंड की अनुसूचित जाति जनजाति के विद्यार्थियों को क्रेडिट गारंटी रहने के बावजूद शिक्षा ऋण नहीं मिल रहा और विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर बड़ी संख्या में आवेदनों को अस्वीकृत किया जा रहा है. उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई है कि जहां गैर आदिवासी विद्यार्थियों को इस वित्तीय वर्ष में 264 करोड़ का ऋण दिया जा चुका है. वहीं, एसटी छात्रों को मात्र ₹15 करोड़ ही ऋण स्वरूप मिले हैं.

ये भी पढ़ें: देवघरः शिवगंगा के चारों घाट सील, श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी

बंधु तिर्की ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री यह भरोसा दे रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों के तहत चार लाख तक शिक्षा ऋण में किसी भी तरह की सेक्योरिटी गारंटी की जरूरत नहीं है, वहीं बैंक अपनी मनमानी कर रहे हैं. बंधु तिर्की ने कहा कि वे इस विषय पर शीघ्र राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी के सक्षम पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करा देंगे. शिक्षा लोकतंत्र का आधार है. यह सबों को बंधन से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करता है. यदि बैंक आदिवासी और अनुसूचित जाति के छात्रों को शिक्षा ऋण देने में कोताही बरतेगा तो इस राज्य उसका अस्तित्व होने का कोई औचित्य नहीं. तिर्की ने कहा कि वर्तमान समय में जबकि कोरोना से सभी परेशान हैं. ऐसे में बैंकों को न केवल आदिवासियों और अनुसूचित जातियों को शिक्षा ऋण बल्कि व्यवसाय के लिए भी ऋण देने में तत्परता दिखानी चाहिए. उनके आवेदनों को अस्वीकृत करना अन्याय है.

सीएम भी जता चुके हैं नाराजगी

बता दें कि यह हाल तब है जब सीएम एसएलबीसी बैठक के दौरान एसटी-एससी छात्रों को शिक्षा ऋण देने में बैंकों की आनाकानी पर नाराजगी जता चुके हैं. शिक्षा ऋण के मामले में निराशाजनक प्रगति को देखते हुए राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति ने भी बैंकों के इस रवैये पर नाराजगी जतायी थी. शिक्षा लोन लेने के लिए बैंकों ने ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान किया है. प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर अभी भी इससे जुड़े करीब 1824 आवेदन लंबित हैं.

रांची: मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने झारखंड क्षेत्र में स्थापित बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को यह चेतावनी दी है कि अगर वे आदिवासी छात्रों के हितों की रक्षा करने में अक्षम हैं तो वे कृपया बोरिया बिस्तर समेटकर अन्यत्र व्यवसाय करने की योजना बना लें. इस राज्य में उनके बैंकों की कोई आवश्यकता नहीं है.
बंधु तिर्की एक स्थानीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित 'एसटी एससी छात्रों को नहीं मिल रहा लोन' शीर्षक समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह गंभीर बात है कि झारखंड की अनुसूचित जाति जनजाति के विद्यार्थियों को क्रेडिट गारंटी रहने के बावजूद शिक्षा ऋण नहीं मिल रहा और विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर बड़ी संख्या में आवेदनों को अस्वीकृत किया जा रहा है. उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई है कि जहां गैर आदिवासी विद्यार्थियों को इस वित्तीय वर्ष में 264 करोड़ का ऋण दिया जा चुका है. वहीं, एसटी छात्रों को मात्र ₹15 करोड़ ही ऋण स्वरूप मिले हैं.

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बंधु तिर्की ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री यह भरोसा दे रहे हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक के प्रावधानों के तहत चार लाख तक शिक्षा ऋण में किसी भी तरह की सेक्योरिटी गारंटी की जरूरत नहीं है, वहीं बैंक अपनी मनमानी कर रहे हैं. बंधु तिर्की ने कहा कि वे इस विषय पर शीघ्र राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी के सक्षम पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करा देंगे. शिक्षा लोकतंत्र का आधार है. यह सबों को बंधन से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करता है. यदि बैंक आदिवासी और अनुसूचित जाति के छात्रों को शिक्षा ऋण देने में कोताही बरतेगा तो इस राज्य उसका अस्तित्व होने का कोई औचित्य नहीं. तिर्की ने कहा कि वर्तमान समय में जबकि कोरोना से सभी परेशान हैं. ऐसे में बैंकों को न केवल आदिवासियों और अनुसूचित जातियों को शिक्षा ऋण बल्कि व्यवसाय के लिए भी ऋण देने में तत्परता दिखानी चाहिए. उनके आवेदनों को अस्वीकृत करना अन्याय है.

सीएम भी जता चुके हैं नाराजगी

बता दें कि यह हाल तब है जब सीएम एसएलबीसी बैठक के दौरान एसटी-एससी छात्रों को शिक्षा ऋण देने में बैंकों की आनाकानी पर नाराजगी जता चुके हैं. शिक्षा ऋण के मामले में निराशाजनक प्रगति को देखते हुए राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति ने भी बैंकों के इस रवैये पर नाराजगी जतायी थी. शिक्षा लोन लेने के लिए बैंकों ने ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान किया है. प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर अभी भी इससे जुड़े करीब 1824 आवेदन लंबित हैं.

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