रांची: राजधानी रांची पर ट्रैफिक का बोझ हर दिन बढ़ रहा है. इसका एकमात्र उपाय है सड़क का चौड़ीकरण या फ्लाईओवर का निर्माण. ट्रैफिक सिस्टम को स्मूथ करने के लिए नगर विकास विभाग के पहल पर कई फ्लाईओवर का निर्माण तेजी से हो रहा है, लेकिन राजधानी के सबसे व्यस्ततम सड़कों में शुमार सर्कुलर रोड का चौड़ीकरण सिर्फ बिजली विभाग की सुस्ती के कारण नहीं हो पा रहा है. यह सवाल खुद नगर विकास विभाग की ओर से उठाया गया है.
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दरअसल, कचहरी चौक से कांटाटोली चौक तक सड़क का चौड़ीकरण होना है. इसके लिए करीब 100 बिजली के खंभों को बिजली विभाग को सड़क के किनारे शिफ्ट करना है. इसके अलावा 33 केवीए और 11 केवीए के बिजली के तारों के साथ अन्य केबल को अंडरग्राउंड किया जाना है, लेकिन बिजली विभाग के असहयोगात्मक रवैये के कारण सर्कुलर रोड का फोरलेनिंग और चौड़ीकरण नहीं हो पा रहा है.
कचहरी चौक से कांटाटोली चौक तक 2.772 किलोमीटर सड़क का फोरलेनिंग होना है. नगर विकास विभाग का दावा है कि इससे जुड़ी सभी जरूरतें पूरी कर ली गईं हैं. इस काम के लिए एजेंसी को कार्यादेश भी दिया जा चुका है. पिछले साल अगस्त 2022 से ही बिजली बोर्ड को लगभग एक सौ खंभों और 30 ट्रांसफारमर को किनारे करने के लिए प्राक्कलन उपलब्ध कराने के संबंध में पत्राचार किया जा चुका है. इसके अलावा 11 केवीए, 33 केवीए, 440 वोल्ट और 220 वोल्ट के तारों को भी भूमिगत करने के लिए प्राक्कलन को नई दर से तैयार करने का अनुरोध पत्रों के माध्यम से किया जा चुका है. लेकिन बिजली विभाग की ओर से आठ माह के बाद भी प्राक्कलन उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिसके कारण फोरलेनिग का काम बाधित हो रहा है.
सर्कुलर रोड के दोनों किनारों पर महत्वपूर्ण शिक्षण एवं कोचिंग संस्थान हैं. वुमेंस कॉलेज, न्यूक्लियस मॉल समेत बड़ी संख्या में दुकानों की वजह से भी इस रोड पर गाड़ियां रेंगती रहती हैं. सर्कुलर रोड हमेशा जाम की समस्या से त्रस्त रहता है. इसको दूर करने के लिए सड़क को 15 से 17 मीटर चौड़ा कर फोरलेनिंग किया जा रहा है. वर्तमान में इसकी चौड़ाई 9 से 10 मीटर है.
एक विभाग की ओर से दूसरे विभाग पर इतने गंभीर सवाल उठाए जाने पर ईटीवी भारत की टीम ने जेबीवीएनएल के जीएम पीके श्रीवास्तव से बात की. उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा एस्टीमेट तैयार हो चुका है. लेकिन काम करने के लिए बिजली विभाग को आरओडब्यू यानी राइट ऑफ वे की जरूरत है, इसके बिना बिजली खंभे कैसे शिफ्ट होंगे. उन्होंने कहा कि राजधानी में कई जगह बिजली के खंभे हटाए गये हैं. लेकिन इस मामले में विलंब की कई वजहें रहीं हैं. सबसे बड़ा कारण आरओडब्ल्यू है. इसके अलावा मेटेरियल का रेट भी बढ़ गया है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके विभाग के अधीक्षण अभियंता लगातार जुडको के टच में हैं. जुडको को भी प्राथमिकता तय करनी होगी कि कहां पर पहले खंभों को शिफ्ट करना है. यह पूछे जाने पर कि आठ माह बाद भी अगर मामला लटका पड़ा है तो इसके लिए कौन जिम्मेवार है. इसके जवाब में उन्होंने पुरानी बातों को दोहराते हुए कहा कि एक सप्ताह के भीतर कवायद शुरू कर दी जाएगी.
आपको बता दें कि जुडको की ओर से सर्कुलर रोड के दोनों किनारों पर यूटिलिटी डक्ट और ड्रेनेज बनाया जाना है. इसके अलावा वाटर एटीएम, शौचालय, पार्किंग जोन, बस स्टाप और वेंडिंग जोन का भी निर्माण किया जाना है. डक्ट में बिजली के तार ले जाये जाने से रखरखाव और प्रबंधन की लागत बहुत कम हो जाएगी. इस रोड पर ट्रैफिक मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरा भी लगाना है. डक्ट में सभी प्रकार के केबल भूमिगत करना है, इस योजना पर लगभग 51 करोड़ रु. खर्च किए जाने हैं. लेकिन सारा काम बिजली विभाग की सुस्ती की वजह से अटका पड़ा है.