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7 वें दिन विष्णुपद मंदिर स्थित 16 वेदियों पर पिंडदान का विधान, 100 कुलों का हो जाता है उद्धार!

गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस बार रद्द कर दिया गया है. हालांकि परंपरा अनुसार पंडा और पुरोहित यहां पिंडदान करा रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत्यु लोक से पूर्वज पृथ्वी लोक गयाजी में आते हैं. पढ़ें, सातवें दिन का महत्व...

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पिंडदान का विधान
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Published : Sep 8, 2020, 9:44 AM IST

गया: मोक्ष की नगरी गया जी में सातवें दिन विष्णुपद मंदिर स्थित 16 वेदियों पर पिंडदान का महत्व वर्णित है. पितृपक्ष के छठें दिन से आठवें दिन तक यहां लगातार पिंडदान होता है. इन 16 वेदियों की खास बात ये है कि अलग-अलग देवताओं की हैं, जो स्तंभ रूप में हैं.

देखें पूरी खबर

वहीं विष्णुपद मंदिर के पास ही अवस्थित गहर्पत्यागिन पद, आह्वगनी पद, स्मयागिन पद, आवसध्यागिन्द और इन्द्रपद इन पांचों पदों पर पिंडदान करने का महत्व है.

संन्यासी और महात्मा नहीं कर सकते पिंडदान...
गयाजी में संन्यासी और महात्मा आकर पिंडदान नहीं करते क्योंकि उन्हें पिंडदान का अधिकार नहीं है. विष्णुपद पर दंड का दर्शन करने मात्र से ही संन्यासी के पितरों को मुक्ति मिल जाती है. मुंडपृष्टा तीर्थ से ढाई-ढाई कोस चारों तरफ पांच कोस गया क्षेत्र है. एक कोस में गया सिर है इसके बीच में तत्रैलोक्य तीर्थ हैं, जो गया क्षेत्र में श्राद्ध करता है वह पितरों के ऋण से मुक्त हो जाता है.

पग-पग पर मिलता है अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल

  • गयाजी पर श्राद्ध करने से सौ कुलों का उद्धार हो जाता है. घर से चलने मात्र से ही पग-पग पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.
  • गया में पिंडदान चरु से, पायस से, सत्तू से, आटा से, चावल से, फल से, मूल से,कल्क से, मधृत पायस से, केवल दही, घी से या मधु से इन में किसी से पिंडदान करना चाहिए क्योंकि पितरों के लिए हविष्यन्न और मुनि अन्न ही तृप्ति कारक होती है.
  • पिंड का प्रमाण (आकार) मुट्ठी बराबर अथवा गीले आमला के बराबर होना चाहिए. तु गया जी र शमीपत्र प्रमाण पिंड से ही पितरों की तृप्ति हो जाती है.

विष्णुपद परिसर स्थित 16 वेदियों पर क्रमशः तीन दिनों तक पिंडदान होता है. ये तीन दिन में दूसरा दिन है. जहां पांच पिंडवेदी पर पिंडदान चल रहा है. इन 16 वेदियों पर एक दिवसीय, तीन दिवसीय और 17 दिवसीय वाले पिंडदान करते हैं. आज भी पांचों पिंडवेदी के स्तंभ पर पिंड साटने और दूध अर्पित करने का परंपरा हैं.

रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है. पढ़ें ये खबर...

गयाः लॉकडाउन में ई-पिंडदान पर संशय, पंडा समुदाय कर रहा है विरोध

गया: मोक्ष की नगरी गया जी में सातवें दिन विष्णुपद मंदिर स्थित 16 वेदियों पर पिंडदान का महत्व वर्णित है. पितृपक्ष के छठें दिन से आठवें दिन तक यहां लगातार पिंडदान होता है. इन 16 वेदियों की खास बात ये है कि अलग-अलग देवताओं की हैं, जो स्तंभ रूप में हैं.

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वहीं विष्णुपद मंदिर के पास ही अवस्थित गहर्पत्यागिन पद, आह्वगनी पद, स्मयागिन पद, आवसध्यागिन्द और इन्द्रपद इन पांचों पदों पर पिंडदान करने का महत्व है.

संन्यासी और महात्मा नहीं कर सकते पिंडदान...
गयाजी में संन्यासी और महात्मा आकर पिंडदान नहीं करते क्योंकि उन्हें पिंडदान का अधिकार नहीं है. विष्णुपद पर दंड का दर्शन करने मात्र से ही संन्यासी के पितरों को मुक्ति मिल जाती है. मुंडपृष्टा तीर्थ से ढाई-ढाई कोस चारों तरफ पांच कोस गया क्षेत्र है. एक कोस में गया सिर है इसके बीच में तत्रैलोक्य तीर्थ हैं, जो गया क्षेत्र में श्राद्ध करता है वह पितरों के ऋण से मुक्त हो जाता है.

पग-पग पर मिलता है अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल

  • गयाजी पर श्राद्ध करने से सौ कुलों का उद्धार हो जाता है. घर से चलने मात्र से ही पग-पग पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.
  • गया में पिंडदान चरु से, पायस से, सत्तू से, आटा से, चावल से, फल से, मूल से,कल्क से, मधृत पायस से, केवल दही, घी से या मधु से इन में किसी से पिंडदान करना चाहिए क्योंकि पितरों के लिए हविष्यन्न और मुनि अन्न ही तृप्ति कारक होती है.
  • पिंड का प्रमाण (आकार) मुट्ठी बराबर अथवा गीले आमला के बराबर होना चाहिए. तु गया जी र शमीपत्र प्रमाण पिंड से ही पितरों की तृप्ति हो जाती है.

विष्णुपद परिसर स्थित 16 वेदियों पर क्रमशः तीन दिनों तक पिंडदान होता है. ये तीन दिन में दूसरा दिन है. जहां पांच पिंडवेदी पर पिंडदान चल रहा है. इन 16 वेदियों पर एक दिवसीय, तीन दिवसीय और 17 दिवसीय वाले पिंडदान करते हैं. आज भी पांचों पिंडवेदी के स्तंभ पर पिंड साटने और दूध अर्पित करने का परंपरा हैं.

रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है. पढ़ें ये खबर...

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