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पेंडेमिक में ग्रामीण क्षेत्रों में सहारा बना मनरेगा, रोजगार के बढ़े अवसर

पेंडेमिक में झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा लोगों का सहारा बनी है. श्रमिकों के लिए चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया, ताकि श्रमिक आर्थिक तंगी से न जूझें.

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Published : Aug 14, 2021, 1:49 PM IST

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पेंडेमिक कोरोनाकाल में ग्रामीण क्षेत्रों में सहारा बना मनरेगा

रांचीः झारखंड में कोरोना की चुनौतियों के बीच मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए बड़ा सहारा बनी है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में इससे 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है. कोरोना के दौर में जब सभी कार्य बंद थे. इस विपरीत परिस्थिति में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया, ताकि श्रमिकों को आजीविका का संकट न हो.

यह भी पढ़ेंःअगर आप मनरेगा से जुड़े हैं तो सरकार आपको करेगी ट्रेंड, कुछ शर्तों का करना होगा पालन

मनरेगा मजदूरी दर में भी हुई बढ़ोतरी

राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरी की दर भी 194 रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये प्रतिदिन कर दिया है. इससे श्रमिकों को बढ़ी हुई दर पर पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है. मनरेगा की योजनाएं सुचारू रूप से चलें, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, विकास कार्य को गति मिले और श्रमिकों को रोजगार मिले. इसको लेकर राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है.

लगातार श्रमिकों को मिल रहा काम

झारखंड में मनरेगा के योजनाओं पर बेहतर काम हो रहा है. वर्ष 2018-19 में 536.59 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था. 2019-20 में यह बढ़कर 641.95 लाख मानव दिवस हो गया. इसके साथ ही 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस और 2021-22 में अभी तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है.


इन जिलों में मनरेगा की स्थिति बेहतर

राज्य के कई जिले हैं, जहां मनरेगा की प्रगति काफी अच्छी है. इनमें सबसे बेहतर गिरिडीह जिला है. इसके बाद गढ़वा, देवघर, पलामू, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग और चतरा हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को भी मिला बढ़ावा

मनरेगा के जरिये श्रमिकों को रोजगार मिला है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों का विकास भी हो रहा है. मनरेगा के तहत राज्य में कई योजनाएं चल रहीं हैं. इन योजनाओं में नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो खेल योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना शामिल हैं. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चेकडैम, ट्रेंच कम बंड (टीसीबी) आदि का बड़ी संख्या में निर्माण कराया गया है. सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें मनरेगा की अहम भूमिका है.


शिकायतों का शीघ्र करें निष्पादन

मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में जिलों के उप विकास आयुक्त के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में मनरेगा आयुक्त ने सभी डीडीसी को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर शिकायतों का निष्पादन करें. उन्होंने कहा कि शिकायतों को नजरअंदाज नहीं करना है, बल्कि प्राथमिकता के आधार पर मामले की जांच कर दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

रांचीः झारखंड में कोरोना की चुनौतियों के बीच मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए बड़ा सहारा बनी है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में इससे 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है. कोरोना के दौर में जब सभी कार्य बंद थे. इस विपरीत परिस्थिति में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया, ताकि श्रमिकों को आजीविका का संकट न हो.

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मनरेगा मजदूरी दर में भी हुई बढ़ोतरी

राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरी की दर भी 194 रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये प्रतिदिन कर दिया है. इससे श्रमिकों को बढ़ी हुई दर पर पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है. मनरेगा की योजनाएं सुचारू रूप से चलें, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, विकास कार्य को गति मिले और श्रमिकों को रोजगार मिले. इसको लेकर राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है.

लगातार श्रमिकों को मिल रहा काम

झारखंड में मनरेगा के योजनाओं पर बेहतर काम हो रहा है. वर्ष 2018-19 में 536.59 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था. 2019-20 में यह बढ़कर 641.95 लाख मानव दिवस हो गया. इसके साथ ही 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस और 2021-22 में अभी तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है.


इन जिलों में मनरेगा की स्थिति बेहतर

राज्य के कई जिले हैं, जहां मनरेगा की प्रगति काफी अच्छी है. इनमें सबसे बेहतर गिरिडीह जिला है. इसके बाद गढ़वा, देवघर, पलामू, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग और चतरा हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को भी मिला बढ़ावा

मनरेगा के जरिये श्रमिकों को रोजगार मिला है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों का विकास भी हो रहा है. मनरेगा के तहत राज्य में कई योजनाएं चल रहीं हैं. इन योजनाओं में नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो खेल योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना शामिल हैं. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चेकडैम, ट्रेंच कम बंड (टीसीबी) आदि का बड़ी संख्या में निर्माण कराया गया है. सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें मनरेगा की अहम भूमिका है.


शिकायतों का शीघ्र करें निष्पादन

मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में जिलों के उप विकास आयुक्त के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में मनरेगा आयुक्त ने सभी डीडीसी को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर शिकायतों का निष्पादन करें. उन्होंने कहा कि शिकायतों को नजरअंदाज नहीं करना है, बल्कि प्राथमिकता के आधार पर मामले की जांच कर दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

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