रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास और झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की बंद कमरे में मुलाकात क्या बाहर आई झारखंड के राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई है. तमाम सियासी पंडित इस मिलाप के मायने निकालने के गुणाभाग जुटे हुए हैं. हालांकि महागठबंधन के नेता इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं तो मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. इस बीच जब ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री से ही मुलाकात के मायने पूछ डाले तो उन्होंने जो जवाब दिया, उससे अटकलों का बाजार और भी गर्म हो गया.
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बता दें कि बीते दिनों पूर्व सीएम रघुवर दास की पोती आराध्या का जन्मदिन था. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जन्मदिन के बहाने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास से बंद कमरे में करीब आधे घंटे तक बातचीत की. कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे के झारखंड दौरे के बीच इस मुलाकात की खबर बाहर आते ही महागठबंधन के घटक कांग्रेस के अंदर खलबली मच गई. इधर राजनीतिक पंडित इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. इधर शनिवार को कांग्रेस भवन पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से मुलाकात पर सफाई देते दिखे, मगर पार्टी नेताओं को उनकी यह सफाई पच नहीं रही है.
इधर कुछ कांग्रेस नेताओं ने दबीजुबान में यहां तक कह दिया कि कुछ तो गड़बड़ है. इसे समय रहते दूर करना होगा. ईटीवी भारत ने जब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से रघुवर दास के साथ हुई मुलाकात के बारे में पूछा तो उन्होने पारिवारिक संबंध के साथ साथ इसे राजनीतिक मुलाकात भी माना. इधर बीजेपी के अंदर भी इस मुलाकात को लेकर तरह तरह की चर्चा शनिवार को होती रही. हालांकि भाजपा मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक इस पर कुछ स्पष्ट नहीं बोल पाए. वह कभी इसे पारिवारिक मुलाकात करार देते रहे तो कभी कहते रहे कि राजनीतिक लोग मिलेंगे तो राजनीतिक बात होगी ही.
इन दिनों सुर्खियों में रहते हैं बन्ना गुप्ताः कांग्रेस चिंतन शिविर में अपनी ही सरकार के मुखिया सीएम हेमंत सोरेन पर टिप्पणी कर सुर्खियों में आये स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एक बार फिर भाजपा उपाध्यक्ष रघुवर दास से मुलाकात कर चर्चा में आ गए हैं. जानकारों की मानें तो भले ही ये दोनों नेता एक ही शहर जमशेदपुर में ही रहते हैं मगर यह मुलाकात कोई सामान्य बर्थडे सेलेब्रेशन तक ही नहीं देखा जा सकता. क्योंकि हाल के दिनों में जिस तरह से सत्तारूढ़ दल झामुमो और कांग्रेस के विधायकों के बीच असंतोष खुलकर सामने आ रहा है वह राजनीतिक दृष्टि से खास महत्व रखता है. राजनीति में इस तरह की मुलाकात ही लोगों को करीब लाने का काम करता है.