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टिड्डियों के झुंड से अपने फसल को कैसे बचाएं? जानिए BAU के वैज्ञानिक डॉ एमएस यादव से

झारखंड में टिड्डियों का झुंड अक्सर जून-जुलाई के महीने में पहुंचता है. जो सबसे ज्यादा खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाता है. इसका खतरा झारखंड के किसानों के लिए अभी भी बना हुआ है. इसकी रोकथाम के लिए कृषि विभाग ने व्यापक तैयारी कर रखी है, ताकि किसानों के फसल को बचाया जा सके.

टिड्डियों के झुंड से अपने फसल को कैसे बचाएं? जानिय BAU के वैज्ञानिक डॉ एमएस यादव से
Measures to save crop from Locust swarm
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Published : Jun 26, 2020, 5:53 PM IST

रांची: अफ्रीका से चलते हुए पाकिस्तान के रास्ते टिड्डियों का झुंड झारखंड के कई जिलों में पहुंच चुका है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना भी पड़ा है. लेकिन अब भी झारखंड के किसानों के लिए इसका खतरा कम नहीं हुआ है.

डॉ एमएस यादव का बयान

खरीफ फसल को नुकसान

झारखंड में टिड्डियों का झुंड अक्सर जून-जुलाई के महीने में पहुंचता है. जो सबसे ज्यादा खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाता है. इसका खतरा झारखंड के किसानों के लिए अभी भी बना हुआ है. इसकी रोकथाम के लिए कृषि विभाग ने व्यापक तैयारी कर रखी है, ताकि किसानों के फसल को बचाया जा सके. अफ्रीका से चलने वाले टिड्डियों के झुंड को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार की व्यापक तैयारी रहती है. बावजूद इसके टिड्डियों का झुंड भारत के कई राज्यों में फैल जाते हैं.

डॉ एमएस यादव का बयान

ये भी पढ़ें-जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सीएम को लिखा पत्र, बंद पड़ी सेवाओं को चालू कराने की मांग

किसानों के लिए खतरा बन रहा टिड्डियों का झुंड

इसके फैलने का मुख्य कारण यह है कि इसका प्रजनन बहुत बड़े पैमाने पर होता है. इसका झुंड जहां-जहां जाता है, वहां अपना अंडा छोड़ते हुए जाता है. ऐसे में दोबारा इनके हमले का डर बना रहता है. किसानों के लिए इसका खतरा इसलिए भी होता है क्योंकि टिड्डियों का झुंड किस दिशा की ओर कब रुख करेगा इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है.

काली मिट्टी का स्प्रे जरुरी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ एमएस यादव ने किसानों को उसके प्रकोप से बचने के लिए कई सलाह दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपने स्तर पर फसल को इस के प्रकोप से बचाने के लिए काली मिट्टी का स्प्रे कर सकते हैं. क्योंकि इनका झुंड साफ-सुथरे और हरे फसलों को ही अपना निवाला बनाते हैं. इसलिए किसान अपनी फसलों में काली मिट्टी का स्प्रे कर दें, ताकि वह गंदा हो जाए, जिसके कारण टिड्डियों का दल फसलों को अपना निवाला नहीं बना सकें.

रांची: अफ्रीका से चलते हुए पाकिस्तान के रास्ते टिड्डियों का झुंड झारखंड के कई जिलों में पहुंच चुका है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना भी पड़ा है. लेकिन अब भी झारखंड के किसानों के लिए इसका खतरा कम नहीं हुआ है.

डॉ एमएस यादव का बयान

खरीफ फसल को नुकसान

झारखंड में टिड्डियों का झुंड अक्सर जून-जुलाई के महीने में पहुंचता है. जो सबसे ज्यादा खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाता है. इसका खतरा झारखंड के किसानों के लिए अभी भी बना हुआ है. इसकी रोकथाम के लिए कृषि विभाग ने व्यापक तैयारी कर रखी है, ताकि किसानों के फसल को बचाया जा सके. अफ्रीका से चलने वाले टिड्डियों के झुंड को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार की व्यापक तैयारी रहती है. बावजूद इसके टिड्डियों का झुंड भारत के कई राज्यों में फैल जाते हैं.

डॉ एमएस यादव का बयान

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किसानों के लिए खतरा बन रहा टिड्डियों का झुंड

इसके फैलने का मुख्य कारण यह है कि इसका प्रजनन बहुत बड़े पैमाने पर होता है. इसका झुंड जहां-जहां जाता है, वहां अपना अंडा छोड़ते हुए जाता है. ऐसे में दोबारा इनके हमले का डर बना रहता है. किसानों के लिए इसका खतरा इसलिए भी होता है क्योंकि टिड्डियों का झुंड किस दिशा की ओर कब रुख करेगा इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है.

काली मिट्टी का स्प्रे जरुरी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ एमएस यादव ने किसानों को उसके प्रकोप से बचने के लिए कई सलाह दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपने स्तर पर फसल को इस के प्रकोप से बचाने के लिए काली मिट्टी का स्प्रे कर सकते हैं. क्योंकि इनका झुंड साफ-सुथरे और हरे फसलों को ही अपना निवाला बनाते हैं. इसलिए किसान अपनी फसलों में काली मिट्टी का स्प्रे कर दें, ताकि वह गंदा हो जाए, जिसके कारण टिड्डियों का दल फसलों को अपना निवाला नहीं बना सकें.

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