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सीएम की सदस्यता पर फैसला आज, जानिए झारखंड में क्या है बहुमत का अंकगणित

ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सीएम हेमंत सोरेन अयोग्य करार दिए गए हैं. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के बाद झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर संकट के बादल घिर गए हैं. राज्यपाल आज अपना फैसला दे सकते हैं. इसके बाद नयी सरकार के लिए बहुमत का समीकरण कैसा होगा, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से समझिए.

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Published : Aug 26, 2022, 10:24 AM IST

रांची: आज झारखंड की सियासत के लिए अहम दिन (important day for Jharkhand Politics) है. राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर मंथन करने के बाद आगे की कार्रवाई करने की संभावना है. जाहिर तौर पर चुनाव आयोग के सीलबंद लिफाफे में बंद हेमंत सरकार की किस्मत के फैसले पर सबकी नजर टिकी हुई है. सियासत के इस खेल में तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड की सियासत के लिए बड़ा दिन, सरकार पर संकट

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (CM Hemant Soren Office of Profit case) में चुनाव आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को राजभवन पहुंचते ही झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने जहां अपने सभी विधायकों को रांची पहुंचने को कहा है. वहीं, विपक्षी दल बीजेपी ने भी अपने सभी सांसदों और विधायक को रांची में मौजूद रहने का निर्देश दिया है. इससे पहले गुरुवार दोपहर राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची पहुंचे. लेकिन गुरुवार का पूरा दिन सियासी ऊहापोह में ही निकल गया. अब शुक्रवार यानी आज के दिन राजभवन और सीएम हाउस झारखंड की राजनीति के केंद्र बिंदु बन गए हैं.

झारखंड में बहुमत का अंकगणितः शुक्रवार यानी आज इस पूरे मामले का पटाक्षेप होने की संभावना है. राजभवन की ओर से आधिकारिक पुष्टि भी की जाएगी. लेकिन अब सीट का गणित क्या होगा और सरकार का समीकरण क्या होगा. झारखंड में बहुमत का अंकगणित को जानने से पहले यहां की सत्ता का अंकगणित जानना जरूरी है. झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनकर आते हैं. सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है. अभी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक यानी कुल 49 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है. भाकपा माले ने अपने एक विधायक का समर्थन बाहर से दे रखा है. कागज पर एनसीपी के इकलौते विधायक का भी बाहर से समर्थन प्राप्त है. दूसरी तरफ भाजपा के पास कुल 26 विधायक हैं. उसकी सहयोगी पार्टी आजसू के दो विधायक हैं. अगर निर्दलीय सरयू राय, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह और बरकट्ठा विधायक अमित यादव का साथ मिल भी जाता है तो यह संख्या 31 पर सिमट जाएगी. ऐसे में भाजपा उसी सूरत में सरकार बना पाएगी, अगर कांग्रेस के 18 में से दो तिहाई यानी 12 विधायक उसके साथ आ जाएंगे.

रांची: आज झारखंड की सियासत के लिए अहम दिन (important day for Jharkhand Politics) है. राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर मंथन करने के बाद आगे की कार्रवाई करने की संभावना है. जाहिर तौर पर चुनाव आयोग के सीलबंद लिफाफे में बंद हेमंत सरकार की किस्मत के फैसले पर सबकी नजर टिकी हुई है. सियासत के इस खेल में तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही है.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (CM Hemant Soren Office of Profit case) में चुनाव आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को राजभवन पहुंचते ही झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने जहां अपने सभी विधायकों को रांची पहुंचने को कहा है. वहीं, विपक्षी दल बीजेपी ने भी अपने सभी सांसदों और विधायक को रांची में मौजूद रहने का निर्देश दिया है. इससे पहले गुरुवार दोपहर राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची पहुंचे. लेकिन गुरुवार का पूरा दिन सियासी ऊहापोह में ही निकल गया. अब शुक्रवार यानी आज के दिन राजभवन और सीएम हाउस झारखंड की राजनीति के केंद्र बिंदु बन गए हैं.

झारखंड में बहुमत का अंकगणितः शुक्रवार यानी आज इस पूरे मामले का पटाक्षेप होने की संभावना है. राजभवन की ओर से आधिकारिक पुष्टि भी की जाएगी. लेकिन अब सीट का गणित क्या होगा और सरकार का समीकरण क्या होगा. झारखंड में बहुमत का अंकगणित को जानने से पहले यहां की सत्ता का अंकगणित जानना जरूरी है. झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनकर आते हैं. सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है. अभी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक यानी कुल 49 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है. भाकपा माले ने अपने एक विधायक का समर्थन बाहर से दे रखा है. कागज पर एनसीपी के इकलौते विधायक का भी बाहर से समर्थन प्राप्त है. दूसरी तरफ भाजपा के पास कुल 26 विधायक हैं. उसकी सहयोगी पार्टी आजसू के दो विधायक हैं. अगर निर्दलीय सरयू राय, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह और बरकट्ठा विधायक अमित यादव का साथ मिल भी जाता है तो यह संख्या 31 पर सिमट जाएगी. ऐसे में भाजपा उसी सूरत में सरकार बना पाएगी, अगर कांग्रेस के 18 में से दो तिहाई यानी 12 विधायक उसके साथ आ जाएंगे.

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