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Ranchi News: रांची में राज्यस्तरीय खरीफ सह मिलेट्स कार्यशाला में बोले कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, मोटे अनाज की खेती से समृद्ध होंगे राज्य के अन्नदाता

रांची के हेसाग में राज्यस्तरीय खरीफ सह मिलेट्स पर आयोजित कार्यशाला में झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने मौजूद कृषि पदाधिकारियों और अधिकारियों को किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए समर्पण भाव से कार्य करने के निर्देश दिए.

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Kharif Cum Millets Workshop Organized In Ranchi
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Published : May 17, 2023, 8:46 PM IST

Updated : May 18, 2023, 7:49 AM IST

रांची : झारखंड में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देकर किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने की कवायद चल रही है. इसको लेकर हेसाग के पशुपालन निदेशालय सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि जबतक किसानों का जीवन बेहतर बनाने की ललक और समर्पण का भाव पदाधिकारियों में नहीं होगा, तब तक हम लाख योजना बना लें किसानों का जीवन खुशहाल नहीं बना सकते.

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किसानों की समस्या को अपनी समस्य समझकर कार्य करने की दी नसीहतः कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की हर समस्या को जब तक अधिकारी और पदाधिकारी अपनी समस्या नहीं समझेंगे, तब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. राज्य के किसानों का सरकार और अधिकारियों के प्रति विश्वास का भाव होगा तो आपके प्रति उनका भरोसा बढ़ेगा. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सरकारी राशि का आवंटन और खर्च ही काफी नहीं है, बल्कि अन्नदाताओं की समस्या को करीब से देखने, समझने और उसे दूर करने की जरूरत है.

बेहतर करनेवाले जिलों से सीख लेने की जरूरतः इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर 2023 के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय खरीफ सह मोटे अनाज (मिलेट्स) कर्मशाला 2023 में राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारी और जिला सहकारिता पदाधिकारी शामिल हुए. इस मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सभी पदाधिकारियों को ऐसे जिलों से सबक लेने और सीखने की जरूरत है, जिस जिले ने उत्कृष्ट तरीके से योजनाओं को धरातल पर उतारने में सफलता पाई है.

पदाधिकारियों को कार्यशैली में सुधार लाने का निर्देशः उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करा रही है, लेकिन हमें किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम करने की जरूरत है. कृषि मंत्री ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि हमारे राज्य के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन क्या हम 80 प्रतिशत किसानों को अपनी सभी योजनाओं से अच्छादित कर सके हैं. यह एक बड़ा सवाल आज भी बना हुआ है. किसानों को विभिन्न स्तर पर सभी योजनाओं का लाभ अगर नहीं मिलता है, तो पदाधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार करें.

राज्य में बड़े वाटर रिसोर्स की जरूरतः इस मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य की जीडीपी में 14 प्रतिशत कृषि की भागीदारी है. सरकार इस भागीदारी को 20 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है. बादल पत्रलेख ने कहा कि बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान हमारे सहयोगी हैं, लेकिन हम इस बात का आकलन अभी तक नहीं कर सके हैं कि गैर सिंचित भूमि के लिए आनेवाले दिनों में और हमें क्या काम करने की जरूरत है. चेकडैम, खदानों के पानी से सिंचाई की जा सकती है. बड़े-बड़े जलाशय, तालाब बनाकर हमें एश्योर्ड इरिगेशन एरिया को बढ़ाना होगा.

किसानों को सांगठनिक तौर पर मजबूत करने की जरूरतः कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के कल्याण के उद्देश्य से हमने चैंबर ऑफ फार्मर्स की परिकल्पना की थी, जिसमें अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पद पर नए लोगों को बैठना था. कृषि अधिकारियों को उसमें सदस्य बनाने की बात थी, लेकिन उसमें अब तक परिकल्पना के आधार पर सकारात्मक परिणाम नहीं मिले हैं. किसानों को ब्लॉक स्तर, प्रखंड स्तर पर व्यवस्थित कर कृषि के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. इसलिए सभी पदाधिकारी किसानों को सांगठनिक रूप से मजबूत बनाएं.

