रांची: झारखंड की लुप्त हो रही कला-संस्कृति को बचाने की कोशिश के तहत अब स्थानीय कलाकारों के द्वारा कॉलेजों के छात्रों को हैंडीक्राफ्ट, म्यूजिक डांस जैसी विधाओं के बारे में न केवल जानकारी दी जाएगी, बल्कि उन्हें हुनरमंद बनाया जाएगा. यूजीसी के निर्देश पर राज्य भर के सभी विश्वविद्यालयों में इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कला के संबंध में पढ़ाने और सिखाने का निर्देश यूजीसी ने पिछले दिनों सभी विश्वविद्यालयों को दिया है. जिसके बाद रांची विश्वविद्यालय सहित राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
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कलाकारों और कारीगरों को कला गुरु की मिलेगी उपाधिः योजना के तहत स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने का प्रयास इस माध्यम से किया गया है. इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें कला गुरु की उपाधि दी जाएगी. इन कलाकारों का चयन कुलपति की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी करेगी. इस कमेटी में कुलपति या उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि के अलावा विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार और प्राचार्य रहेंगे.
कला गुरु बनाएंगे विद्यार्थियों को हुनरमंदः योजना के तहत सबसे पहले विश्वविद्यालय के द्वारा कला गुरु का चयन किया जाएगा. उसके बाद इन कला गुरुओं के माध्यम से संबंधित कला क्षेत्र में लेक्चर, प्रदर्शनी, वर्कशॉप, प्रैक्टिकल, ट्रेनिंग आदि आयोजित की जाएगी. यूजीसी के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में हैंडीक्राफ्ट, म्यूजिक, डांस, फोक डांस, मॉडर्न एक्सपेरिमेंटल, कंटेंपरेरी डांस, टैक्सटाइल, पेंटिंग, कैलिग्राफी, ड्राइंग, इंस्टॉलेशन, प्रिंट मेकिंग, प्रोफेशनल आर्ट, नौटंकी, योगा, मेहंदी, फ्लोर आर्ट, मैजिक शो, पपेट शो, कॉमिक, आर्ट, फैशन आदि विधाओं में कला गुरु विद्यार्थियों को हुनरमंद बनाएंगे.
झारखंड के नृत्य और वाद्य यंत्रः जनजातीय बहुल झारखंड की कला संस्कृति काफी प्राचीन है. यहां नृत्य और वाद्य यंत्र लोक जीवन में बसा हुआ है. शायद यही वजह है कि हर अवसर पर नृत्य और संगीत देखने को मिलती है. नई शिक्षा नीति के तहत झारखंड के पौराणिक नृत्य और वाद्य यंत्र को संरक्षित करने में सफलता मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
आइए जानते हैं झारखंड के कौन-कौन से नृत्य और वाद्य यंत्र हैं
- लोक नृत्यः डमकच नृत्य, आगनाई नृत्य, शादी नृत्य ,करमा नृत्य, पाइका नृत्य आदि शामिल हैं.
- उरांव नृत्यः सरहुल नृत्य, करम नृत्य, जेठे जतरा नृत्य, बेजा फागु पर्व, जितिया नृत्य, कार्तिक जतरा, सोहराय आदि हैं.
- मुंडारी नृत्यः पैका नृत्य, करमा खेल, चुमान, खेमटा आदि हैं.
- संताली नृत्यः सोहराय, बाहा, लागडे, गोलवरी, छटियार आदि शामिल हैं.
- छऊ नृत्यः गणेश वंदना, भैंसासुर वध, किरात अर्जुन, अभिमन्यु वध शामिल हैं.
- वाद्य यंत्रः मांदर, ट्रिपल ड्रम आदि शामिल हैं.