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रिम्स ट्रामा सेंटर में है संसाधनों की कमी, सरकारी मदद की है जरूरत

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Published : Oct 12, 2019, 7:49 AM IST

रांची के रिम्स में बना ट्रामा सेंटर मरीजों के इलाज के लिए एक बेतर विक्लप साबित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर नवनिर्मित ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों को कई प्रकार की समस्यओं का सामना करना पड़ रहा है जिसके बारे में ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया.

रिम्स ट्रामा सेंटर में है संसाधनों की कमी

रांचीः रिम्स में बना नवनिर्मित ट्रामा सेंटर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. पूरे राज्य के दूरदराज और सुदूर इलाकों से आ रहे गरीब मरीजों को भी स्वास्थ्य लाभ देने के लिए ट्रॉमा सेंटर और एमरजेंसी लगातार प्रयासरत है.

देखें पूरी खबर

रिम्स ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य का कहना कि ट्रामा सेंटर की शुरुआत के बाद रिम्स के सभी डॉक्टर काफी उत्साहित हैं. ट्रामा सेंटर में नियुक्त हुए डॉक्टर और नर्सों की सभी टीम मरीजों की सेवा के लिए हर वक्त तत्पर है. प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि मरीजों के बेहतर इलाज के लिए नवनिर्मित ट्रामा सेंटर में सरकार की तरफ से मदद की आवश्यकता है.

वहीं, रिम्स ट्रामा सेंटर में नर्सों की कमी देखी जा रही है. जिसको लेकर टीम सभी मरीजों को सेवा देने में अक्षम साबित हो रही है. इंचार्ज ने इस ट्रामा सेंटर से जुड़ी कई समस्याओं के बारे चर्चा की. उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज के लिए लगभग 120 बेड का निर्माण किया गया है, लेकिन अब तक सिर्फ 20 से 25 बेड पर ही मरीजों का इलाज शुरू हो पाया है. वहीं, मशीनों की कमी को लेकर भी ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अभी भी कई ऐसी महत्वपूर्ण मशीने हैं, जिसकी खरीद बेहद ही जरूरी है. ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी वार्ड में ज्यातर क्रिटिकल मरीज ही पहुंचते हैं, जिनका इलाज अत्याधुनिक मशीनों से करना बेहतर होता है. उन मशीनों की अस्पताल में जरूरत है.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग: नगर निगम पार्षद और महापौर आमने-सामने, विकास कार्य बाधित

वहीं, रिम्स के निदेशक डीके सिंह भी ट्रॉमा सेंटर की समस्याओं को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. डीके सिंह लगातार हर रोज ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करते हैं और कम से कम संसाधनों में ही बेहतर काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते नजर आते हैं. दूसरी तरफ, ट्रामा सेंटर में इलाज करा रहे चतरा से आए मरीज के परिजन सचिन कुमार ने संतुष्टि जताते हुए बताया कि ट्रामा सेंटर में क्रिटिकल मरीज के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है, जो निश्चित रूप से राज्य के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में रिम्स एक उम्मीद बन रही है.

रांचीः रिम्स में बना नवनिर्मित ट्रामा सेंटर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. पूरे राज्य के दूरदराज और सुदूर इलाकों से आ रहे गरीब मरीजों को भी स्वास्थ्य लाभ देने के लिए ट्रॉमा सेंटर और एमरजेंसी लगातार प्रयासरत है.

देखें पूरी खबर

रिम्स ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य का कहना कि ट्रामा सेंटर की शुरुआत के बाद रिम्स के सभी डॉक्टर काफी उत्साहित हैं. ट्रामा सेंटर में नियुक्त हुए डॉक्टर और नर्सों की सभी टीम मरीजों की सेवा के लिए हर वक्त तत्पर है. प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि मरीजों के बेहतर इलाज के लिए नवनिर्मित ट्रामा सेंटर में सरकार की तरफ से मदद की आवश्यकता है.

