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मगही भोजपुरी पर मंत्री का प्रहार! प्योर भोजपुरी विरोधी हैं साफ-साफ बोलते हैं- जगरनाथ महतो - झारखंड में भोजपुरी मगही और मैथिली भाषा

झारखंड में भाषा विवाद (Language controversy in Jharkhand) एक बार फिर से गहराता नजर आ रहा है. इस बार शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्पष्ट कहा है कि प्योर भोजपुरी विरोधी हैं साफ-साफ बोलते हैं. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है.

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झारखंड में भाषा विवाद
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Published : Jan 31, 2022, 10:34 PM IST

Updated : Jan 31, 2022, 11:05 PM IST

रांचीः शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि बोकारो धनबाद जिला में भोजपुरी और मगही भाषा नहीं चलेगी. झारखंड झारखंडियों के लिए अलग किया गया था. लेकिन यहां बाहरी भाषाओं को तवज्जो दिया जा रहा है जो झारखंड में कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- Language Controversy in Jharkhand: अपनी भाषा के हक पर हल्लाबोल, विधायकों के मौन पर फूट पड़े युवाओं के विरोध के स्वर


झारखंड में भाषा विवाद (Language controversy in Jharkhand) लगातार गहराता जा रहा है. इस मामले को लेकर पक्ष विपक्ष के बीच लगातार बयानबाजी होती रहा है. इसी कड़ी में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने डोरंडा स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर कहा कि झारखंड राज्य में भोजपुरी और मगही भाषा को तवज्जो नहीं दिया जाएगा. खासकर बोकारो और धनबाद जिला में मगही और भोजपुरी भाषा नहीं चलेगी, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. झारखंड को अलग बनाने के पीछे की मंशा झारखंडी और झारखंड की भाषा को बढ़ावा देना है ना कि झारखंड के भाषा संस्कृति को ही कुचल कर आगे बढ़ना है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो, और पूर्व विधायक योगेंद्र महतो भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौजूद रहे. इस मौके पर तीनों ने एक स्वर में कहा कि धनबाद बोकारो क्षेत्र में बाहरी भाषाओं को लागू नहीं करने दिया जाएगा. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है.

भोजपुरी भाषा को लेकर मंत्री का बयान

झारखंड में भाषा विवाद फिर गहरायाः भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है. पिछली तत्कालीन रघुवर दास सरकार ने भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा को कैबिनेट से अनुशंसा का विधानसभा से पारित किया था. जिसे राज्यपाल ने संवैधानिक मान्यताएं भी दी है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि झारखंड में बरसों से लगभग 18 जिला में 50 से 60 फीसदी भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा बोलने वाले लोग निवास करते हैं. ऐसे में कुछ लोग इस राज्य को एक बार फिर अशांत करना चाहते हैं. हालांकि इससे इतर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा की झारखंड में मगही, भोजपुरी जैसे भाषाओं को चलने नहीं दिया जाएगा.

राज्य में किसी भी कीमत पर मगही, भोजपुरी को नहीं होने दिया जाएगा लागू- शिक्षा मंत्रीः झारखंड में भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा को पूरी तरह से नहीं लागू करने की मांग कई जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जा रहा है. धनबाद के टुंडी विधायक मथुरा महतो, जेएमएम नेता योगेंद्र महतो के साथ शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो प्रेस वार्ता कर बताया कि राज्य में किसी भी कीमत पर इन भाषाओं को दर्जा नहीं मिलना चाहिए. विशेषकर धनबाद और बोकारो में इस भाषा का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इस बाबत तीनों नेताओं ने मुख्यमंत्री को सोमवार को एक ज्ञापन भी सौंपा है. मालूम हो कि भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा को लेकर राज्य में विवाद गहरा गयी है. एक तरफ विपक्ष सदन में इसे लागू करने की बात पर है तो वहीं दूसरी ओर इस पर क्लियर स्टैंड नहीं देती है. शिक्षा मंत्री जगरनाथथ महतो ने कहा कि जिस तरह बिहार में बिहारी भाषा को प्राथमिकता दी जाती. इसी तरह झारखंड में झारखंडी भाषा को ही मान्यता दिया जाएगा.

रांचीः शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि बोकारो धनबाद जिला में भोजपुरी और मगही भाषा नहीं चलेगी. झारखंड झारखंडियों के लिए अलग किया गया था. लेकिन यहां बाहरी भाषाओं को तवज्जो दिया जा रहा है जो झारखंड में कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- Language Controversy in Jharkhand: अपनी भाषा के हक पर हल्लाबोल, विधायकों के मौन पर फूट पड़े युवाओं के विरोध के स्वर


झारखंड में भाषा विवाद (Language controversy in Jharkhand) लगातार गहराता जा रहा है. इस मामले को लेकर पक्ष विपक्ष के बीच लगातार बयानबाजी होती रहा है. इसी कड़ी में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने डोरंडा स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर कहा कि झारखंड राज्य में भोजपुरी और मगही भाषा को तवज्जो नहीं दिया जाएगा. खासकर बोकारो और धनबाद जिला में मगही और भोजपुरी भाषा नहीं चलेगी, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. झारखंड को अलग बनाने के पीछे की मंशा झारखंडी और झारखंड की भाषा को बढ़ावा देना है ना कि झारखंड के भाषा संस्कृति को ही कुचल कर आगे बढ़ना है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो, और पूर्व विधायक योगेंद्र महतो भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौजूद रहे. इस मौके पर तीनों ने एक स्वर में कहा कि धनबाद बोकारो क्षेत्र में बाहरी भाषाओं को लागू नहीं करने दिया जाएगा. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है.

भोजपुरी भाषा को लेकर मंत्री का बयान

झारखंड में भाषा विवाद फिर गहरायाः भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है. पिछली तत्कालीन रघुवर दास सरकार ने भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा को कैबिनेट से अनुशंसा का विधानसभा से पारित किया था. जिसे राज्यपाल ने संवैधानिक मान्यताएं भी दी है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि झारखंड में बरसों से लगभग 18 जिला में 50 से 60 फीसदी भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा बोलने वाले लोग निवास करते हैं. ऐसे में कुछ लोग इस राज्य को एक बार फिर अशांत करना चाहते हैं. हालांकि इससे इतर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा की झारखंड में मगही, भोजपुरी जैसे भाषाओं को चलने नहीं दिया जाएगा.

राज्य में किसी भी कीमत पर मगही, भोजपुरी को नहीं होने दिया जाएगा लागू- शिक्षा मंत्रीः झारखंड में भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा को पूरी तरह से नहीं लागू करने की मांग कई जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जा रहा है. धनबाद के टुंडी विधायक मथुरा महतो, जेएमएम नेता योगेंद्र महतो के साथ शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो प्रेस वार्ता कर बताया कि राज्य में किसी भी कीमत पर इन भाषाओं को दर्जा नहीं मिलना चाहिए. विशेषकर धनबाद और बोकारो में इस भाषा का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इस बाबत तीनों नेताओं ने मुख्यमंत्री को सोमवार को एक ज्ञापन भी सौंपा है. मालूम हो कि भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा को लेकर राज्य में विवाद गहरा गयी है. एक तरफ विपक्ष सदन में इसे लागू करने की बात पर है तो वहीं दूसरी ओर इस पर क्लियर स्टैंड नहीं देती है. शिक्षा मंत्री जगरनाथथ महतो ने कहा कि जिस तरह बिहार में बिहारी भाषा को प्राथमिकता दी जाती. इसी तरह झारखंड में झारखंडी भाषा को ही मान्यता दिया जाएगा.

Last Updated : Jan 31, 2022, 11:05 PM IST
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