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‘दादा’ पर दीदी की ममता, बंगाल से झारखंड में हेमंत सरकार बचाने में इस तरह कर रहीं मदद - रांची न्यूज

झारखंड की राजनीति में इन दिनों भूचाल आया हुआ है. पिछले कुछ महीनों से हेमंत सरकार को खतरे में बताया जा रहा है. वजह एक नहीं कई हैं. विपक्ष की ओर से सरकार गिराने के दांव चले जाते हैं तो सत्ता पक्ष उसे बचाने की जुगत में लगा रहता है. सरकार बचाने के हेमंत के प्रयास को अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी साथ मिलने लगा है.

Mamta Banerjee is helping Hemant Soren to save jharkhand government
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Published : Aug 2, 2022, 4:42 PM IST

Updated : Aug 2, 2022, 5:25 PM IST

कोलकाता/रांची: वैसे तो राष्ट्रीय राजनीति में झारखंड की राजनीति की चर्चा कम ही होती है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से झारखंड की राजनीति पूरे देश में सुर्खी में है. वजह यह है कि यह वह राज्य है जहां गैर बीजेपी सरकार है, जहां जहां गैर बीजेपी सरकार रही है, वहां की राजनीति हमेशा गरमाई रहती है. झारखंड कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस सत्ता में है. वजह साफ है, पिछले कुछ सालों की राजनीति को देखें तो बीजेपी प्रयास में रहती है जहां उनकी सरकार नहीं है वहां दूसरे दलों को तोड़कर सत्ता में आए. झारखंड में भी उसी का आशंका जताई जा रही है.

ये भी पढ़ें- पूर्व कांग्रेस सांसद फुरकान अंसारी का खुलासा, असम के सीएम और केंद्रीय मंत्री से मिले थे विधायक अनूप सिंह

झारखंड के सत्ताधारी दलों की मानें तो राज्य में 2019 में जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, तभी से सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. चाहे वो हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला हो, चाहे शेल कंपनियों का मामला हो, चाहे मनरेगा घोटाला हो, चाहे खनन पट्टा का मामला हो या फिर विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला हो, सभी मामले को विपक्ष सरकार गिराने की कोशिश बता रहा है.

वहीं झारखंड के सत्ताधारी दल जेएमएम और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं. इनके प्रयासों को अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी समर्थन मिल रहा है. दीदी भी ‘दादा’ की सरकार को किसी भी हाल में बचाना चाह रहीं हैं. पिछले तीन चार दिनों से पश्चिम बंगाल की पुलिस की कार्रवाई तो इसी ओर इशारा कर रही है. पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में झारखंड से जुड़ी दो बड़ी घटनाएं हुईं हैं, जो सीधे तौर पर हेमंत सोरेन की सरकार से जुड़ी हैं.

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में पकड़े गए झारखंड के तीनों विधायक अब भी पुलिस के गिरफ्त में, अफवाह निकली रिहा होने की खबर

पहली घटना- शनिवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारी मात्रा में कैश के साथ कांग्रेस के तीन विधायकों को पकड़ा. शुरुआती खबर ये आई कि इनके पास मिले पैसे बेहिसाब हैं. गिनने के लिए मशीन मंगाई गई है. बाद में यह कहा जाने लगा कि इनके पास से 48 लाख रुपए मिले हैं, जिससे ये लोग कोलकाता कार खरीदने जा रहे थे. पैसे का सोर्स बताने के बाद इनलोगों को छोड़ने की बात हुई, लेकिन दोपहर बाद ये खबर आई की पश्चिम बंगाल की पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया है. कोर्ट में इनकी पेशी हुई और पुलिस ने इन्हें रिमांड पर ले लिया. कहा ये जा रहा है कि पश्चिम बंगाल पुलिस को इनपुट मिला था, जिसके आधार पर उसने कार्रवाई की. इनपुट कहां से मिला इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है. दीदी की सरकार ने इस मामले की जांच झट से सीआईडी को सौंप दी.

