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Land Scam In Ranchi: छवि रंजन के डीसी बनते ही शुरू हो गया था रांची में जमीन लूट का खेल, ईडी की पूछताछ में हर दिन हो रहे नए खुलासे

छवि रंजन के डीसी बनते ही रांची में जमीन लूट सिंडिकेट तैयार हो गया था. इस सिंडिकेट में छवि रंजन सहित तीन लोग शामिल थे. तीनों ने मिलकर अरबों का जमीन घोटाला कर डाला. ईडी की पूछताछ में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं.

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ED Interrogation In Land Scam Case In Ranchi
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Published : May 9, 2023, 1:11 PM IST

रांची: जैसे-जैसे ईडी की रिमांड पर रांची के पूर्व डीसी निलंबित आईएएस छवि रंजन से पूछताछ हो रही है, वैसे-वैसे रांची में हुए जमीन घोटाले की परत-दर-परत खुल कर सामने आ रही है. छवि रंजन से पूछताछ का आज तीसरा दिन है. नियमतः छवि का मंगलवार को भी मेडिकल टेस्ट हुआ और फिर तीसरे दिन की पूछताछ शुरू कर दी गई.

ये भी पढे़ं-Land Scam in Ranchi: अफसर अली से सीधे संपर्क में थे निलंबित आईएएस छवि रंजन, मध्यस्थों के जरिए पहुंचता था पैसा

डीसी बनते ही शुरू हो गया था जमीन का खेल: राजधानी में जमीन लूट का खेल छवि रंजन के रांची डीसी बनने के साथ ही शुरू हो गया था. प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और छवि रंजन की तिकड़ी ने एक साथ मिलकर करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों का जमीन का घोटाला कर डाला. जमीन की डील में आखिर पर्दे के पीछे कौन-कौन लोग थे यह राज छवि रंजन से ईडी उगलवा रही है. जिस प्रेम प्रकाश के इशारे पर छवि रंजन ने हर काम किया ईडी के सामने वे उसे ही पहचानने से इनकार करते रहे , लेकिन जब ईडी ने प्रेम प्रकाश और छवि रंजन से जुड़े सबूत दिखाना शुरू किया तो उनकी बोलती बंद हो गई.

रणनीति के तहत छवि रंजन को रांची का डीसी बनाया गया थाः दरअसल, छवि रंजन को एक रणनीति के तहत ही रांची का डीसी बनाया गया था. मंशा जमीन लूट की थी. जिसमें छवि ने हर तरह की सहायता करने की हामी भरी थी. जांच में यह बात भी सामने आई है कि छवि रंजन को रांची का डीसी बनाने के लिए भी एक बड़ी राशि का भुगतान किया गया था. भुगतान के बाद ही छवि रांची डीसी बने. ईडी सूत्रों के अनुसार एजेंसी यह जानकारी भी जुटा रही है कि इसके लिए कितने पैसे खर्च हुए और पैसों का भुगतान किसे किया गया. आपको बता दें कि छवि रंजन फिलहाल ईडी की रिमांड पर हैं और उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है. ईडी की रिपोर्ट में भी यह बताया गया है कि जमीन संबंधी विभाग के अधिकारियों, नौकरशाहों, जमीन माफियाओं और राजनीतिज्ञों के सिंडिकेट ने बड़े घोटाले को अंजाम दिया, तब सत्ता के गलियारे में चर्चित पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और सत्ता के करीबी कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल भी मास्टरमाइंड की भूमिका में रहे और छवि रंजन उनके सबसे बड़े मददगार.

एक एफआईआर से खुला घोटाले का राज: अरबों के जमीन घोटाले का राज एक एफआईआर से खुला जो रांची के बरियातू थाने में दर्ज करायी गई थी. दरअसल, रांची नगर निगम के टैक्स क्लेक्टर दिलीप शर्मा ने चार जून 2022 को बरियातू थाने में एक एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि फर्जी आधार कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल के जरिए प्रदीप बागची नाम के एक व्यक्ति ने दो होल्डिंग नंबर 4.55 एकड़ जमीन की ले ली है, तब मामूली माने जाने वाले इस एफआईआर के आधार पर ही अब न सिर्फ रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन की गिरफ्तारी हो गई, बल्कि अरबों के जमीन घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ. ईडी ने बरियातू थाने में दर्ज केस के आधार पर ही ईसीआईआर दर्ज की थी.

