रांची: कुड़ुख भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अददी कुड़ुख चाला धुमकुड़िया कुड़िया अखाड़ा ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें मुख्य रूप से प्राथमिक और हाई स्कूलों में स्थानीय क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को लेकर पुस्तकों के प्रकाशन और पाठ्यक्रम के निर्धारण को लेकर विशेष चर्चा की गई.
झारखंड आंदोलनकारी बिनोद कुमार भगत ने कहा कि हाई स्कूलों में कुड़ुख भाषा की पढ़ाई हो रही है, लेकिन मिडिल स्कूल में नहीं हो रही है. उन्होंने सरकार से मिडिल स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कराने और पुस्तकों की व्यवस्था कराने की मांग की. धुमकुड़िया पड़हा अखाड़ा के द्वारा राज्य के ऐसे कई निजी प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां शिक्षकों और पुस्तकों की व्यवस्था करवाकर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, ताकि बच्चे अपनी भविष्य का ज्ञान प्रप्त कर सके. बिनोद कुमार भगत ने कहा कि कुड़ुख भाषा की ओर सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है.
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कार्यकारिणी के सदस्य बिनोद कुमार भगत ने कहा कि झारखंड राज्य अलग होने के बाद क्षेत्रीय भाषा में सरकार द्वारा कई योजनाएं और कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन कुड़ुख भाषा को लेकर सरकार द्वारा प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि कुड़ुख भाषा का विकास नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का विकास दर काफी कम है.