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तिरंगा निर्माण कार्य में वर्षों से जुटा है यह परिवार, दे रहा मजहबी एकता का संदेश

भारत में अनेकों धर्म, संप्रदाय को मानने वाले लोग रहते हैं. यहां पग-पग पर जैसे जलवायु परिवर्तित होती है वैसे ही संस्कृति भी बदल जाती है. लेकिन इस विविधता के बावजूद यहां लोगों के बीच जो एकता है, वह काबिल-ए-मिशाल है. सैंकड़ों साल की गुलामी के बाद देश जिन परिस्थितियों में आजाद हुआ था, उसने एकबारगी इस एकता पर सवाल जरूर खड़े किए. लेकिन इस विकट परिस्थिति के बाद भारत ने फिर कभी यह इतिहास नहीं दोहराया.

तिरंगा निर्माण जोरों-शोरों से
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Published : Aug 13, 2019, 9:47 PM IST

रांची: आजादी के 70 साल से अधिक बीत गए हैं लेकिन आज तक यहां के लोगों ने मजहबी एकता का ही परिचय दिया है. आजादी के बाद जिन भी लोगों ने भारत की धरती को चुना, उसे चुमा भी है. तभी तो त्योहार किसी धर्मावलंबी के हो इसमें शरीक हर कोई होता है. देखा जाए तो त्योहार में वे केवल शरीक ही नहीं होते बल्कि उसके भागीदार भी बनते हैं और बात जब देश के स्वतंत्रता दिवस की हो तब भला इसमें कौन पीछे रहना चाहेगा. तिरंगे की शान में ऐसा कोई मजहब नहीं जिसके अनुयायियों ने अपनी जान नहीं दी है.

देखें यह स्पेशल स्टोरी

वैसे देखा जाए तो तिरंगे की शान में लोगों ने जान ही नहीं दी है बल्कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोग तिरंगा लहराकर जश्न मना सके इसके लिए सभी समारोह की तैयारियों में भी जुटते हैं. अब जब स्वतंत्रता दिवस इतना नजदीक आ चुका है तो राजधानी रांची में भी इस विशेष दिवस को लेकर तैयारियां जोर-शोर पर है.

इन दो परिवार में से एक परिवार है अब्दुल सत्तार चौधरी का, जो अप्पर बाजार स्थित पुस्तक पथ के समीप अपनी तिरंगे की दुकान चलाते हैं. इस दुकान में इनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटाते हैं. इनका कहना है कि चार माह पूर्व से वह तिरंगा निर्माण में जुट जाते हैं ताकि राजधानी के लोगों को देश की शान तिरंगा आसानी से मुहैया हो सके. वे कहते हैं कि जैसे-जैसे समारोह का दिन नजदीक आता जाता है, वैसै-वैसे तिरंगा निर्माण का काम कम होता जाता है और बिक्री बढ़ती जाती है.

वहीं, दूसरी ओर हरमू के रहने वाले मोहम्मद आलम कहते हैं कि वह जून महीने से ही तिरंगा निर्माण काम में जुट जाते हैं. पहले दादा, फिर पिता और अब वे इस काम में जुट गए हैं. उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हर किसी को तिरंगा फहराकर देश के लिए मर-मिटने की कसम खानी चाहिए.

यह दोनों ही परिवार पिछले 70 वर्षों से रांची में तिरंगा निर्माण में जुटा है. यूं तो यह परिवार आए दिन पताका निर्माण कार्य में जुटा रहता है. सरहुल हो रामनवमी हो यो कोई और मौका सबमें अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं लेकिन इनका कहना है कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर परिवारों में खुशी चौगुनी रहती है. सच में यही मजहबी एकता हमारे देश की आन-बान-शान है. जिसकी मजबूती के दम पर हमारा तिरंगा हमेशा लहराता रहता है.

रांची: आजादी के 70 साल से अधिक बीत गए हैं लेकिन आज तक यहां के लोगों ने मजहबी एकता का ही परिचय दिया है. आजादी के बाद जिन भी लोगों ने भारत की धरती को चुना, उसे चुमा भी है. तभी तो त्योहार किसी धर्मावलंबी के हो इसमें शरीक हर कोई होता है. देखा जाए तो त्योहार में वे केवल शरीक ही नहीं होते बल्कि उसके भागीदार भी बनते हैं और बात जब देश के स्वतंत्रता दिवस की हो तब भला इसमें कौन पीछे रहना चाहेगा. तिरंगे की शान में ऐसा कोई मजहब नहीं जिसके अनुयायियों ने अपनी जान नहीं दी है.

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वैसे देखा जाए तो तिरंगे की शान में लोगों ने जान ही नहीं दी है बल्कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोग तिरंगा लहराकर जश्न मना सके इसके लिए सभी समारोह की तैयारियों में भी जुटते हैं. अब जब स्वतंत्रता दिवस इतना नजदीक आ चुका है तो राजधानी रांची में भी इस विशेष दिवस को लेकर तैयारियां जोर-शोर पर है.

