रांचीः झारखंड सरकार (Jharkhand government) के महाधिवक्ता ने पिछले दिनों झारखंड नगरपालिका अधिनियम को लेकर मंतव्य दिए थे. इस मंतव्य पर घमासान मचा है. महाधिवक्ता के मंतव्य के खिलाफ रांची मेयर आशा लकड़ा (Ranchi Mayor Asha Lakra) ने मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को मेयर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला और ज्ञापन सौंपा.
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राज्यपाल से मिलने के बाद मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि राज्य सरकार ने महाधिवक्ता के मंतव्य को हथियार बनाकर नगर निकायों को पंगु बनाने की कोशिश की जा रही है. नगर निगम में भ्रष्टाचार को हावी करना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल से आश्वासन मिला है कि अधिनियम को कोई महाधिवक्ता बदल नहीं सकता है. अधिनियम विधानसभा से पारित होने के बाद विधानसभा में ही परिवर्तन किया जा सकता है.
नगर पालिका अधिनियम के तहत कार्य करेंगे संचालित
मेयर ने कहा कि रांची, हजारीबाग, डालटेनगंज, गोड्डा, पाकुर, लातेहार, रामगढ़ नगर निगम के मेयर ने बुधवार को बैठक बुलाई हैं, जिसमें 15वें वित्त आयोग के तहत चल रही योजनाओं की समीक्ष की जाएगी. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि की ताकत को कोई खत्म नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि झारखंड नगर पालिका 2011 के तहत ही मेयर कार्य संचालित करेंगे.
केंद्रीय शहरी मंत्रालय को देंगे घटना की जानकारी
उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को करमा पर्व है. इससे पहले निगम बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वर्तमान झारखंड सरकार और अधिकारी आदिवासी विरोधी हैं. अगर आदिवासी विरोधी नहीं होते, तो बैठक होती और करमा पर्व को लेकर जरूरी कार्य को पूरा किया जाता. उन्होंने कहा कि केंद्रीय शहरी मंत्रालय भी जाएंगे और झारखंड सरकार के कारनामों को बताएंगे. केंद्रीय शहरी मंत्रालय से जो दिशा-निर्देश मिलेगा, उसके अनुरूप काम करेंगे.
जनता की हित की लड़ाई
उन्होंने कहा कि जनता ने हम जनप्रतिनिधियों को चुन करके भेजा है. जनप्रतिनिधियों को कोई हटा नहीं सकता है. उन्होंने कहा कि मेयर और नगर आयुक्त की लड़ाई नहीं हैं, बल्कि जनता के हित की लड़ाई है. मेयर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसकी बात निराली है. कांग्रेस की 27 सालों तक सरकार रही, तो झारखंड नगर पालिका का चुनाव ही नहीं कराया था. उन्होंने कहा कि सरकार ने सबसे बड़ा हथियार महाधिवक्ता को बनाया है, जिसके माध्यम से नगर निकायों को खत्म करने की कोशिश कर रही है.