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झारखंड में कोर्ट फीस बढ़ोतरी का विरोध, काला बिल्ला लगाकर 25000 वकीलों ने किया कार्य बहिष्कार

झारखंड सरकार के कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के फैसले का पूरे राज्य भर के अधिवक्ता विरोध कर रहे हैं. विरोध प्रकट करते हुए 25000 अधिवक्ता काला बिल्ला लगाकर अदालत परिसर आए लेकिन, न्यायिक कार्य से अलग रहे. अधिवक्ताओं की मानें तो सरकार का यह फैसला गरीबों को न्याय से वंचित रखने वाला है.

protest against court fee hike in Jharkhand
protest against court fee hike in Jharkhand
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Published : Jul 25, 2022, 2:22 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 4:39 PM IST

रांची: झारखंड सरकार की ओर से कोर्ट फीस में बढ़ोतरी करने के विरोध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल (Jharkhand State Bar Council) के आह्वान पर राज्य भर के 25000 अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार किया है. अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रकट किया और अदालती कार्य में भाग नहीं लिया. वे अपने निश्चित समय से अदालत परिसर आए और काला बिल्ला लगाकर अपनी जगह पर बैठ गए. इस दौरान सभी ने किसी भी प्रकार की न्यायिक कार्य से खुद को अलग रखा.

इसे भी पढ़ें: झारखंड में न्याय पाना हो गया महंगा, दीवानी और फौजदारी मामलों में 10 गुणा तक बढ़ी फीस

न्यायाधीश समय से पहुंचे थे अदालत: हाईकोर्ट में सभी न्यायाधीश अपने निश्चित समय से अदालत में बैठे लेकिन अधिवक्ता न अदालत गए, न बहस में भाग लिए, न ही किसी तरह की कोई याचिका दायर की. अधिवक्ता के नहीं पहुंचने के कारण न्यायिक कार्यवाही अधिक नहीं हो सकी. हालंकि, अदालती कार्रवाई जारी रही और आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए.

जनता को नुकसान: झारखंड हाई कोर्ट सहित राज्य के सभी जिला न्यायालय और अनुमंडल न्यायालय में अधिवक्ताओं ने कार्य का बहिष्कार किया. झारखंड स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि राज्य सरकार ने कोर्ट फीस में 2 से 4 गुना की बढ़ोतरी कर दी है. बार काउंसिल का मानना है कि कोर्ट फीस बढ़ने से जनता के साथ-साथ वकीलों को नुकसान होगा. बार काउंसिल ने सरकार से अविलंब फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है.

सरकार को चेतावनी: अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि सोमवार को एक दिन का सांकेतिक हड़ताल किया गया है. उन्हें आशा है कि राज्य सरकार इस सांकेतिक हड़ताल को देखकर शीघ्र ही बढ़ाए गए कोर्ट फीस के फैसले को वापस ले लेगी. अगर सरकार इस कोर्ट फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस नहीं लेती है तो लंबी लड़ाई लड़ने की योजना तैयार की जाएगी.

गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश: हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (High Court Advocates Association) के अधिवक्ताओं ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में इस तरह का वृद्धि करना अनुचित है. उन्होंने कहा सरकार गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए होनी चाहिए. इस तरह का कार्य करना चाहिए कि गरीबों को न्याय दिलाया जा सके लेकिन, सरकार का यह आदेश गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश है. इसलिए हम लोगों की मांग है कि इस कोर्ट फीस वृद्धि को सरकार वापस ले.

धनबाद के अधिवक्ताओं ने जताया विरोध: धनबाद बार एसोसिएशन ने भी कोर्ट फीस बढ़ाये जाने के फैसले का विरोध जताया है. काला बिल्ला लगा विरोध जताने के साथ-साथ धनबाद में भी सभी अधिवक्ताओं ने अपने आप को न्यायिक कार्य से अलग रखा, जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी. धनबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सहाय ने कहा कि कोर्ट फीस बढ़ाने का फैसला गलत है. उन्होंने कहा सरकार कोर्ट फीस बढ़ाकर गरीब जनता पर बोझ डालने का काम कर रही है.

रांची: झारखंड सरकार की ओर से कोर्ट फीस में बढ़ोतरी करने के विरोध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल (Jharkhand State Bar Council) के आह्वान पर राज्य भर के 25000 अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार किया है. अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रकट किया और अदालती कार्य में भाग नहीं लिया. वे अपने निश्चित समय से अदालत परिसर आए और काला बिल्ला लगाकर अपनी जगह पर बैठ गए. इस दौरान सभी ने किसी भी प्रकार की न्यायिक कार्य से खुद को अलग रखा.

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न्यायाधीश समय से पहुंचे थे अदालत: हाईकोर्ट में सभी न्यायाधीश अपने निश्चित समय से अदालत में बैठे लेकिन अधिवक्ता न अदालत गए, न बहस में भाग लिए, न ही किसी तरह की कोई याचिका दायर की. अधिवक्ता के नहीं पहुंचने के कारण न्यायिक कार्यवाही अधिक नहीं हो सकी. हालंकि, अदालती कार्रवाई जारी रही और आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए.

जनता को नुकसान: झारखंड हाई कोर्ट सहित राज्य के सभी जिला न्यायालय और अनुमंडल न्यायालय में अधिवक्ताओं ने कार्य का बहिष्कार किया. झारखंड स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि राज्य सरकार ने कोर्ट फीस में 2 से 4 गुना की बढ़ोतरी कर दी है. बार काउंसिल का मानना है कि कोर्ट फीस बढ़ने से जनता के साथ-साथ वकीलों को नुकसान होगा. बार काउंसिल ने सरकार से अविलंब फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है.

सरकार को चेतावनी: अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि सोमवार को एक दिन का सांकेतिक हड़ताल किया गया है. उन्हें आशा है कि राज्य सरकार इस सांकेतिक हड़ताल को देखकर शीघ्र ही बढ़ाए गए कोर्ट फीस के फैसले को वापस ले लेगी. अगर सरकार इस कोर्ट फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस नहीं लेती है तो लंबी लड़ाई लड़ने की योजना तैयार की जाएगी.

गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश: हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (High Court Advocates Association) के अधिवक्ताओं ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में इस तरह का वृद्धि करना अनुचित है. उन्होंने कहा सरकार गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए होनी चाहिए. इस तरह का कार्य करना चाहिए कि गरीबों को न्याय दिलाया जा सके लेकिन, सरकार का यह आदेश गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश है. इसलिए हम लोगों की मांग है कि इस कोर्ट फीस वृद्धि को सरकार वापस ले.

धनबाद के अधिवक्ताओं ने जताया विरोध: धनबाद बार एसोसिएशन ने भी कोर्ट फीस बढ़ाये जाने के फैसले का विरोध जताया है. काला बिल्ला लगा विरोध जताने के साथ-साथ धनबाद में भी सभी अधिवक्ताओं ने अपने आप को न्यायिक कार्य से अलग रखा, जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी. धनबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सहाय ने कहा कि कोर्ट फीस बढ़ाने का फैसला गलत है. उन्होंने कहा सरकार कोर्ट फीस बढ़ाकर गरीब जनता पर बोझ डालने का काम कर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2022, 4:39 PM IST
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