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बालू को लेकर हाहाकार! बढ़ती कीमतों ने घर बनाना किया मुश्किल, झारखंड चैंबर ने सरकार से लगाई गुहार - SAND PRICE RISING IN JHARKHAND

झारखंड में बालू की कीमत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इस समस्या को लेकर झारखंड चैंबर ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है.

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झारखंड में बालू की बढ़ती कीमत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 23, 2025, 11:45 AM IST

रांची: झारखंड में बालू संकट गहराता जा रहा है. हालत यह है कि सरकार के उदासीन रवैया की वजह से आम लोगों के साथ-साथ रियल सेक्टर से जुड़े लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. जो बालू प्रति हाइवा 10 हजार रुपये तक में मिलता था, आज वह 60 से 70 हजार रुपये में मिल रहा है. बालू को लेकर हो रही परेशानी से झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने सरकार को पत्र लिखकर समस्या का समाधान जल्द से जल्द करने की अपील की है.

चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गट्टानी के अनुसार सरकार को बालू संकट को लेकर गंभीर होना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले समय में परेशानी और बढ़ेगी. एक मध्यमवर्गीय परिवार को घर बनाने का सपना रहता है, आज की तारीख में बालू के कारण सरकारी गैरसरकारी कई प्रोजेक्ट लटक गए हैं. लोगों को हिम्मत नहीं हो रही है कि घर बनाएं.

जानकारी देते चैंबर अध्यक्ष और मंत्री (ETV BHARAT)

इधर, बालू को लेकर मचे हाहाकार के बीच राज्य सरकार बालू घाटों की निलामी जल्द से जल्द पूरा कर इसे चालू करने में जुटी है, लेकिन सरकारी औपचारिकता में जिस तरह से उलझन है उसमें जल्द प्रक्रिया पूरी करना संभव होता नहीं दिख रहा है. नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार सेंट्रल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देश का अध्ययन कर प्रक्रिया पूरी करने में जुटी है.

444 बालू घाट में मुश्किल से 30 है संचालित

बालू घाटों के संचालन का जिम्मा जेएसएमडीसी के पास है. जानकारी के मुताबिक सरकार बालू को लेकर नीति बनाएगी, तब तक कठिनाई का दौर जारी रहने वाला है. राज्य में स्थित 444 बालू घाटों में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मुश्किल से 30 ऐसे घाट हैं जहां से बालू का उठाव करने का परमिशन है. ये बात अलग है कि शेष घाटों से अवैध तरीके से बालू खनन होता है जिस कारण जमकर काला बाजारी हो रही है. जेएसएमडीसी के पास बालू घाटों के रखरखाव की जिम्मेदारी है. 444 बालू घाटों में कैटेगरी ए में 282 घाट, 134 घाट कैटेगरी बी और 28 घाट कैटेगरी सी के हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड में बालू माफिया का राज: पुलिस, खनन विभाग से लेकर गैंगस्टर-उग्रवादी हो रहे मालामाल!

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विधानसभा का विशेष सत्र: बालू की कमी को लेकर धरने पर बैठे विधायक, सीजीएल परीक्षा रद्द करने की मांग

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चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गट्टानी के अनुसार सरकार को बालू संकट को लेकर गंभीर होना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले समय में परेशानी और बढ़ेगी. एक मध्यमवर्गीय परिवार को घर बनाने का सपना रहता है, आज की तारीख में बालू के कारण सरकारी गैरसरकारी कई प्रोजेक्ट लटक गए हैं. लोगों को हिम्मत नहीं हो रही है कि घर बनाएं.

जानकारी देते चैंबर अध्यक्ष और मंत्री (ETV BHARAT)

इधर, बालू को लेकर मचे हाहाकार के बीच राज्य सरकार बालू घाटों की निलामी जल्द से जल्द पूरा कर इसे चालू करने में जुटी है, लेकिन सरकारी औपचारिकता में जिस तरह से उलझन है उसमें जल्द प्रक्रिया पूरी करना संभव होता नहीं दिख रहा है. नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार सेंट्रल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देश का अध्ययन कर प्रक्रिया पूरी करने में जुटी है.

444 बालू घाट में मुश्किल से 30 है संचालित

बालू घाटों के संचालन का जिम्मा जेएसएमडीसी के पास है. जानकारी के मुताबिक सरकार बालू को लेकर नीति बनाएगी, तब तक कठिनाई का दौर जारी रहने वाला है. राज्य में स्थित 444 बालू घाटों में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मुश्किल से 30 ऐसे घाट हैं जहां से बालू का उठाव करने का परमिशन है. ये बात अलग है कि शेष घाटों से अवैध तरीके से बालू खनन होता है जिस कारण जमकर काला बाजारी हो रही है. जेएसएमडीसी के पास बालू घाटों के रखरखाव की जिम्मेदारी है. 444 बालू घाटों में कैटेगरी ए में 282 घाट, 134 घाट कैटेगरी बी और 28 घाट कैटेगरी सी के हैं.

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