रांचीः देश में कोरोना संकट से लॉकडाउन लगा हुआ है और इस वजह से तमाम शिक्षण संस्थाएं फिलहाल बंद हैं. ऑनलाइन क्लासेज के सहारे ही स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थाओं की ओर से पठन-पाठन जारी है. स्टूडेंट को जूम एप के अलावा विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से जोड़ा गया है. जिससे बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. ऑनलाइन क्लासेज के लिए लेडी टीचर्स को अपना पर्सनल नंबर शेयर करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नंबर दुरुपयोग की गुंजाइश
हालांकि महिला शिक्षिकाओं के निजता का हनन ना हो इसके लिए कोई बेहतर उपाय ना तो विश्वविद्यालय प्रबंधनों की ओर से किया गया है और ना ही शिक्षा विभाग की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया गया है. महिला शिक्षकों की निजता का हनन, ऑनलाइन क्लासेज के दौरान सुनने को मिल रहा है. महिला शिक्षकों की गोपनीयता की रक्षा के लिए विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग ने पहल किए जाने की बात तो की जा रही है. लेकिन धरातल पर फिलहाल कुछ भी नहीं दिख रहा है. ऑनलाइन क्लासेज के दौरान शिक्षिकाओं द्वारा अपना व्यक्तिगत नंबर दी जाती है और इस नंबर का दुरूपयोग का व्यापक गुंजाइश भी है.
गोपनीयता के साथ समझौता
गोपनीयता के साथ लगातार समझौता किया जा रहा है. पहले टीचर के फोन नंबर तक बच्चों की पहुंच बहुत कम ही होती थी. जो भी बात करनी है, वह स्कूल में ही होती थी. स्कूल प्रबंधन के कांटेक्ट के आधार पर ही शिक्षिकाओं के साथ अभिभावकों की बातचीत होती थी. लेकिन कोरोना काल में यह व्यवस्थाएं पूरी तरह बदल गई है. ऑनलाइन क्लासेज के दौरान शिक्षिकाओं का पर्सनल मोबाइल नंबर भी अब पर्सनल नहीं रह गया है. हर एक बच्चा और अभिभावक के मोबाइल पर इन महिला शिक्षिकाओं का नंबर है और जिसकी वजह से समय-समय पर इन शिक्षिकाओं को मानसिक परेशानियां भी झेलनी पड़ती है. शिक्षिकाओं की माने तो उनका पर्सनल मोबाइल नंबर इतना ज्यादा अभिभावकों और बच्चों तक पहुंचा है कि स्टूडेंट्स के दिन रात कॉल आते हैं.
निजी जिंदगी में ऑनलाइन क्लासेस का ग्रहण
कोरोना महामारी के दौरान बच्चों के स्कूल बंद है और सरकारी से लेकर निजी स्कूलों तक बच्चों की क्लासेस विभिन्न ऑनलाइन माध्यम से संचालित हो रही है. अब क्लास रूम तक सीमित ना रह कर शिक्षकों की निजी जिंदगी तक ऑनलाइन क्लासेस पहुंच चुकी है. बच्चों या उनके माता-पिता तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए शिक्षकों ने अलग-अलग कक्षाओं के व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं. जिस मोबाइल से बच्चे जानकारी साझा करते हैं या फिर बच्चे व्हाट्सएप के जरिए बात करते हैं. वह उनके पेरेंट्स या फिर घर के किसी अन्य सदस्य का होता है. जो परेशानी का सबसे बड़ा कारण है. क्योंकि शिक्षकों का नंबर बच्चों के अलावा उनके परिवार वालों तक पहुंच रहा है. कुछ शिक्षिकाओं ने ऑफ द कैमरा यह तक कहा कि देर रात तक कुछ अभिभावकों के नंबर से ऐसे भी मैसेज आते हैं जो चौंकाने वाला होता है. उनके डीपी या प्रोफाइल पिक्चर देख कर गुड नाईट गुड मॉर्निंग के अलावा कई कमेंट भी कर दिए जाते हैं और जब इसकी शिकायत स्कूल प्रबंधन से की जाती हैं तो स्कूल प्रबंधक भी इसे अनदेखा करता है, जो एक बड़ी अनहोनी की ओर इशारा करता है.
