रांची: छठ का व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है. चार दिनों के इस महापर्व में छठ व्रतियों का सबसे कठिन साधना दंड प्रणाम है जिसमें व्रती छठ घाटों तक जमीन पर लेटकर पहुंचते हैं (Method of Dand Pranam in Chhath Puja). छठ व्रत (Chhath Puja 2022) का यह सबसे कठिन नियम माना जाता है जिसे लोग मनोकामना पूर्ण होने पर लोग इसे करते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि दंड प्रणाम के जरिए अपना शरीर भगवान सूर्य की आराधना में समर्पित करना, जिसे बड़े ही श्रद्धा के साथ महिला-पुरुष पूरा करते हैं.
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दंड प्रणाम का तरीका: दंड प्रणाम करने की अलग विधि है. इस दौरान व्रती हाथ में एक लकड़ी का टुकड़ा रखते हैं और जमीन पर पूरी तरह लेटकर अपनी लंबाई के बराबर निशान जमीन पर लगाते हैं. इसके बाद उसी निशान पर खड़े होकर दंड प्रणाम करते हैं. वर्ती यह दंड प्रणाम करते हुए शाम के अर्घ्य और सूर्योदय के अर्घ्य के दौरान घर से छठ घाट तक करते हैं.
बहरहाल छठ को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है. नहाए-खाएं (Nahay khay of chhath puja) के साथ यह पर्व शुरू होता है, छठ के दूसरे दिन छठ खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं. रविवार को छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दी जायेगी, वहीं सोमवार को उदयीमान सूर्य अर्घ्य के साथ चार दिवसीय इस महापर्व का समापन हो जायेगा.