रांची: झारखंड सरकार का वार्षिक बजट तीन मार्च को पेश किया जायेगा. 2023-24 का वार्षिक बजट कैसा हो इसको लेकर इन दिनों राज्य सरकार सलाह लेने में जुटी है. इसी के तहत शुक्रवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में प्री बजट पर खुलकर चर्चा हुई. जिसमें झारखंड के अलावे देश के विभिन्न शहरों से आए अर्थशास्त्री, उद्योग जगत से जुड़े विभिन्न एसोसिएशन ने विचार रखा.
प्री बजट चर्चा के दौरान राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव, प्रधान सचिव, निदेशक के अलावे मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, डीजीपी नीरज सिन्हा, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे, राजीव अरुण एक्का मौजूद थे. इस मौके पर हमीन कर बजट ऐप पर सर्वोत्कृष्ट सुझाव देने वाले निखिल कुमार मंडल, नेहा कुमारी सहित कई लोगों को सम्मानित किया गया. नेहा कुमारी ने वन एवं पर्यावरण संरक्षण और निखिल कुमार मंडल ने झारखंड पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार उपलब्ध कराने संबंधित सुझाव दिए थे जिसके लिए इन्हें दस हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया.
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आज झारखण्ड मंत्रालय में आयोजित बजट-पूर्व गोष्ठी कार्यक्रम में शामिल हुआ। https://t.co/4GRaBNkRYS
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उन्होंने कहा कि सरकार ने योजना चला रखी है मगर लोग उदासीन हैं. कई बार बैंक की ओर से भी लापरवाही देखी जाती है. पिछले बार सरकार ने एक लाख करोड़ से अधिक का बजट लाया था जो पहली बार इतना बड़ा बजट था. इस बार अभी तैयारी चल रही है. हमारे यहां रेलमार्ग, हवाई मार्ग, जलमार्ग आदि सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां रेलमार्ग अंग्रेज जमाने से था जो यात्रियों को ढोने के लिए नहीं बल्कि खनिज संपदा की ढुलाई के लिए था. अब जलमार्ग भी तैयार हो चूका है. कहीं यह भी सुविधा इसी तरह ना हो.
मुख्यमंत्री ने लोगों के सुझाव पर सरकार द्वारा अमल किए जाने का आश्वासन देते हुए कहा कि जेएसएलपीएस के जरिए स्टेट लेवल स्कील मैपिंग का सुझाव पर विचार किया जायेगा. अगले बजट में कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल की सुविधा के प्रावधान को रखा जायेगा. इस मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि मैं 21 साल से अपने करियर में बजट बनाने में जुड़ा हुआ हूं. उन्होंने वित्त विभाग को धन्यवाद देते हुए कहा कि पहली बार एक छत के नीचे इतने जानकारों को लाने में सफल रहा है. बजट में सबसे ज्यादा ध्यान रिसोर्स बढाने की चुनौती होती है. झारखंड के बारे में आम धारणा है कि रिसोर्स रीच स्टेट है, मगर हकीकत कुछ और है. सबसे दुखद बात यह है कि हमारे यहां मीड टर्म बजट रिव्यू नहीं होता. इसलिए जो विभाग खर्च नहीं कर पाता है उसका पैसा ऐसे ही पड़ा रहता है. पीएल एकांउट में पैसा रखना एक तरह से लैबलिटी है, जो दुखद है.
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प्री बजट में इन लोगों ने रखे विचार: IIM Ranchi के निदेशक दीपक श्रीवास्तव ने बजट में तीन बिंदु पर फोकस करते हुए, स्टार्टअप, एफपीओ को बढावा देते हुए विशेष फंड का प्रावधान रखने का सुझाव दिया. राज्य को सतत पॉलिसी बनाने के अलावे पर्यटन और रोजगार को बढावा देने का आग्रह किया. इसके अलावे सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट को स्थापित करने और ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट जिला स्तर पर प्रकाशित करने का सुझाव दिया गया. प्रदान स्वयंसेवी संस्था के प्रेमशंकर ने प्राकृतिक संसाधन का सदुपयोग करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए वाटरसेड प्रोग्राम और वन क्षेत्र का संवर्धन पर योजना बनाकर पंचायतों के लिए फंड निर्धारित करने का सुझाव दिया.
एसएलबीसी के डीजीएम सुबोध कुमार ने सीएनटी-एसपीटी के प्रोविजन में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया. चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने सुझाव देते हुए कहा कि उद्योग को प्रोत्साहित करने के अलावे लैंड बैंक स्थापित करने, व्यापार एवं उद्योग आयोग गठित, सभी प्रमंडलों में ट्रेड सेंटर और पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने, घनी आबादी वाले शहर में रिंगरोड बनाने, खेलगांव को स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी घोषित करने और फूड प्रोसेसिंग पर जोर देने की मांग की.
एमएसएमई एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पचेरिवाला ने एमएसएमई की परेशानी समाप्त करने पर जोर दिया. उन्होंने लैंड इस्यू, बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने, बुंडू में आईटी पार्क बनाने सहित कई बिंदुओं पर सलाह दी. इस अवसर पर वाइस चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज जयपुर के डॉ पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि कोरोना के बाद झारखंड का विकास दर अच्छा है जो सुखद है.
डॉ सुधांशु भूषण, वीसी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन ने संबोधित करते हुए कहा कि यहां स्टूडेंट टीचर रेसिओ 60:1 है जबकि राष्ट्रीय आंकड़ा 22 है. उन्होंने शिक्षकों की कमी को दूर करने की सलाह देते हुए कहा कि सरकारी कॉलेजों में नामांकन 75-80% है. महाराष्ट्र में हर जिले में एक विश्वविद्यालय है. झारखंड में 17 जिले ऐसे हैं जहां कोई भी निजी विश्वविद्यालय नहीं है. यहां शिक्षकों की कमी है प्रमोशन नहीं हुआ है. प्रोफेसर की काफी कमी है जिसे दूर करने की आवश्यकता है. गवर्नेंस रिफॉर्म की जरूरत है. यूनिवर्सिटी को ऑटोनोमी दें. शिक्षकों में कैपेसिटी बिल्डिंग करने की जरूरत है जिससे उनका इंपावरमेंट हो सके. छात्रों की जरूरत से संबंधित बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए. कार्यक्रम में डॉ सुदिप्तो मुंडल, चैयरमैन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, प्रो.अश्वनी छत्रे, एसोसिएट प्रोफेसर इकोनॉमिक्स एंड पब्लिक पॉलिसी हैदराबाद, राजेंद्र नारायणन, शिक्षक, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बंगलोर आदि ने संबोधित करते हुए महत्वपूर्ण सुझाव दिए.