वहीं, रिम्स ट्रामा सेंटर में नर्सों की कमी देखी जा रही है. जिसको लेकर टीम सभी मरीजों को सेवा देने में अक्षम साबित हो रही है. इंचार्ज ने इस ट्रामा सेंटर से जुड़ी कई समस्याओं के बारे चर्चा की. उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज के लिए लगभग 120 बेड का निर्माण किया गया है, लेकिन अब तक सिर्फ 20 से 25 बेड पर ही मरीजों का इलाज शुरू हो पाया है. वहीं, मशीनों की कमी को लेकर भी ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अभी भी कई ऐसी महत्वपूर्ण मशीने हैं, जिसकी खरीद बेहद ही जरूरी है. ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी वार्ड में ज्यातर क्रिटिकल मरीज ही पहुंचते हैं, जिनका इलाज अत्याधुनिक मशीनों से करना बेहतर होता है. उन मशीनों की अस्पताल में जरूरत है.

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वहीं, रिम्स के निदेशक डीके सिंह भी ट्रॉमा सेंटर की समस्याओं को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. डीके सिंह लगातार हर रोज ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करते हैं और कम से कम संसाधनों में ही बेहतर काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते नजर आते हैं. दूसरी तरफ, ट्रामा सेंटर में इलाज करा रहे चतरा से आए मरीज के परिजन सचिन कुमार ने संतुष्टि जताते हुए बताया कि ट्रामा सेंटर में क्रिटिकल मरीज के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है, जो निश्चित रूप से राज्य के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में रिम्स एक उम्मीद बन रही है.

Intro:रिम्स में बना नवनिर्मित ट्रामा सेंटर राज्य के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है,पूरे राज्य के दूरदराज एवं सुदूर इलाकों से आ रहे गरीब मरीजों को भी स्वास्थ्य लाभ देने के लिए ट्रॉमा सेंटर एवं एमरजेंसी लगातार प्रयासरत है।

रिम्स ट्रामा सेंटर इमरजेंसी के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि ट्रामा सेंटर की शुरुआत के बाद रिम्स के सभी डॉक्टर काफी उत्साहित हैं और ट्रामा सेंटर में नियुक्त हुए डॉक्टर एवं नर्सों की सभी टीम मोटिवेटिव होकर मरीजों का सेवा कर रही है।






Body:वही ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि नवमिर्मित ट्रामा सेंटर में सरकार की तरफ से मदद की आवश्यकता है क्योंकि रिम्स के नए ट्रामा सेंटर में नर्सों की बहुतायत कमी देखी जा रही है,जिसको लेकर हमारी ट्रामा सेंटर की टीम सभी मरीजों को सेवा देने में अक्षम साबित हो रही है। उन्होंने दूसरी समस्या गिनाते हुए बताया कि 4 फ्लोर के इस ट्रामा सेंटर में लगभग 120 बेड का निर्माण किया गया है लेकिन मैन पावर की कमी होने के वजह से हम लोगों ने मात्र 20 से 25 बेड को चालू कर पाए हैं।

मशीनों की कमी को लेकर भी ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,अभी भी कई ऐसे महत्वपूर्ण मशीने हैं जिसकी खरीद बेहद ही जरूरी है क्योंकि ट्रॉमा सेंटर व इमरजेंसी में अमूमन बेहद ही क्रिटिकल मरीज पहुंचते हैं।जिनके इलाज अत्याधुनिक मशीनों से करना सुलभ होता है।

वही रिम्स के निदेशक डीके सिंह भी ट्रॉमा सेंटर को लेकर काफी गंभीरता दिखाते हुए प्रत्येक दिन ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करते हैं, और कम से कम संसाधनों में ही बेहतर काम करने के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते नजर आते हैं।

ट्रामा सेंटर में इलाज करा रहे चतरा से आये मरीज के परिजन सचिन कुमार ने संतुष्टि जताते हुए बताया कि ट्रामा सेंटर में क्रिटिकल मरीज के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है,जो निश्चित रूप से राज्य के लोगों के लिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में रिम्स एक उम्मीद बन रही है।






Conclusion:गौरतलब है कि राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स में बना नया ट्रामा सेंटर में अभी भी कई ऐसी महत्वपूर्ण चीजों की आवश्यकता है और सरकार को भी ट्रामा सेंटर के बेहतरी के लिए कई ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि गरीब मरीजों को और भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।


बाइट- प्रदीप भट्टाचार्य, इंचार्जज़ ट्रामा सेंटर।
बाइट- डॉ डी के सिंह, निदेशक,रिम्स।
बाइट-सचिन कुमार,मरीज़ का परिजन।
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