बिरसा कांग्रेस के नाम से अलग गुट: दीदी की पुलिस की कार्रवाई के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया. तरह तरह की चर्चाएं होने लगी. कांग्रेस ने महाराष्ट्र के ताजा स्थिति को देखते हुए तीनों विधायकों पर कार्रवाई करने में देरी नहीं की और उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया. कांग्रेस के एक विधायक अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाना में एक केस दर्ज करा दिया जिसमें सरकार गिराने के नाम पर प्रलोभन देने की बात कही गई है. झारखंड सहित पूरे देश में इस बात की चर्चा होने लगी कि महाराष्ट्र जैसी कहानी की स्क्रिप्ट झारखंड के लिए भी लिखी जा चुकी है. इसमें कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायक और दो निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर यहां भी सत्ता परिवर्तन हो सकता है, यहां तक कि नए गुट के नाम भी सामने आए हैं. कांग्रेस जो गुट अलग होने वाली थी उसका नाम बिरसा कांग्रेस होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन समय रहते दीदी ने अपने दादा की सरकार बचा ही.

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में ही विधायकों को दिया गया था पैसा, एक व्यापारी भी जांच के दायरे में

पश्चिम बंगाल पुलिस की दूसरी कार्रवाई: रविवार को कोलकाता पुलिस ने झारखंड के जाने माने अधिवक्ता राजीव कुमार को कैश के साथ गिरफ्तार किया है. राजीव कुमार के पास से 50 लाख कैश बरामद हुए हैं. कोलकाता पुलिस ने उन्हें दस दिनों की रिमांड पर लिया है. उनपर आरोप है कि कोलकाता के व्यवसायी से पीआईएल मैनेज करने के लिए दस करोड़ की राशि मांगी थी. पीआईएल मैनेज करने के नाम पर डील एक करोड़ में तय हुई, जिसकी पहली किश्त लेने राजीव कुमार अपने बेटे के साथ कोलकाता गए थे. पैसे की डिलीवरी जैसे ही राजीव कुमार को मिली कोलकाता पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.

राजीव कुमार की गिरफ्तार क्यों महत्वपूर्ण है: रांची के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार पीएआईएल अधिवक्ता के नाम से भी जाने जाते हैं. पिछले कई सालों में उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में दर्जनों पीआईएल दर्ज कराए हैं. इन दिनों हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा आवंटन, शेल कंपनियों और मनरेगा घोटाले से जुड़े केस भी राजीव कुमार ही देख रहे हैं. इन याचिकाओं की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में लगातार चल रही है. हेमंत सोरेन और उनकी सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे हैं लेकिन हेमंत सोरेन के पक्ष में कोर्ट का फैसला अभी तक नहीं आया है. हेमंत सोरेन से जुड़े इन केसों में अधिवक्ता राजीव कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अब जब राजीव कुमार जेल में है तो यह केस भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि दीदी की पुलिस ने राजीव कुमार को गिरफ्तार कर हेमंत सोरेन की मदद की है.

कोलकाता/रांची: वैसे तो राष्ट्रीय राजनीति में झारखंड की राजनीति की चर्चा कम ही होती है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से झारखंड की राजनीति पूरे देश में सुर्खी में है. वजह यह है कि यह वह राज्य है जहां गैर बीजेपी सरकार है, जहां जहां गैर बीजेपी सरकार रही है, वहां की राजनीति हमेशा गरमाई रहती है. झारखंड कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस सत्ता में है. वजह साफ है, पिछले कुछ सालों की राजनीति को देखें तो बीजेपी प्रयास में रहती है जहां उनकी सरकार नहीं है वहां दूसरे दलों को तोड़कर सत्ता में आए. झारखंड में भी उसी का आशंका जताई जा रही है.

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झारखंड के सत्ताधारी दलों की मानें तो राज्य में 2019 में जब से हेमंत सोरेन की सरकार बनी है, तभी से सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. चाहे वो हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला हो, चाहे शेल कंपनियों का मामला हो, चाहे मनरेगा घोटाला हो, चाहे खनन पट्टा का मामला हो या फिर विधायकों की खरीद फरोख्त का मामला हो, सभी मामले को विपक्ष सरकार गिराने की कोशिश बता रहा है.

वहीं झारखंड के सत्ताधारी दल जेएमएम और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं. इनके प्रयासों को अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी समर्थन मिल रहा है. दीदी भी ‘दादा’ की सरकार को किसी भी हाल में बचाना चाह रहीं हैं. पिछले तीन चार दिनों से पश्चिम बंगाल की पुलिस की कार्रवाई तो इसी ओर इशारा कर रही है. पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में झारखंड से जुड़ी दो बड़ी घटनाएं हुईं हैं, जो सीधे तौर पर हेमंत सोरेन की सरकार से जुड़ी हैं.

