रांचीः कोलकाता के चर्चित कारोबारी अमित अग्रवाल (kolkata businessman amit agrawal) से अगले 7 दिनों तक ईडी के जोनल कार्यालय में पूछताछ होगी. शनिवार को ईडी ने गिरफ्तार कारोबारी अमित अग्रवाल को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईडी की विशेष अदालत में पेश किया(ED special court ranchi) , जिसके बाद ईडी ने अदालत से कारोबारी अमित अग्रवाल से पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड की मांग की. हालांकि अदालत ने सिर्फ 7 दिनों की रिमांड की अवधि मंजूर की.
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शुक्रवार को हुई थी गिरफ्तारीः अमित अग्रवाल को ईडी की टीम ने रांची एयरपोर्ट से शुक्रवार की रात गिरफ्तार किया था. कारोबारी अमित अग्रवाल से अवैध खनन से जुड़े मामले, झारखंड के हाईप्रोफाइल लोगों से संबंध के जरिये काली कमाई, हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार (High Court Advocate Rajeev Kumar) से जुड़े रिश्वत प्रकरण सहित कई मामलों में पूछताछ की जाएगी. रविवार से 7 दिनों तक अमित अग्रवाल ईडी की रिमांड पर रहेंगे, जहां उनसे सभी बिंदुओं पर पूछताछ की जाएगी. रिमांड की अवधि तक पूछताछ के पश्चात अमित अग्रवाल को कोतवाली थाना के हाजत में रखा जाएगा.
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार को अमित अग्रवाल की शिकायत पर ही कोलकाता पुलिस ने 50 लाख रुपये नगद के साथ गिरफ्तार किया था. अमित अग्रवाल ने शेल कंपनियों से जुड़ी याचिका में पैसे मांगने का आरोप राजीव कुमार पर लगाया था. इस मामले में ईडी ने अलग से मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस किया है. राजीव कुमार से ईडी पूछताछ कर चुकी है.
अवैध खनन के जरिये मोटी कमाई का ईडी चार्जशीट में जिक्रः झारखंड में अवैध खनन को (illegal mining jharkhand) लेकर हाल में ईडी ने सत्ता के करीबी प्रेम प्रकाश के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. चार्जशीट में अमित अग्रवाल का भी नाम अवैध खनन में सामने आया था. ईडी ने चार्जशीट में यह भी बताया था कि प्रेम प्रकाश ने कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल और संजय चौधरी के साथ मिलकर अवैध खनन के जरिये मोटी कमाई की.
कारोबारी अमित अग्रवाल पर यह भी आरोप है कि अवैध खनन से होने वाली काली कमाई का उसने कई जगह निवेश किया. अमित अग्रवाल और प्रेम प्रकाश ने संजय चौधरी की कंपनी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग भी की. जांच में यह बात सामने आई कि संजय चौधरी की डायरेक्टरशिप वाली कंपनी सीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जरिये स्टोन चिप्स की रेलवे के जरिये बगैर चालान परिवहन किया गया. बीएससीआई, एसवीवाईई, एडीटीजी समेत कई अन्य कंपनियों का भी नाम भी अवैध परिवहन में आया है. ईडी ने जांच में पाया है कि साल 2015 - 22 तक 251 स्टोन चिप्स रैक बिना परिवहन चालान के रेलवे के जरिये भेजे गए