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लौट चले परदेस... कोरोना से उखड़ती सांसों पर भारी पड़ रही पेट की आग, मजबूरी में पलायन कर रहे मजदूर

कोरोना काल में वापस लौटे मजदूरों को झारखंड में रोजगार नहीं मिल रहा है. ऐसे में मजदूर अब पलायन करने को मजबूर हैं. हर दिन मजदूर दूसरे राज्य जा रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि भूख मरने से ज्यादा अच्छा है कि कोरोना ही जान ले ले.

labours migrating from jharkhand
झारखंड से पलायन कर रहे मजदूर
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Published : Jun 19, 2021, 11:03 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 6:23 AM IST

रांची: कोरोना काल में वापस लौट मजदूरों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. एक तरफ संक्रमण का खतरा है और दूसरी तरफ पेट की आग. राज्य में मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है और इसके चलते घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मजदूर वापस दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें: महंगी पड़ी मुलाकात: प्रेमिका से मिलने पहुंचा था चार बच्चों का पिता...और चली गई जान

'खुद क्या खाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे...'

एक तरफ कई मजदूर कमाने खाने के लिए दूसरे राज्य जा रहे हैं, वहीं कई मजदूर हर दिन गांव से शहर इस आस में आते हैं कि शायद कोई काम मिल जाए. ज्यादातर मजदूरों को काम नहीं मिलता और दोपहर होते-होते मायूस घर लौट जाते हैं. जबलपुर जा रही एक महिला से जब हमने पूछा तब उसने बताया कि खाने पर संकट है. अगर इसी तरह के हालात रहे तो खुद क्या खाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे. यहां रोजगार नहीं मिल रहा है इसलिए मजबूरी में बाहर जाना पड़ रहा है. भूख मरने से तो अच्छा है कि कोरोना ही जान ले ले. गांव में रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है और यही वजह है कि पूरा परिवार कमाने के लिए जा रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

काम नहीं मिला तो क्या करेंगे?

रांची में एक दिहाड़ी मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान तो कोई काम नहीं मिला. अब धीरे-धीरे राज्य अनलॉक हो रहा है तो काम मिलने की उम्मीद जगी है. पिछले कुछ दिनों से शहर आ रहे हैं लेकिन रोजगार नहीं मिल रहा है. कभी-कभी ही काम मिलता है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. कुछ दिनों तक काम नहीं मिला तो बाहर जाना मजबूरी होगी.

सारी जमापूंजी खत्म

मजदूरों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही थी और काम मिलने लगा था लेकिन दूसरी लहर ने सबकुछ चौपट कर दिया. सुबह से दोपहर तक चौक-चौराहों पर बैठे रहते हैं लेकिन कोई काम नहीं मिलता जो कुछ जमापूंजी थी वह सब खत्म हो गई. अब घर चलाने का संकट है. सरकार को उचित कदम उठानी चाहिए ताकि गरीबों और मजदूरों का घर चल सके.

कांग्रेस बोली-मजदूरों को लेकर सरकार संवेदनशील

झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है सरकार लगातार प्रवासी मजदूरों को लेकर लगातार दावा कर रही है कि जो भी मजदूर बाहर से काम कर अपने राज्य लौटे हैं उनके लिए सरकार पूरी व्यवस्था की है. रोजगार को लेकर कई योजनाएं चल रही है लेकिन धरातल पर सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. प्रवासी मजदूरों के दूसरे राज्य में जाने और राज्य में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शमशेर आलम ने कहा कि सरकार लगातार मजदूरों के प्रति संवेदनशील है. लोगों को रोजगार मिलने इसका प्रयास किया जा रहा है.

रांची: कोरोना काल में वापस लौट मजदूरों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. एक तरफ संक्रमण का खतरा है और दूसरी तरफ पेट की आग. राज्य में मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है और इसके चलते घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मजदूर वापस दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं.

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'खुद क्या खाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे...'

एक तरफ कई मजदूर कमाने खाने के लिए दूसरे राज्य जा रहे हैं, वहीं कई मजदूर हर दिन गांव से शहर इस आस में आते हैं कि शायद कोई काम मिल जाए. ज्यादातर मजदूरों को काम नहीं मिलता और दोपहर होते-होते मायूस घर लौट जाते हैं. जबलपुर जा रही एक महिला से जब हमने पूछा तब उसने बताया कि खाने पर संकट है. अगर इसी तरह के हालात रहे तो खुद क्या खाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे. यहां रोजगार नहीं मिल रहा है इसलिए मजबूरी में बाहर जाना पड़ रहा है. भूख मरने से तो अच्छा है कि कोरोना ही जान ले ले. गांव में रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है और यही वजह है कि पूरा परिवार कमाने के लिए जा रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

काम नहीं मिला तो क्या करेंगे?

रांची में एक दिहाड़ी मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान तो कोई काम नहीं मिला. अब धीरे-धीरे राज्य अनलॉक हो रहा है तो काम मिलने की उम्मीद जगी है. पिछले कुछ दिनों से शहर आ रहे हैं लेकिन रोजगार नहीं मिल रहा है. कभी-कभी ही काम मिलता है. ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो रहा है. कुछ दिनों तक काम नहीं मिला तो बाहर जाना मजबूरी होगी.

सारी जमापूंजी खत्म

मजदूरों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही थी और काम मिलने लगा था लेकिन दूसरी लहर ने सबकुछ चौपट कर दिया. सुबह से दोपहर तक चौक-चौराहों पर बैठे रहते हैं लेकिन कोई काम नहीं मिलता जो कुछ जमापूंजी थी वह सब खत्म हो गई. अब घर चलाने का संकट है. सरकार को उचित कदम उठानी चाहिए ताकि गरीबों और मजदूरों का घर चल सके.

कांग्रेस बोली-मजदूरों को लेकर सरकार संवेदनशील

झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है सरकार लगातार प्रवासी मजदूरों को लेकर लगातार दावा कर रही है कि जो भी मजदूर बाहर से काम कर अपने राज्य लौटे हैं उनके लिए सरकार पूरी व्यवस्था की है. रोजगार को लेकर कई योजनाएं चल रही है लेकिन धरातल पर सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. प्रवासी मजदूरों के दूसरे राज्य में जाने और राज्य में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शमशेर आलम ने कहा कि सरकार लगातार मजदूरों के प्रति संवेदनशील है. लोगों को रोजगार मिलने इसका प्रयास किया जा रहा है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 6:23 AM IST
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