सरकार लगातार किसानों के लिए कर रही बेहतरीन कार्यः 2019 से अब तक हमारे विभाग ने करीब 4500 करोड़ रुपए किसान कल्याण के लिए दिए हैं, जो अब तक का रिकॉर्ड है. वहीं पांच लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया. 9.38 लाख किसानों को पिछली सरकार से बकाया फसल बीमा का लाभ भी दिलवाया गया. मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत के तहत 3500 रुपए प्रति एकड़ प्रति किसान दिया गया. इतनी योजनाओं का लाभ मिलने के बाद भी किसानों को अगर सरकार के कार्यों की जानकारी नहीं है, तो ये मान लीजिए कि किसान सांगठनिक रूप से आज कमजोर हैं. कृषि मंत्री में निर्देश दिया कि अधिकारी डीएमएफटी फंड का इस्तेमाल करें और योजनाएं तैयार कर किसानों के कल्याण के लिए काम करें.

किसानों की आर्थिक समृद्धि ही विभाग का लक्ष्यः वहीं इस मौके पर कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने पदाधिकारियों से कहा कि खरीफ और रबी दोनों ही फसलें काफी महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन झारखंड के संदर्भ में खरीफ की फसल बेहद महत्वपूर्ण होती है. राज्य में करीब 18 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ फसल की खेती की जाती है. राज्य में सिंचाई ज्यादातर बारिश पर निर्भर है . खरीफ मौसम में पदाधिकारियों को ज्यादा सक्रिय रहने की जरूरत है, क्योंकि खरीफ झारखंड के जीवन का आधार है. तकनीक और पद्धति में बदलाव हो रहा है और मौसम भी लगातार बदल रहा है, तो आपको और हमें ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है. बीज से लेकर खाद, उपकरण, लोन, केसीसी सब कुछ किसानों को दे रहे हैं, तो आपको भी आगे बढ़कर उन्हें क्रियान्वित करना होगा.

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साथी पोर्टल से बीज वितरकों को जोड़ेंः कृषि निदेशक चंदन कुमार ने कहा कि कर्मशाला का उद्देश्य खरीफ फसल को बढ़ावा देने के तकनीकी बिंदुओं पर फोकस करना है. कृषि निदेशक ने कहा कि केंद्र सरकार के साथी पोर्टल से बीज वितरकों को जोड़ें, उससे क्यूआर कोड जेनरेट होगा और वितरण में पारदर्शिता रहेगी. राज्य में नैनो फर्टिलाइजर की शुरुआत की गई है.

रांची : झारखंड में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देकर किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने की कवायद चल रही है. इसको लेकर हेसाग के पशुपालन निदेशालय सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि जबतक किसानों का जीवन बेहतर बनाने की ललक और समर्पण का भाव पदाधिकारियों में नहीं होगा, तब तक हम लाख योजना बना लें किसानों का जीवन खुशहाल नहीं बना सकते.

ये भी पढे़ं-Etv Bharat से खास बातचीत में बोले कृषि मंत्रीः चिंतित ना हो किसान-पशुपालक, सुखाड़ और बीमारी को लेकर सरकार गंभीर

किसानों की समस्या को अपनी समस्य समझकर कार्य करने की दी नसीहतः कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की हर समस्या को जब तक अधिकारी और पदाधिकारी अपनी समस्या नहीं समझेंगे, तब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं होने वाला है. राज्य के किसानों का सरकार और अधिकारियों के प्रति विश्वास का भाव होगा तो आपके प्रति उनका भरोसा बढ़ेगा. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सरकारी राशि का आवंटन और खर्च ही काफी नहीं है, बल्कि अन्नदाताओं की समस्या को करीब से देखने, समझने और उसे दूर करने की जरूरत है.

बेहतर करनेवाले जिलों से सीख लेने की जरूरतः इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर 2023 के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय खरीफ सह मोटे अनाज (मिलेट्स) कर्मशाला 2023 में राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारी और जिला सहकारिता पदाधिकारी शामिल हुए. इस मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सभी पदाधिकारियों को ऐसे जिलों से सबक लेने और सीखने की जरूरत है, जिस जिले ने उत्कृष्ट तरीके से योजनाओं को धरातल पर उतारने में सफलता पाई है.

