रांची: अमिताभ चौधरी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. बतौर आईपीएस उन्होंने झारखंड में कई सराहनीय काम किए. बाद में बीसीसीआई से जुड़े. उनकी पहल पर ही रांची में वर्ल्ड क्लास जेएससीए स्टेडियम बन सका, जहां अबतक कई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच हो चुके हैं. इस स्टेडियम की विश्व के नामचीन खिलाड़ी तारीफ कर चुके हैं.
हालांकि क्रिकेट के लिए कुछ और करने की अमिताभ चौधरी की चाहत अधूरी रह गई. पिछले साल 16 अगस्त को अचानक सीने में दर्द की शिकायत के बाद असमय उनका निधन हो गया था. अब उनकी विरासत को संभाल रहे जेएससीए के पदाधिकारियों की एक पहल से स्वर्गीय अमिताभ चौधरी का परिवार बेहद आहत है.
दरअसल, जेएससीए ने दिवंगत अमिताभ चौधरी के सम्मान में स्वर्ण जड़ित प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव दिया है. इसपर उनके पुत्र अभिषेक चौधरी ने आपत्ति जतायी है. उन्होंने जेएससीए के सचिव को कानूनी नोटिस भेजा है. अभिषेक चौधरी ने अपने पिता की स्वर्ण जड़ित प्रतिमा लगाने के प्रस्ताव को उनके जीवन मूल्यों आदर्शों और संघर्षों पर प्रहार बताया है. परिवार ने JSCA के सचिव को कानूनी नोटिस भेजकर गंभीर आपत्ति जताई है. साथ ही कुछ जरूरी जानकारियां भी मांगी है ताकि स्वर्गीय अमिताभ चौधरी की विरासत को अक्षुण्ण रखा जा सके.
अभिषेक चौधरी ने कहा है कि उनके आदर्शों के अनुरूप कार्य ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी. बकौल अभिषेक, उनके पिता व्यक्ति पूजा और बाहरी आडंबर के सख्त विरोधी थे. उनके लिए कर्म ही पूजा थी. कार्य के प्रति उनकी एकनिष्ठा और समर्पण अद्भुत था. परिणाम में विश्वास करते थे. आडंबर के खिलाफ थे. उनकी पुण्यतिथि पर इस तरह की प्रतिमा लगाए जाने की घोषणा करना उनकी स्मृति को आभाहीन और धूमिल करने के साथ-साथ उनकी बौद्धिक संपदा को भी धूल धूसरित करता है.
इस मसले पर जेएससीए के सचिव देवाशीष चक्रवर्ती से फोन नंबर 9431300851 पर बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. उनका फोन फॉर्वर्डेड मोड पर था. जानकारी के मुताबिक 27 अगस्त को जेएससीए का एजीएम होना है. इसमें मूर्ति लगाने वाले प्रस्ताव पर तारीख तय होनी थी. लेकिन दिवगंत अमिताभ चौधरी के पुत्र अभिषेक चौधरी के रूख से पूरा जेएससीए मैनेजमेंट पशोपेश में पड़ गया है. इस मसले पर कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
आपको बता दें कि पिछले साल 16 अगस्त को अमिताभ चौधरी का सीने में दर्द की शिकायत के बाद निधन हो गया है. निधन से ठीक एक दिन पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने पारंपरिक लिबास पहनकर जेएससीए में तिरंगा फहराया था.