अमित अग्रवाल की कंपनी के लिए सेना की जमीन पर कैसे हुआ कब्जा: चूंकि जमीन घोटाले का मामला सीधे सेना की जमीन से जुड़ा हुआ था, इसलिए ईडी का ध्यान इस पर था. एक बड़ी साजिश कर कागजातों को बदल सेना की जमीन कब्जा की जा रही थी. रांची के बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन बीएम लक्ष्मण राव के नाम पर थी. राव ने यह जमीन सेना को 417 रुपए मासिक किराए पर स्वतंत्रता के ठीक बाद दे दी थी, लेकिन जालसाजों के गिरोह ने प्रदीप बागची के दादा प्रफुल्ल बागची के नाम पर फर्जी कागजात बनाए. इसके बाद जमीन को अमित अग्रवाल की कंपनी जगतबंधु टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया. ईडी ने जब कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस और बड़गाईं अंचल में सर्वे किया, तब यह बात सामने आयी कि वहां ओरिजनल रजिस्टर को फाड़ दिया गया था, वहीं नए पेपर ओवरराइटिंग कर लगा दिए गए थे. एफएसएल गांधीनगर से रजिस्टर की जांच हुई तो टेंपरिंग और पेपर फाड़े जाने, ओवरराइटिंग की पुष्टि हुई. अमित अग्रवाल की कंपनी को सरकारी दर 20 करोड़ से कम महज सात करोड़ में रजिस्ट्री की गई, लेकिन भुगतान महज 25 लाख ही प्रदीप बागची के खाते में दिखा.

कैसे साजिश का हिस्सा बने छवि रंजन: रांची का डीसी बनने के बाद छवि रंजन के समक्ष यह मामला समाने आया कि सेना और जमीन के मालिक रहे बीएम भास्कर राव के वंशज जयंत करनाड ने जमीन पर दावेदारी की है. करनाड के पक्ष में कोर्ट ने कुछ फैसला भी सुनाया था, लेकिन जमीन पर करनाड का कब्जा न हो इसके लिए अफसर अली, प्रदीप बागची ने कोलकाता के रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस में कागजों की हेरफेर करा दी. इसके बाद जमीन का फर्जी डीड तैयार करवा लिया. इसी डीड के आधार पर प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और छवि रंजन ने साजिश के तहत अमित की कंपनी के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करा दी. ईडी ने पाया है कि पद का दुरुपयोग कर छवि रंजन ने कई गलत कार्य किये हैं.

ये भी पढे़ं-रांची जमीन घोटाले के आरोपियों से पूछताछ शुरू, ईडी को मिली है चार दिनों की रिमांड

आरोपियों ने खोल दी छवि रंजन की पोल: ईडी की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि छवि रंजन ने 24 अप्रैल को पूछताछ के दौरान प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल से किसी भी तरह की पहचान से इनकार किया था, लेकिन तब ईडी ने अफसर अली, सद्दाम हुसैन के सामने छवि रंजन को बैठाया और इस दौरान प्रेम प्रकाश का एक करीबी और बड़गाईं सीओ मनोज कुमार को भी बुलाया गया था. सभी ने एक सुर में यह स्वीकार किया कि छवि रंजन ने प्रेम प्रकाश के कहने पर ही सीओ मनोज कुमार को निर्देश दिया था कि वह प्रदीप बागची के पक्ष में रिपोर्ट दें. इसी के बाद छवि ईडी के चुंगल में बुरी तरह फंस गए.

रांची: जैसे-जैसे ईडी की रिमांड पर रांची के पूर्व डीसी निलंबित आईएएस छवि रंजन से पूछताछ हो रही है, वैसे-वैसे रांची में हुए जमीन घोटाले की परत-दर-परत खुल कर सामने आ रही है. छवि रंजन से पूछताछ का आज तीसरा दिन है. नियमतः छवि का मंगलवार को भी मेडिकल टेस्ट हुआ और फिर तीसरे दिन की पूछताछ शुरू कर दी गई.

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डीसी बनते ही शुरू हो गया था जमीन का खेल: राजधानी में जमीन लूट का खेल छवि रंजन के रांची डीसी बनने के साथ ही शुरू हो गया था. प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और छवि रंजन की तिकड़ी ने एक साथ मिलकर करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों का जमीन का घोटाला कर डाला. जमीन की डील में आखिर पर्दे के पीछे कौन-कौन लोग थे यह राज छवि रंजन से ईडी उगलवा रही है. जिस प्रेम प्रकाश के इशारे पर छवि रंजन ने हर काम किया ईडी के सामने वे उसे ही पहचानने से इनकार करते रहे , लेकिन जब ईडी ने प्रेम प्रकाश और छवि रंजन से जुड़े सबूत दिखाना शुरू किया तो उनकी बोलती बंद हो गई.

