रांचीः बिहार और झारखंड में मान्यता है कि मलमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. लेकिन इसके विपरीत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम समेत नॉर्थ ईस्ट के लोग इसमें विशेष रूप से पूजा पाठ करते हैं.
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इन प्रदेश के लोगों के लिए मलामास से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाता है. इस माह में नदियों के तट पर मेले का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही इस पावन श्रावण मास में दान-पुण्य करने का फल अक्षय होता है. यदि दान न किया जा सके तो ब्राह्माणों और संतों की सेवा इस मास में सर्वोत्तम मानी गई है. ऐसी मान्यता है कि दान में खर्च किया गया धन क्षीण नहीं होता है. धन में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है. जिस प्रकार छोटे से वट बीज से विशाल वृक्ष पैदा होता है, ठीक वैसे ही मलमास में किया गया दान अनंत फलदायक सिद्ध होता है.
अदभुत संयोगः पवित्र श्रावण मास में इस साल मलमास भी पड़ रहा है. सावन के तीसरे सोमवार को मलमास का पहला सोमवार है. सावन के तीसरे सोमवार पर रवि योग, सर्वार्थ अमृत योग, और शिववास योग का संयोग बन रहा है. इन तीन शुभ संयोग में रुद्राभिषेक करना काफी शुभ माना गया है. इसके साथ ही सावन की तीसरी सोमवारी को भी शिवलिंग पर रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करना काफी शुभ और फलदायी माना जा रहा है. रवि योग, यह 23 जुलाई की संध्या काल से प्रारंभ होकर 24 जुलाई की संध्या 5 बजे समाप्त हो जाएगा. शिववास योग, यह योग 23 जुलाई संध्या 6 बजकर 10 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 24 जुलाई प्रातःकाल 9 बजे ही रहेगा.
रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्तः शिवलिंग का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक के लिए 24 जुलाई के ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 9 बजे तक अतिशुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त शिववास योग में व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके साथ ही भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं. इससे उनकी पूजा करने वाले भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.