इन दो परिवार में से एक परिवार है अब्दुल सत्तार चौधरी का, जो अप्पर बाजार स्थित पुस्तक पथ के समीप अपनी तिरंगे की दुकान चलाते हैं. इस दुकान में इनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटाते हैं. इनका कहना है कि चार माह पूर्व से वह तिरंगा निर्माण में जुट जाते हैं ताकि राजधानी के लोगों को देश की शान तिरंगा आसानी से मुहैया हो सके. वे कहते हैं कि जैसे-जैसे समारोह का दिन नजदीक आता जाता है, वैसै-वैसे तिरंगा निर्माण का काम कम होता जाता है और बिक्री बढ़ती जाती है.

वहीं, दूसरी ओर हरमू के रहने वाले मोहम्मद आलम कहते हैं कि वह जून महीने से ही तिरंगा निर्माण काम में जुट जाते हैं. पहले दादा, फिर पिता और अब वे इस काम में जुट गए हैं. उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हर किसी को तिरंगा फहराकर देश के लिए मर-मिटने की कसम खानी चाहिए.

यह दोनों ही परिवार पिछले 70 वर्षों से रांची में तिरंगा निर्माण में जुटा है. यूं तो यह परिवार आए दिन पताका निर्माण कार्य में जुटा रहता है. सरहुल हो रामनवमी हो यो कोई और मौका सबमें अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं लेकिन इनका कहना है कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर परिवारों में खुशी चौगुनी रहती है. सच में यही मजहबी एकता हमारे देश की आन-बान-शान है. जिसकी मजबूती के दम पर हमारा तिरंगा हमेशा लहराता रहता है.

Intro:रांची।

स्वतंत्रता दिवस को लेकर तैयारियां जोरों पर देखी जा रही है .15 अगस्त को कश्मीर से कन्याकुमारी तक शान से तिरंगा झंडा फहराया जाएगा .लोग तिरेंगे की शान में मर मिटने की कसमें खाएंगे और देश के लिए संकल्प भी दोहराएंगे. राजधानी रांची में भी इस विशेष दिवस को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है .ऐसे में 4 महीने पहले से ही तिरंगा झंडा निर्माण कार्य में राजधानी रांची के कई मुस्लिम परिवार जुट जाते हैं .इनका उद्देश्य और संदेश यह रहता है कि हर घर में एक तिरंगा जरूर फहराया जा सके. ऐसे ही दो परिवारों के सदस्यों के साथ हमारी टीम ने खास बातचीत की है .जो पिछले 70 वर्षों से पूरे परिवार के साथ तिरंगा निर्माण में जुटे रहते हैं.


Body:वैसे तो राजधानी रांची में कई मुस्लिम परिवार है जो पताका निर्माण कार्य में जुटे रहते हैं. सीजन के दौरान विभिन्न पार्टियों के अलावे सरहुल और रामनवमी का झंडा भी इनके द्वारा ही सिलाई किया जाता है और निर्माण भी किया जाता है .लेकिन गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन परिवारों में खुशी चौगुनी रहती है .ये है अब्दुल सत्तार चौधरी जो अप्पर बाजार स्थित पुस्तक पथ के समीप अपना तिरंगा झंडा का दुकान चलाते हैं और इस दुकान पर उनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटाते हैं .ये कहते हैं चार माह पूर्व से वह तिरंगा झंडा निर्माण में जुटे रहते हैं. ताकि राजधानी के लोगों को देश की शान तिरंगा झंडा आसानी से मुहैया हो सके. इस दौरान इन्होंने हमारी टीम के साथ बातचीत के क्रम में मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि 370 जम्मू कश्मीर से हटाना एक कड़ा निर्णय था और अच्छा फैसला है. जो पूरे देश को स्वागत करने की जरूरत है .पाकिस्तान को औकात में रहने की बात भी चौधरी साहब कहते हैं. हालांकि अब काम पूरा हो चुका है .अब सिर्फ तिरेंगे की बिक्री दुकान में हो रही है .वहीं दूसरी ओर हरमू के रहने वाले मोहम्मद आलम कहते हैं कि वह जून महीने से ही तिरंगे निर्माण काम में जुट जाते हैं. पहले दादाजी फिर पिता इस काम को करते आये है. अब वह तिरंगा निर्माण के काम में जुटे रहते हैं .घर के अलावे दुकान में भी वह तिरंगा निर्माण का काम करते हैं .उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा है कि 15 अगस्त के दिन एक भी घर छूटे नहीं. हर घर के छत पर तिरंगा होना जरूरी है. इसी उद्देश्य को लेकर 2 महीने पहले से ही स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में जुट जाते हैं.


बाइट- अब्दुल सत्तार चौधरी.

बाइट- मोहम्मद आलम.


Conclusion:सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलसितां हमारा ....जी हां भारत ही एक ऐसा देश है जहां हर धर्म हर मजहब के लोग बड़े ही प्यार और शिद्दत के साथ आपस में भाईचारेगी को बनाए रखता है .इस देश की पहचान ही एकता में है और निरंतर देश अखंड और एकता के साथ आगे भी बढ़ रही है .हमारी टीम की ओर से भी स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं.
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