रांची: राज्य सरकार ने इस वर्ष को भले ही नियुक्ति वर्ष घोषित कर रखा हो लेकिन हकीकत यह है कि सात महीने में एक भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. वैसे तो झारखंड के सरकारी दफ्तरों में बड़ी संख्या में रिक्त पद हैं. लेकिन श्रम एवं प्रशिक्षण विभाग की हालत सबसे ज्यादा खराब है. यह वही विभाग है जिसके ऊपर रोजगार के अलावा युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी जिम्मेदारी है.
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नियोजनालय से लेकर श्रम विभाग तक में खाली हैं कुर्सियां
श्रम विभाग में बड़े पैमाने पर पद खाली हैं. हालत यह है कि नियोजनालय से लेकर सरकार के श्रम विभाग तक में अधिकारी से लेकर क्लर्क तक की कुर्सियां खाली है. जो भी पदाधिकारी कार्यरत हैं उन्हें कई पदों की जिम्मेदारी देकर काम चलाया जा रहा है. राजधानी स्थित अवर प्रादेशिक नियोजनालय रांची की बात करें तो यहां कुल स्वीकृत 43 पदों में मात्र 9 कार्यरत हैं. हालत यह है कि सहायक निदेशक और नियोजन पदाधिकारी के स्वीकृत 2-2 पदों में से दोनों के दोनों रिक्त हैं.
खाली हैं 26% पद
श्रमायुक्त कार्यालय डोरंडा में स्वीकृत 657 में से मात्र 168 कार्यरत हैं जबकि 489 पद रिक्त हैं. सबसे दुखद पहलू यह है कि श्रम कानून को लागू कराने में अहम भूमिका निभाने वाले श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के 202 में से मात्र 21 ही कार्यरत बचे हुए हैं. श्रमायुक्त ए मुथुकुमार की मानें तो सरकार इन रिक्तियों को भरने की दिशा में प्रयासरत है. रिक्तियों के होने के कारण कामकाज पर असर पड़ रहा है. नियोजन पदाधिकारी नीलू कुमारी का कहना है कि कर्मियों की कमी की वजह से एक-एक पदाधिकारी कई जगह प्रभार में रहते हैं.
विभाग में अधिकारियों और कर्मियों के टोटा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रांची नियोजनालय में कार्यरत सहायक निदेशक निशिकांत मिश्र रांची से दुमका तक के पांच पदों के प्रभार में हैं. ऐसे में दूसरों को नियोजित करनेवाला राज्य सरकार का श्रम एवं प्रशिक्षण विभाग आज खुद पदाधिकारियों और कर्मियों की नियुक्ति का बाट जोहने को बेबस है.