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पहली घटना- शनिवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारी मात्रा में कैश के साथ कांग्रेस के तीन विधायकों को पकड़ा. शुरुआती खबर ये आई कि इनके पास मिले पैसे बेहिसाब हैं. गिनने के लिए मशीन मंगाई गई है. बाद में यह कहा जाने लगा कि इनके पास से 48 लाख रुपए मिले हैं, जिससे ये लोग कोलकाता कार खरीदने जा रहे थे. पैसे का सोर्स बताने के बाद इनलोगों को छोड़ने की बात हुई, लेकिन दोपहर बाद ये खबर आई की पश्चिम बंगाल की पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया है. कोर्ट में इनकी पेशी हुई और पुलिस ने इन्हें रिमांड पर ले लिया. कहा ये जा रहा है कि पश्चिम बंगाल पुलिस को इनपुट मिला था, जिसके आधार पर उसने कार्रवाई की. इनपुट कहां से मिला इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है. दीदी की सरकार ने इस मामले की जांच झट से सीआईडी को सौंप दी.

बिरसा कांग्रेस के नाम से अलग गुट: दीदी की पुलिस की कार्रवाई के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया. तरह तरह की चर्चाएं होने लगी. कांग्रेस ने महाराष्ट्र के ताजा स्थिति को देखते हुए तीनों विधायकों पर कार्रवाई करने में देरी नहीं की और उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया. कांग्रेस के एक विधायक अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाना में एक केस दर्ज करा दिया जिसमें सरकार गिराने के नाम पर प्रलोभन देने की बात कही गई है. झारखंड सहित पूरे देश में इस बात की चर्चा होने लगी कि महाराष्ट्र जैसी कहानी की स्क्रिप्ट झारखंड के लिए भी लिखी जा चुकी है. इसमें कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायक और दो निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर यहां भी सत्ता परिवर्तन हो सकता है, यहां तक कि नए गुट के नाम भी सामने आए हैं. कांग्रेस जो गुट अलग होने वाली थी उसका नाम बिरसा कांग्रेस होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन समय रहते दीदी ने अपने दादा की सरकार बचा ही.

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पश्चिम बंगाल पुलिस की दूसरी कार्रवाई: रविवार को कोलकाता पुलिस ने झारखंड के जाने माने अधिवक्ता राजीव कुमार को कैश के साथ गिरफ्तार किया है. राजीव कुमार के पास से 50 लाख कैश बरामद हुए हैं. कोलकाता पुलिस ने उन्हें दस दिनों की रिमांड पर लिया है. उनपर आरोप है कि कोलकाता के व्यवसायी से पीआईएल मैनेज करने के लिए दस करोड़ की राशि मांगी थी. पीआईएल मैनेज करने के नाम पर डील एक करोड़ में तय हुई, जिसकी पहली किश्त लेने राजीव कुमार अपने बेटे के साथ कोलकाता गए थे. पैसे की डिलीवरी जैसे ही राजीव कुमार को मिली कोलकाता पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.

राजीव कुमार की गिरफ्तार क्यों महत्वपूर्ण है: रांची के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार पीएआईएल अधिवक्ता के नाम से भी जाने जाते हैं. पिछले कई सालों में उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में दर्जनों पीआईएल दर्ज कराए हैं. इन दिनों हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा आवंटन, शेल कंपनियों और मनरेगा घोटाले से जुड़े केस भी राजीव कुमार ही देख रहे हैं. इन याचिकाओं की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में लगातार चल रही है. हेमंत सोरेन और उनकी सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे हैं लेकिन हेमंत सोरेन के पक्ष में कोर्ट का फैसला अभी तक नहीं आया है. हेमंत सोरेन से जुड़े इन केसों में अधिवक्ता राजीव कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अब जब राजीव कुमार जेल में है तो यह केस भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि दीदी की पुलिस ने राजीव कुमार को गिरफ्तार कर हेमंत सोरेन की मदद की है.

Last Updated : Aug 2, 2022, 5:25 PM IST
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