रांचीः कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में दलित चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे मिल गए हैं. नवनिर्वाचित कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पदभार अभी ग्रहण नहीं किया है. लेकिन झारखंड सहित पूरे देश में कांग्रेस नेता उत्साहित हैं. अब सवाल है कि नये राष्ट्रीय अध्यक्ष झारखंड में दलीत वोट (Dalit votes in Jharkhand) को खींच पायेंगे. यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा. फिलहाल, कांग्रेस की खुशी को लेकर भारतीय जनता पार्टी तंज कस रही है. बीजेपी नेता कहते हैं कि कांग्रेस नेता राहुल और सोनिया गांधी से ऊब गए थे. इसलिए उनकी विदाई का जश्न मना रहे हैं.
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झारखंड बीजेपी के प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा कहते हैं कि देश के पर्व प्रधानमंत्री को भी रबर स्टांप बना दिया था तो मल्लिकार्जुन खड़गे तो अध्यक्ष ही बने हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव सिर्फ आईवाश था. एक दलित और अनुभवी नेता को कांग्रेस की बागडोर संभालने से भाजपा मुद्दा विहीन हो गयी है और इसका लाभ चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा. इस सवाल के जवाब में प्रदीप वर्मा कहते है कि राज्य के दलित जानते है कि कैसे कांग्रेस और उसके नेता ठगते रहे हैं. दलितों का अपार जनसमर्थन भाजपा के साथ है.
झारखंड कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बीजेपी के बयान पर पटलवार करते हुए कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा किसके रबर स्टंप हैं. उन्होंने भाजपा को चैलेंज देते हुए कहा कि हिम्मत है तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करा लें. उन्होंने कहा कि अपने नेताओं को मार्गदर्शन मंडली में डालने वाली भाजपा को बोलने का हक नहीं है. कांग्रेस और हर एक कांग्रेसी के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी एक अभिभावक के रूप में सर्वमान्य रहेंगे.
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों की संख्या 9 थी, जिसमें 6 सीट जमुआ, चंदनकयारी, सिमरिया, छत्तरपुर, कांके और देवघर में बीजेपी की जीत हुई. राजद ने चतरा अनुसूचित जाति सुरक्षित सीट और जेएमएम ने लातेहार और जुगसलाई सीट पर जीत दर्ज की. लेकिन एक भी आरक्षित सीट कांग्रेस के खाते में नहीं आई. अब कांग्रेस को उम्मीद है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से राज्य में एक बार फिर दलित वोटर कांग्रेस की ओर आकर्षित होंगे.