रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बचाव को लेकर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन का प्रभाव छोटे-बड़े सभी वर्ग के व्यापार पड़ रहा है. फल मंडी में भी लॉकडाउन का व्यापक असर देखने को मिल रहा है, जिसके कारण आम जानों को भी परेशानी हो रही है.
लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों से आने वाला फल नहीं आ रहा है, जिसके कारण फल विक्रेता के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मंडी में फल नहीं आने के कारण महंगाई भी बढ़ गई है.
राजधानी रांची में छोटे-बड़े कई फल मंडी हैं, जहां से रांची समेत कई दूसरे जिलों में भी फल की आपूर्ति की जाती है, लेकिन देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों से आने वाला फल यहां के मंडी में नहीं पहुंच पा रहा है, जिसके कारण कई फल मंडी या तो बंद हो गए हैं या फिर कई फल मंडी बंद होने के कगार पर है.
थोक विक्रेता के पास स्टॉक की कमी
थोक फल विक्रेता की मानें तो शहर में फल आपूर्ति के लिए महज 8 से 10 दिनों का ही मंडी में स्टॉक है, एक समय था जब इस मंडी से जिले के विभिन्न शहरों में फल भेजे जाते थे, लेकिन अभी फल मंडी में ही स्टोर काफी कम है. लॉकडाउन के कारण मार्केट में 80% फल स्टोर से ही फल आ रहे हैं. स्टोर में कम फल रहने के कारण फलों के दाम में काफी वृद्धि हो रही है, क्योंकि शहर में जितने भी फल मिल रहे हैं वह ओरमांझी, रातू, हजारीबाग कुजू के स्टोर से बाजार में उपलब्ध कराए जा रहे हैं. स्टोर में भी अब स्टॉक काफी कम हो गया है. यही कारण है कि बाजारों में फलों का डिमांड ज्यादा हो गया है और किमतों में भी इजाफा हो गया है.
डाउन से पहले फल की कीमत और लॉकडाउन के बाद फल की कीमत में अंतर
फल | कीमत पहले(प्रति किलो) | कीमत अब (प्रति किलो) |
सेब | 70 रु | 100 रु |
संतरा | 40 रु | 80 रु |
लाल सेब | 160 रु | 180 रु |
अनार | 70 रु | 100 रु |
अंगूर | 60 रु | 80 रु |
केला | 30 रु | 50 रु |
तरबूज | 14 रु | 20 रु |
खरबूज | 40 रु | 60 रु |
आम | 150 रु | 200 रु |
रांची शहर में खुदरा फल दुकान काफी कम लग रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम के लोगों का पाक महीना रमजान भी शुरू हो गया है, जिसके कारण फल की डिमांड बढ़ गई है. लोगों को फल आसानी से मिले इसको लेकर खुदरा फल विक्रेता दूसरे जिलों से फल मंगा कर बेच रहे हैं.
ग्राहक भी बरत रहे सावधानी
खुदरा फल विक्रेताओं की मानें तो दूर दराज से फल मंगाने में ट्रांसपोर्ट चार्ज की लागत बढ़ गई है, जिसको लेकर कीमत में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर हुई है, क्योंकि इस वक्त फल या तो हर दूसरे राज्यों से आ रहे हैं या फिर स्टोर में रखे फल बाजार में मिल रहे हैं. खरीदारों की मानें तो फल खरीदते समय काफी सतर्कता बरत रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं जो फल खरीद कर घर ले जा रहे हैं उनके जरिए ही संक्रमण उनके घर तक ना पहुंच जाए.
झारखंड में गर्मी के इस मौसम में तरबूज, खरबूज को छोड़कर कोई भी मौसमी फल की पैदावार बड़े पैमाने पर नहीं होती है, जबकि इस समय मौसमी फल की मांग काफी बढ़ जाती है. आम, अंगूर, सेब, केला संतरा जैसे फल दूसरे राज्यों से मंगाकर यहां पूर्ति की जाती है. इन मौसमी फल का आयात बड़े पैमाने पर होगी, तभी फलों की डिमांड पूरी की जा सकती है.