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झारखंड में पांच नए कोल ब्लॉक्स से इस साल शुरू होगा खनन, सवा लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

अब गर्मी के दिनों में कोयले की किल्लत की वजह से बिजली की कमी नहीं होगी. झारखंड में इसी साल पांच नए कोल ब्लॉक्स (Coal Blocks in Jharkhand) से कोयले का खनन शुरू हो जाएगा.

Mining will start from five coal blocks in Jharkhand
Mining will start from five coal blocks in Jharkhand
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Published : Sep 8, 2022, 9:18 PM IST

रांची: झारखंड में इस साल आधा दर्जन कोल ब्लॉक में खनन शुरू हो जाने की उम्मीद है. इनसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर एक से सवा लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा. देश के पावर प्लांट्स और कोल बेस्ड इंडस्ट्रीज के लिए कोयले की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की साझा पहल के तहत इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये जा रहे हैं.

केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने बीते सोमवार को दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में झारखंड स्थित 20 नॉन ऑपरेशनल कैप्टिव और कॉमर्शियल कोल ब्लॉक के स्टेटस की समीक्षा की. इस बात पर सहमति बनी कि जिन कोल ब्लॉक्स के लिए भूमि अधिग्रहण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोड कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्टेशन आदि की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, वहां जल्द से जल्द प्रोडक्शन के लिए ऑपरेशंस शुरू किये जाएं. इस दौरान माइन्स, वन-पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी तरह के क्लीयरेंस के लिए डेडलाइन तय की गयी. बैठक में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के टॉप ऑफिसर्स, झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, खनन एवं भूतत्व निदेशक और कोल ब्लॉक लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे.

जिन कोल ब्लॉक्स को इस वित्त वर्ष में ऑपरेशनल कर दिए जाने की उम्मीद है, उनमें तीन हजारीबाग जिले में स्थित हैं, जबकि एक पलामू और एक पाकुड़ जिले में स्थित हैं. हजारीबाग जिले में मोइत्रा कोल ब्लॉक जिंदल आयरन एंड स्टील (जेएसडब्ल्यू) को आवंटित किया गया है. इस ब्लॉक में लीज की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसी जिले का केरेडारी कोल ब्लॉक एनटीपीसी को अलॉट हुआ है. यहां भी उत्पादन शुरू करने के लिए ज्यादातर क्लीयरेंस ले लिये गये हैं. इसी तरह डीवीसी को आवंटित तुबेद कोल ब्लॉक में भी प्रोडक्शन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पाकुड़ जिले का पचुआड़ा कोल ब्लॉक पंजाब इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को और पलामू स्थित लोहारी कोल ब्लॉक अरण्या स्टील को आवंटित किया गया है. इन कोल ब्लॉक्स को भी ऑपरेशनल करने के लिए लाइसेंसिंग और क्लीयरेंस का प्रॉसेस चल रहा है. इनके अलावा चट्टी बारियातू, बादम और टोकीसूद कोल ब्लॉक में भी उत्पादन चालू कराने पर चर्चा हुई. इन सभी के लिए अफसरों को आवश्यक निर्देश दिये गये.

इन कोल ब्लॉक्स के चालू होने से झारखंड राज्य को प्रतिवर्ष दो से ढाई हजार करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद है. फिलहाल राज्य सरकार को खदानों से लगभग आठ हजार करोड़ का राजस्व प्रतिवर्ष मिलता है. इस वित्तीय वर्ष में चार से पांच नये कोल ब्लॉक्स शुरू हो गये तो इस राजस्व में लगभग 20 प्रतिशत का इजाफा होगा. झारखंड में कैप्टिव और कॉमर्शियल कोल ब्लॉक्स से वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष यानी 2021-22 की तुलना में दोगुनी मात्रा में कोयला उत्पादन की उम्मीद है. पिछले वर्ष 17.72 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 37.3 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद की जा रही है.

नये कोल ब्लॉक्स से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी सृजित होने की उम्मीद है. बता दें कि झारखंड सरकार ने उत्खनन कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीय मानव बल को नियोजित करने का नियम तय किया है.

रांची: झारखंड में इस साल आधा दर्जन कोल ब्लॉक में खनन शुरू हो जाने की उम्मीद है. इनसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर एक से सवा लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा. देश के पावर प्लांट्स और कोल बेस्ड इंडस्ट्रीज के लिए कोयले की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की साझा पहल के तहत इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये जा रहे हैं.

केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने बीते सोमवार को दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में झारखंड स्थित 20 नॉन ऑपरेशनल कैप्टिव और कॉमर्शियल कोल ब्लॉक के स्टेटस की समीक्षा की. इस बात पर सहमति बनी कि जिन कोल ब्लॉक्स के लिए भूमि अधिग्रहण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोड कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्टेशन आदि की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, वहां जल्द से जल्द प्रोडक्शन के लिए ऑपरेशंस शुरू किये जाएं. इस दौरान माइन्स, वन-पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी तरह के क्लीयरेंस के लिए डेडलाइन तय की गयी. बैठक में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के टॉप ऑफिसर्स, झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, खनन एवं भूतत्व निदेशक और कोल ब्लॉक लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे.

जिन कोल ब्लॉक्स को इस वित्त वर्ष में ऑपरेशनल कर दिए जाने की उम्मीद है, उनमें तीन हजारीबाग जिले में स्थित हैं, जबकि एक पलामू और एक पाकुड़ जिले में स्थित हैं. हजारीबाग जिले में मोइत्रा कोल ब्लॉक जिंदल आयरन एंड स्टील (जेएसडब्ल्यू) को आवंटित किया गया है. इस ब्लॉक में लीज की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसी जिले का केरेडारी कोल ब्लॉक एनटीपीसी को अलॉट हुआ है. यहां भी उत्पादन शुरू करने के लिए ज्यादातर क्लीयरेंस ले लिये गये हैं. इसी तरह डीवीसी को आवंटित तुबेद कोल ब्लॉक में भी प्रोडक्शन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पाकुड़ जिले का पचुआड़ा कोल ब्लॉक पंजाब इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को और पलामू स्थित लोहारी कोल ब्लॉक अरण्या स्टील को आवंटित किया गया है. इन कोल ब्लॉक्स को भी ऑपरेशनल करने के लिए लाइसेंसिंग और क्लीयरेंस का प्रॉसेस चल रहा है. इनके अलावा चट्टी बारियातू, बादम और टोकीसूद कोल ब्लॉक में भी उत्पादन चालू कराने पर चर्चा हुई. इन सभी के लिए अफसरों को आवश्यक निर्देश दिये गये.

इन कोल ब्लॉक्स के चालू होने से झारखंड राज्य को प्रतिवर्ष दो से ढाई हजार करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद है. फिलहाल राज्य सरकार को खदानों से लगभग आठ हजार करोड़ का राजस्व प्रतिवर्ष मिलता है. इस वित्तीय वर्ष में चार से पांच नये कोल ब्लॉक्स शुरू हो गये तो इस राजस्व में लगभग 20 प्रतिशत का इजाफा होगा. झारखंड में कैप्टिव और कॉमर्शियल कोल ब्लॉक्स से वर्ष 2022-23 में पिछले वर्ष यानी 2021-22 की तुलना में दोगुनी मात्रा में कोयला उत्पादन की उम्मीद है. पिछले वर्ष 17.72 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 37.3 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद की जा रही है.

नये कोल ब्लॉक्स से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी सृजित होने की उम्मीद है. बता दें कि झारखंड सरकार ने उत्खनन कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीय मानव बल को नियोजित करने का नियम तय किया है.

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