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झारखंड में लोकायुक्त का पद खाली, अधर में लटका भ्रष्टाचार से जुड़े केसों की सुनवाई

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Published : Oct 19, 2021, 8:23 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 8:38 PM IST

झारखंड में लोकायुक्त का पद खाली है. जिसके कारण भ्रष्टाचार के लगभघ डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप है. लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई के साथ-साथ जजमेंट का काम भी नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. नए लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है.

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लोकायुक्त कार्यालय

रांची: राज्य सरकार की उदासीनता के कारण कई महिनों से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. संवैधानिक रुप से अतिमहत्वपूर्ण इस पद के खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप पड़ी हुई है.

इसे भी पढे़ं: झारखंड में लोकायुक्त का पद खाली, कैसे होगी करप्शन के केसों की सुनवाई


पद खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप है. कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी. उसके बाद लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के असामयिक निधन के कारण सुनवाई ठप हो गई. लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. नए लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता है.

देखें पूरी खबर



नए लोकायुक्त का होगा मनोनयन

लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल फरवरी 2022 तक था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी असामयिक निधन 29 जून को दिल्ली एम्स में हो गया था. उनके असामयिक निधन के बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. लोकायुक्त के रिक्त पद को भरने के लिए राज्य सरकार को नए लोकायुक्त मनोनीत करना होगा. लोकायुक्त का मनोनयन पांच वर्षों के लिए होता है. जिसका चयन मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष के द्वारा की जाती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी को लोकायुक्त के रुप में पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. ऐसे में नए लोकायुक्त का मनोनयन होने तक स्वभाविक रूप से केसों की सुनवाई बाधित रहेगी.

इसे भी पढे़ं: 48 वर्ष पुराने बिहार के लोकायुक्त एक्ट के सहारे झारखंड, कैसे भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश



लोकायुक्त नियुक्ति की उठी मांग

राज्य में नए लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग उठने लगी है. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक इसकी मांग कर सरकार पर दवाब बनाने में जुटी है.विपक्षी दल भाजपा ने सरकार से अविलंब नये लोकायुक्त को नियुक्त करने की मांग सरकार से की है.बीजेपी विधायक समरीलाल ने सरकार की उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इससे भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई बाधित है.जब सुनवाई ही नहीं होंगे तो भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश कैसे लगेगा. वहीं सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस ने लोकायुक्त की नियुक्ति जल्द होने की संभावना जताते हुए विपक्ष की मांग को सही बताया है.कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए सरकार पर पार्टी दवाब बनाने का प्रयास करेगी वहीं झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने लोकायुक्त की नियुक्ति अतिशीघ्र होने की उम्मीद जताई है.

झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर

झारखंड के लोकायुक्त, महिला आयोग, सूचना आयोग, बाल संरक्षण आयोग, मानवाधिकार आयोग, विद्युत नियामक आयोग, शिक्षा न्यायाधिकरण सहित सभी आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के नियुक्ति की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता धीरज कुमार ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सभी रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति का निर्देश सरकार को देने की मांग की है. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि पिछले 2 वर्षों से अधिक से राज्य के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष सदस्य के पद रिक्त होने के कारण लोगों का काम नहीं हो पा रहा है, उन्हें न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है.

रांची: राज्य सरकार की उदासीनता के कारण कई महिनों से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. संवैधानिक रुप से अतिमहत्वपूर्ण इस पद के खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप पड़ी हुई है.

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पद खाली रहने से लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के करीब डेढ हजार से अधिक केस की सुनवाई ठप है. कोरोना के कारण सुनवाई बाधित थी. उसके बाद लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के असामयिक निधन के कारण सुनवाई ठप हो गई. लोकायुक्त का पद रिक्त होने से केसों की सुनवाई और जजमेंट का काम नहीं हो रहा है. बांकी कार्य लोकायुक्त अधिनियम के तहत संचालित हो रहे हैं. नए लोकायुक्त के मनोनयन तक यहां केसों की सुनवाई शुरू होने की संभावना नहीं है. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में फैले भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई फिलहाल खटाई में पड़ता है.

देखें पूरी खबर



नए लोकायुक्त का होगा मनोनयन

लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कार्यकाल फरवरी 2022 तक था. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी असामयिक निधन 29 जून को दिल्ली एम्स में हो गया था. उनके असामयिक निधन के बाद से राज्य में लोकायुक्त का पद खाली है. लोकायुक्त के रिक्त पद को भरने के लिए राज्य सरकार को नए लोकायुक्त मनोनीत करना होगा. लोकायुक्त का मनोनयन पांच वर्षों के लिए होता है. जिसका चयन मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष के द्वारा की जाती है. संवैधानिक व्यवस्था के तहत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी को लोकायुक्त के रुप में पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है. ऐसे में नए लोकायुक्त का मनोनयन होने तक स्वभाविक रूप से केसों की सुनवाई बाधित रहेगी.

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लोकायुक्त नियुक्ति की उठी मांग

राज्य में नए लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग उठने लगी है. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक इसकी मांग कर सरकार पर दवाब बनाने में जुटी है.विपक्षी दल भाजपा ने सरकार से अविलंब नये लोकायुक्त को नियुक्त करने की मांग सरकार से की है.बीजेपी विधायक समरीलाल ने सरकार की उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इससे भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई बाधित है.जब सुनवाई ही नहीं होंगे तो भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश कैसे लगेगा. वहीं सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस ने लोकायुक्त की नियुक्ति जल्द होने की संभावना जताते हुए विपक्ष की मांग को सही बताया है.कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए सरकार पर पार्टी दवाब बनाने का प्रयास करेगी वहीं झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने लोकायुक्त की नियुक्ति अतिशीघ्र होने की उम्मीद जताई है.

झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर

झारखंड के लोकायुक्त, महिला आयोग, सूचना आयोग, बाल संरक्षण आयोग, मानवाधिकार आयोग, विद्युत नियामक आयोग, शिक्षा न्यायाधिकरण सहित सभी आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के नियुक्ति की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता धीरज कुमार ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सभी रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति का निर्देश सरकार को देने की मांग की है. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि पिछले 2 वर्षों से अधिक से राज्य के विभिन्न आयोग में अध्यक्ष सदस्य के पद रिक्त होने के कारण लोगों का काम नहीं हो पा रहा है, उन्हें न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है.

Last Updated : Oct 19, 2021, 8:38 PM IST
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