रांचीः 48 घंटे के भीतर झारखंड में एक अधिवक्ता की हत्या और जज की संदिग्ध परिस्थिति में मौत का मामला तूल पकड़ने लगा है. घटना को लेकर झारखंड के अधिवक्ता आक्रोशित हैं. वकील की हत्या के विरोध में जहां शुक्रवार को प्रदेश भर के अधिवक्ता हड़ताल पर रहेंगे तो जज की संदिग्ध हालात में मौत का मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है. झारखंड के अधिवक्ता इन दोनों मामलों को एक दूसरे से जोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि ज्युडिशियरी से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
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ऐसे हुईं दोनों घटनाएं
पहली घटना 26 जुलाई की है, जब तमाड़ के अधिवक्ता को अपराधियों ने गोली मार दी. वारदात में अधिवक्ता मनोज कुमार झा की मौत हो गई. वहीं दूसरी घटना 28 जुलाई को धनबाद की है. धनबाद में जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक में जा रहे थे. उसी दौरान एक घटना में उनकी मौत हो गई. सीसीटीवी फुटेज से ऐसा लग रहा है, जैसे उन्हें जानबूझकर टक्कर मार गई है. इन दोनों घटनाओं के बाद बार एसोशियशन के सदस्य प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
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झारखंड में ज्युडिशियरी से जुड़े लोग भी सुरक्षित नहींः राजीव कुमार
झारखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार का कहना है कि बड़े-बड़े अपराधी जेल के अंदर बैठकर ही अपने गुर्गों से इस तरह के कार्य करा रहे हैं. ताकि डर और दहशत का माहौल कायम हो. उन्होंने कहा कि एक पीआईएल मैंने इस संबंध में दायर की है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि उन्होंने अदालत को बताया कि जिस तरीके से अभी तक अपराधी आम लोगों पर हावी थे और आए दिन उनको निशाना बना रहे थे. अब तमाड़ और धनबाद की घटनाओं को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अब जुडिशरी से जुड़े लोग भी झारखंड में सुरक्षित नहीं हैं.