रांची: प्रदेश के शहरी इलाकों में श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए झारखंड सरकार ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री श्रमिक योजना लॉन्च की है. स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस योजना की शुरुआत की. ग्रामीण इलाकों में केंद्र सरकार की चल रही मनरेगा के तर्ज पर इस योजना के तहत भी शहरी इलाकों में श्रमिकों को 100 दिन का रोजगार दिए जाने का प्रावधान होगा.
दरअसल कोरोना महामारी के दौर में बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों से प्रवासी श्रमिक झारखंड वापस लौटे हैं. सरकार का दावा है कि वैसे लोगों को शहरी इलाकों में रोजगार दिलाने के लिए इस योजना की शुरुआत की जा रही है.प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री श्रमिक योजना से राज्य के शहरी इलाकों में रहने वाले लगभग 5 लाख परिवार लाभान्वित होंगे.
स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग में इस योजना की लॉन्चिंग के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी इलाकों में लगभग 31% परिवार इस योजना से जोड़े जाएंगे. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में भूख से कोई ना मरे इसलिए इस तरह की योजना शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि राज्य के साथ वह पहले से अभिशाप के रूप में देखा गया है. यही वजह है कि राज्य सरकार ने शहरी इलाकों के अकुशल मजदूरों के लिए यह योजना शुरू की है.
सीएम दीदी किचन से हुआ लाभ, कुपोषित बच्चों का बढ़ा वजन
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग प्रभावित हुआ. साथ ही लॉकडाउन के दौरान उन्हें सबसे ज्यादा तकलीफ झेलनी पड़ी. उन्होंने कहा कि इस दौरान राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री दीदी किचन चलाया था. उसका यह प्रभाव हुआ कि ग्रामीण इलाकों में कुपोषित बच्चों का वजन बढ़ा है.
सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और यह भी तय किया है कि राज्य को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए नई योजनाएं बनाई जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में काम का अभाव है उसे दूर करने के मकसद से यह योजना शुरू की जा रही है. लॉन्चिंग के दौरान ज्यादा भीड़ नहीं हो इसलिए प्रतीकात्मक रूप से पांच लोगों के बीच जॉब कार्ड बांटा गया है.
मनरेगा की तरह 15 दिन में मिलेगा काम
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत भी संबंधित वेबसाइट पर अप्लाई करने वाले व्यक्ति को 15 दिन के अंदर शहरी इलाकों में मनरेगा की तर्ज पर रोजगार मिलेगा. अगर 15 दिन में रोजगार नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि झारखंड से मजदूर बड़ी संख्या में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब जैसे राज्यों में काम की तलाश में जाते हैं.
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हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि उनकी तादाद कितनी है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान जो तस्वीर सामने आई उससे यह स्पष्ट हुआ कि लगभग 10 लाख मजदूर दूसरे राज्यों में झारखंड से काम करने जाते हैं.
कोरोना काल मे 25 करोड़ किये गए ट्रांसफर
उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों की राहत के लिए राज्य सरकार ने उनके अकाउंट में लगभग 25 करोड़ ट्रांसफर किए गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शुक्रवार राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिवस के रूप में जाना जाएगा क्योंकि आज के दिन राज्य को न केवल एक नई पहचान मिली बल्कि यहां के मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जा रही है.
100 दिन के रोजगार की है गारंटी
वहीं शहरी विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने योजना के संबंध में बताया कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए ही योजना शुरू की गई है, जिसमें 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलेगी. मुख्य रूप से शहरी इलाकों में चल रही सरकारी योजनाओं में श्रमिकों को समाहित किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा एक रोजगार का जॉब कार्ड बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग 1 अप्रैल 2015 से शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्र में रह रहे हों वह इस योजना के लिए योग्य होंगे. इतना ही नहीं वैसे लोगों को शहरी इलाकों में कंस्ट्रक्शन के काम के अलावा सरकारी भवनों की देखरेख, पार्कों की साफ-सफाई समेत अन्य कामों में भी इंगेज किया जाएगा.
सचिव ने कहा के क्रिटिकल गैप फंड की व्यवस्था की गई है ताकि पैसे की किसी तरह की समस्या ना हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह मनरेगा में अब तक राज्य में सबसे ज्यादा कार्य दिवस सृजित किए गए हैं. उसी तरह इस योजना में भी लोगों के लिए कार्य दिवस सृजित किए जाएंगे.