रांची: झारखंड में भाकपा माओवादी अपने ही बनाए जाल में फंस रहे हैं. पुलिस को नुकसान पहुंचने के लिए माओवादियों ने बड़े पैमाने पर नक्सल प्रभावित इलाकों में लैंडमाइंस लगाए गए थे, लेकिन लैंडमाइंस लगाने वाले टेक विश्वनाथ के झारखंड छोड़ने के बाद अब वही लैंडमाइंस माओवादियों के लिए ही खतरा बन गया है.
माओवादियों के प्रभाव वाले इलाकों में टेक विश्वनाथ ने बनाया था आईईडी से सुरक्षा घेरा
भाकपा माओवादी संगठन के तकनीकी विशेषज्ञ रहे टेक विश्वानाथ ने भाकपा माओवादियों के प्रभाव वाले बूढ़ापहाड़, सारंडा और सरायकेला ट्राइजंक्शन की घेराबंदी आईईडी के जरिए की थी. अब विश्वनाथ झारखंड छोड़ तेलंगाना लौट चुका है. ऐसे में माओवादी कई जगहों पर आईईडी लगने की जानकारी से भी अनभिज्ञ हैं. जानकारी के मुताबिक, आईईडी की चपेट में आने से हाल में अलग-अलग इलाकों में माओवादी खुद घायल भी हुए हैं.
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आईईडी लगाकर बनाया था सुरक्षा घेरा
साल 2014- 15 में टेक विश्वनाथ अपनी पत्नी के साथ झारखंड आया था. सारंडा में काम करने के बाद सुधाकरण के साथ उसे बूढ़ापहाड़ भेज दिया गया था. झारखंड से छत्तीसगढ़ सीमा तक फैले बूढ़ापहाड़ की चौतरफा घेराबंदी आईईडी के जरिए टेक विश्वनाथ ने की थी. यही वजह था कि पुलिस और सुरक्षाबलों को वहां काफी नुकसान भी उठाना पड़ता था. बूढ़ापहाड़ में नए सिरे से पैठ जमाने में लगे माओवादियों को अब अपने ही लगाए आईईडी से परेशानी हो रही है. झारखंड छोड़ने से पहले विश्वनाथ को फिर से कोल्हान के इलाके में लगाया गया था, जहां माओवादी प्रभाव वाले इलाकों में कई ठिकानों की घेराबंदी आईईडी से की गई थी. सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा के तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने के बाद टेक विश्वनाथ भी तेलंगना लौट गया था.