रांची: रिम्स में स्वास्थ्य सुविधाएं दिन ब दिन लचर होती जा रहीं हैं. यहां व्यवस्थाओं में सुधार का कोई प्रयास किया जाता दिखाई नहीं दे रहा है. यहां सालों से वार्डों में सीवर का पानी भरने की समस्या बनी हुई है, जिसकी आफत से महज कुछ दिन पहले ही मरीज और तीमारदार दो चार हुए हैं. इसी सूची में कैंसर के इलाज के लिए खराब रेडिएशन थेरेपी की मशीन का नाम जुड़ने की कगार पर है. अस्पताल की यह मशीन कई महीने से खराब है और 18 करोड़ की इस मशीन को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यहां कैंसर मरीजों का इलाज कैसे हो रहा है.
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रिम्स की नहीं सुन रही कंपनी
बता दें कि रिम्स में कैंसर मरीजों के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी की मशीन एक वर्ष से खराब पड़ी है. ऑन्कोलॉजी विभाग में 18 करोड़ की लागत से लगाई गई लीनियर एक्सीलेटर मशीन मेंटेनेंस के अभाव में बंद है. इस वजह से रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को रेडिएशन थेरेपी के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि इस मशीन के मेंटेनेंस के लिए हरियाणा की कंपनी इलेक्ट्रा लिमिटेड को पत्र लिखा जा चुका है और उसे ठीक करने का निर्देश भी दिया गया है. हालांकि कंपनी का मैकेनिक अभी नहीं आया है जबकि रिम्स की ओर से मशीन की किस्त की राशि भी जमा कर दी गई है. डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि रिम्स के निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने कंपनी को अगले 14 दिनों में मशीन ठीक नहीं होने पर आगे की किस्त होल्ड करने की चेतावनी भी दी गई है.
हर बार मरीज को 20 हजार की चपत
इधर रिम्स में मशीन दुरुस्त न होने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.गोड्डा से आए मरीज अब्दुल का कहना है इस मशीन के खराब होने की वजह से हमें अपने मरीज की रेडिएशन थेरेपी कराने के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिसके लिए हमें 15 से 20 हजार रुपये चुकाने पड़ते हैं जो कि हमारे जेब पर सीधा असर डालता है. वहीं बोकारो से आए एक मरीज ने बताया कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में यदि इतनी महंगी मशीन की व्यवस्था की गई है तो यह हमारा सौभाग्य है. लेकिन रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण इस मशीन से गरीब मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
कब लगाई गई थी मशीन
रिम्स के ऑन्कोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग में 2013-14 में लीनियर एक्सीलरेटर मशीन लगाई गई थी. यह मशीन 2014 में ऑपरेशनल हुई थी. फिलहाल मेंटेनेंस के अभाव में करीब एक साल से मशीन खराब पड़ी है. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है.
कैसे करती है काम
यह मशीन सीधे कैंसरग्रस्त कोशिका को टारगेट करती है और सामान्य कोशिका पर रेडिएशन का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. इसमें दूसरी मशीनों के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन निकलता है. इसको चलाने के लिए रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट का होना जरूरी है.