शिक्षा विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप में डाला गया था अश्लील मैसेज
गौरतलब है कि झारखंड सरकार की ओर से शिक्षा विभाग ने डिजी साथ व्हाट्सएप ग्रुप संचालित कर रहा है. इस व्हाट्सएप ग्रुप में भी मई-जून महीने में कुछ शिक्षकों ने अश्लील मैसेज भेजा था. इसे लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से कार्रवाई भी की गई है. शिक्षकों को अल्टीमेटम के साथ-साथ उन पर विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है. वहीं निजी स्कूलों में भी ऐसे मामले आ रहे हैं. लेकिन निजी स्कूल प्रबंधक ऐसे मामलों को स्कूल और शिक्षिकाओं की बदनामी ना हो इसे देखते हुए छुपा रहे हैं. इसके अलावा ऑनलाइन क्लासेज की वजह से शिक्षिकाओं को 16 से 18 घंटे काम करना पड़ता है, दिनभर ऑनलाइन क्लासेज संचालित होती हैं तो रात को अभिभावकों को बच्चों के परेशानियों से संबंधित कई प्रश्नों का उत्तर भी देना पड़ता है.
निजी स्कूल शिक्षिकाओं की ओर से नहीं मिली है शिकायत
कुछ शिक्षिकाओं का कहना है कि फिलहाल विश्वविद्यालयों के शिक्षिकाओं के साथ ऐसे मामले नहीं आए हैं. लेकिन जानकारी मिलती है कि स्कूल शिक्षिकाओं के साथ लगातार ऑनलाइन क्लासेज के बाद परेशानियां आ रही हैं. उनके पर्सनल नंबर बांटे जाने के बाद स्थिति और परेशानी भरा हो गया है. हालांकि फिलहाल झारखंड में कोई महिला शिक्षिका, छात्र उत्पीड़न का शिकार अब तक नहीं हुई है और ना ही इस मामले को लेकर किसी भी निजी स्कूल शिक्षिकाओं द्वारा शिकायत की गई है. लेकिन सरकारी स्कूलों के शिक्षिकाओं और शिक्षकों की ओर से जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में डिजी साथ व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील मैसेज भेजे जाने को लेकर मई-जून महीने में 2 शिकायतें दर्ज की गई है. जिसमें शिक्षकों पर कार्रवाई भी की जा रही है.
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मामलों को रोकने के लिए संबंधित लोग नहीं है गंभीर
कुल मिलाकर कहें तो महिला शिक्षिकाओं का निजी जिंदगी पर ऑनलाइन क्लासेस हावी पड़ता दिख रहा है. शिक्षिकाओं की इन परेशानियों को देखते हुए राज्य के कुछ विश्वविद्यालयों ने बेहतर कदम उठाया है. एक सॉफ्टवेयर डेवलप कर कॉलेज के ही नंबर से विद्यार्थियों तक मैसेज और ऑनलाइन क्लासेस भी संचालित करने की तैयारी है. डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय सॉफ्टवेयर डेवलप करने की कोशिश में है. विवि की डीएसडब्ल्यू नमिता सिंह ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि आने वाले समय में जल्द ही डीएसपीएमयू में शिक्षिकाओं की निजता का हनन ना हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है, इसके लिए जल्दी एक सेटअप तैयार हो जाएगा.
शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई
दक्षिणी छोटानागपुर के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अरविंद बिजय बिलुंग की मानें तो शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक होना पड़ेगा. उन्होंने अभिभावकों, शिक्षक और शिक्षिकाओं से समाज की बेहतरी के लिए इस ओर ध्यान देने की बात कही है. उन्होंने अपील किया है कि लोग शिक्षिकाओं की परेशानियों और उनके परिवार को समझें और इस तरीके की हरकत ना करें. अगर कोई भी शिक्षक ऐसा हरकत करते हैं या कोई भी अभिभावक के खिलाफ ऐसी शिकायत मिलती है तो उन पर कार्रवाई जरूर होगी.