रणनीति के तहत छवि रंजन को रांची का डीसी बनाया गया थाः दरअसल, छवि रंजन को एक रणनीति के तहत ही रांची का डीसी बनाया गया था. मंशा जमीन लूट की थी. जिसमें छवि ने हर तरह की सहायता करने की हामी भरी थी. जांच में यह बात भी सामने आई है कि छवि रंजन को रांची का डीसी बनाने के लिए भी एक बड़ी राशि का भुगतान किया गया था. भुगतान के बाद ही छवि रांची डीसी बने. ईडी सूत्रों के अनुसार एजेंसी यह जानकारी भी जुटा रही है कि इसके लिए कितने पैसे खर्च हुए और पैसों का भुगतान किसे किया गया. आपको बता दें कि छवि रंजन फिलहाल ईडी की रिमांड पर हैं और उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है. ईडी की रिपोर्ट में भी यह बताया गया है कि जमीन संबंधी विभाग के अधिकारियों, नौकरशाहों, जमीन माफियाओं और राजनीतिज्ञों के सिंडिकेट ने बड़े घोटाले को अंजाम दिया, तब सत्ता के गलियारे में चर्चित पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और सत्ता के करीबी कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल भी मास्टरमाइंड की भूमिका में रहे और छवि रंजन उनके सबसे बड़े मददगार.

एक एफआईआर से खुला घोटाले का राज: अरबों के जमीन घोटाले का राज एक एफआईआर से खुला जो रांची के बरियातू थाने में दर्ज करायी गई थी. दरअसल, रांची नगर निगम के टैक्स क्लेक्टर दिलीप शर्मा ने चार जून 2022 को बरियातू थाने में एक एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें उन्होंने शिकायत की थी कि फर्जी आधार कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल के जरिए प्रदीप बागची नाम के एक व्यक्ति ने दो होल्डिंग नंबर 4.55 एकड़ जमीन की ले ली है, तब मामूली माने जाने वाले इस एफआईआर के आधार पर ही अब न सिर्फ रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन की गिरफ्तारी हो गई, बल्कि अरबों के जमीन घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ. ईडी ने बरियातू थाने में दर्ज केस के आधार पर ही ईसीआईआर दर्ज की थी.

अमित अग्रवाल की कंपनी के लिए सेना की जमीन पर कैसे हुआ कब्जा: चूंकि जमीन घोटाले का मामला सीधे सेना की जमीन से जुड़ा हुआ था, इसलिए ईडी का ध्यान इस पर था. एक बड़ी साजिश कर कागजातों को बदल सेना की जमीन कब्जा की जा रही थी. रांची के बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन बीएम लक्ष्मण राव के नाम पर थी. राव ने यह जमीन सेना को 417 रुपए मासिक किराए पर स्वतंत्रता के ठीक बाद दे दी थी, लेकिन जालसाजों के गिरोह ने प्रदीप बागची के दादा प्रफुल्ल बागची के नाम पर फर्जी कागजात बनाए. इसके बाद जमीन को अमित अग्रवाल की कंपनी जगतबंधु टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया. ईडी ने जब कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस और बड़गाईं अंचल में सर्वे किया, तब यह बात सामने आयी कि वहां ओरिजनल रजिस्टर को फाड़ दिया गया था, वहीं नए पेपर ओवरराइटिंग कर लगा दिए गए थे. एफएसएल गांधीनगर से रजिस्टर की जांच हुई तो टेंपरिंग और पेपर फाड़े जाने, ओवरराइटिंग की पुष्टि हुई. अमित अग्रवाल की कंपनी को सरकारी दर 20 करोड़ से कम महज सात करोड़ में रजिस्ट्री की गई, लेकिन भुगतान महज 25 लाख ही प्रदीप बागची के खाते में दिखा.

कैसे साजिश का हिस्सा बने छवि रंजन: रांची का डीसी बनने के बाद छवि रंजन के समक्ष यह मामला समाने आया कि सेना और जमीन के मालिक रहे बीएम भास्कर राव के वंशज जयंत करनाड ने जमीन पर दावेदारी की है. करनाड के पक्ष में कोर्ट ने कुछ फैसला भी सुनाया था, लेकिन जमीन पर करनाड का कब्जा न हो इसके लिए अफसर अली, प्रदीप बागची ने कोलकाता के रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस में कागजों की हेरफेर करा दी. इसके बाद जमीन का फर्जी डीड तैयार करवा लिया. इसी डीड के आधार पर प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और छवि रंजन ने साजिश के तहत अमित की कंपनी के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करा दी. ईडी ने पाया है कि पद का दुरुपयोग कर छवि रंजन ने कई गलत कार्य किये हैं.

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आरोपियों ने खोल दी छवि रंजन की पोल: ईडी की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि छवि रंजन ने 24 अप्रैल को पूछताछ के दौरान प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल से किसी भी तरह की पहचान से इनकार किया था, लेकिन तब ईडी ने अफसर अली, सद्दाम हुसैन के सामने छवि रंजन को बैठाया और इस दौरान प्रेम प्रकाश का एक करीबी और बड़गाईं सीओ मनोज कुमार को भी बुलाया गया था. सभी ने एक सुर में यह स्वीकार किया कि छवि रंजन ने प्रेम प्रकाश के कहने पर ही सीओ मनोज कुमार को निर्देश दिया था कि वह प्रदीप बागची के पक्ष में रिपोर्ट दें. इसी के बाद छवि ईडी के चुंगल में बुरी तरह फंस गए.

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