पदाधिकारियों को कार्यशैली में सुधार लाने का निर्देशः उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करा रही है, लेकिन हमें किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम करने की जरूरत है. कृषि मंत्री ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि हमारे राज्य के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन क्या हम 80 प्रतिशत किसानों को अपनी सभी योजनाओं से अच्छादित कर सके हैं. यह एक बड़ा सवाल आज भी बना हुआ है. किसानों को विभिन्न स्तर पर सभी योजनाओं का लाभ अगर नहीं मिलता है, तो पदाधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार करें.

राज्य में बड़े वाटर रिसोर्स की जरूरतः इस मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य की जीडीपी में 14 प्रतिशत कृषि की भागीदारी है. सरकार इस भागीदारी को 20 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है. बादल पत्रलेख ने कहा कि बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान हमारे सहयोगी हैं, लेकिन हम इस बात का आकलन अभी तक नहीं कर सके हैं कि गैर सिंचित भूमि के लिए आनेवाले दिनों में और हमें क्या काम करने की जरूरत है. चेकडैम, खदानों के पानी से सिंचाई की जा सकती है. बड़े-बड़े जलाशय, तालाब बनाकर हमें एश्योर्ड इरिगेशन एरिया को बढ़ाना होगा.

किसानों को सांगठनिक तौर पर मजबूत करने की जरूरतः कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के कल्याण के उद्देश्य से हमने चैंबर ऑफ फार्मर्स की परिकल्पना की थी, जिसमें अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पद पर नए लोगों को बैठना था. कृषि अधिकारियों को उसमें सदस्य बनाने की बात थी, लेकिन उसमें अब तक परिकल्पना के आधार पर सकारात्मक परिणाम नहीं मिले हैं. किसानों को ब्लॉक स्तर, प्रखंड स्तर पर व्यवस्थित कर कृषि के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं. इसलिए सभी पदाधिकारी किसानों को सांगठनिक रूप से मजबूत बनाएं.

सरकार लगातार किसानों के लिए कर रही बेहतरीन कार्यः 2019 से अब तक हमारे विभाग ने करीब 4500 करोड़ रुपए किसान कल्याण के लिए दिए हैं, जो अब तक का रिकॉर्ड है. वहीं पांच लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया. 9.38 लाख किसानों को पिछली सरकार से बकाया फसल बीमा का लाभ भी दिलवाया गया. मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत के तहत 3500 रुपए प्रति एकड़ प्रति किसान दिया गया. इतनी योजनाओं का लाभ मिलने के बाद भी किसानों को अगर सरकार के कार्यों की जानकारी नहीं है, तो ये मान लीजिए कि किसान सांगठनिक रूप से आज कमजोर हैं. कृषि मंत्री में निर्देश दिया कि अधिकारी डीएमएफटी फंड का इस्तेमाल करें और योजनाएं तैयार कर किसानों के कल्याण के लिए काम करें.

किसानों की आर्थिक समृद्धि ही विभाग का लक्ष्यः वहीं इस मौके पर कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने पदाधिकारियों से कहा कि खरीफ और रबी दोनों ही फसलें काफी महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन झारखंड के संदर्भ में खरीफ की फसल बेहद महत्वपूर्ण होती है. राज्य में करीब 18 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ फसल की खेती की जाती है. राज्य में सिंचाई ज्यादातर बारिश पर निर्भर है . खरीफ मौसम में पदाधिकारियों को ज्यादा सक्रिय रहने की जरूरत है, क्योंकि खरीफ झारखंड के जीवन का आधार है. तकनीक और पद्धति में बदलाव हो रहा है और मौसम भी लगातार बदल रहा है, तो आपको और हमें ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है. बीज से लेकर खाद, उपकरण, लोन, केसीसी सब कुछ किसानों को दे रहे हैं, तो आपको भी आगे बढ़कर उन्हें क्रियान्वित करना होगा.

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साथी पोर्टल से बीज वितरकों को जोड़ेंः कृषि निदेशक चंदन कुमार ने कहा कि कर्मशाला का उद्देश्य खरीफ फसल को बढ़ावा देने के तकनीकी बिंदुओं पर फोकस करना है. कृषि निदेशक ने कहा कि केंद्र सरकार के साथी पोर्टल से बीज वितरकों को जोड़ें, उससे क्यूआर कोड जेनरेट होगा और वितरण में पारदर्शिता रहेगी. राज्य में नैनो फर्टिलाइजर की शुरुआत की गई है.

Last Updated : May 18, 2023, 7:49 AM IST
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