रामगढ़ः तंत्र सिद्धि को लेकर कामाख्या मंदिर के बाद रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका का ही स्थान आता है. यही कारण है कि कार्तिक अमावस्या में देशभर से तांत्रिक और साधक मां छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा पहुंचते हैं. सालभर में यही वह कार्तिक अमावस्या की रात्रि है, जब मां छिन्नमस्तिका का दरबार भक्तों के लिए रातभर खुला रहता है.
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देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिका मंदिर में काली पूजा के मौके पर यहां का दिन जितना सुहाना होता है, रात उतनी ही रहस्यमयी लगती है. रात में घने जंगलों, पहाड़ों और झर-झर बहती दामोदर और भैरवी नदी से आती आवाज दैवीय शक्ति का एहसास कराती है. मंदिर प्रक्षेत्र में रातभर भजन कीर्तन और हवन कुंडों में दहकती आग की लपटें आलौकिक शक्ति देखने को मिलती हैं. कई साधक गुप्त रुप से साधना के लिए जंगलों में लीन रहते हैं.
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या को मां छिन्नमस्तिका की पावन धरती पर साधना और सिद्धि के लिए दिव्य शक्ति मिलती है. यहां सच्चे मन से साधना करने से माता का दिव्य रुप का दर्शन भी आसानी से हो सकता है और यहां साधकों को शक्ति की प्राप्ति त्वरित होती है. यहां कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे तो कई पहुंचे हुए तांत्रिक श्मशान भूमि और घने जंगलों में गुप्त रूप से तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए साधना करते हैं.मां छिन्नमस्तिका मंदिर के पुजारी और मंदिर न्यास समिति के सचिव शुभाशीष पंडा ने बताया कि कार्तिक अमावस्या की साधना और पूजा से सभी विघ्न बाधाएं दूर होने के अलावा ना सिर्फ धन संपत्ति की प्राप्ति होती है बल्कि रोग, शोक, बुरी शक्ति और शत्रु का दमन भी होता है. वहीं तंत्र मंत्र सिद्धि करने वालों के लिए यह रात शक्ति प्रदान करती है. पूरे मंदिर परिसर को भव्य तरीके से विद्युत सज्जा और फूलों की सज्जा की गई है. दामोदर और भैरवी की नदी के किनारे भी लाइट लगाए गए हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो सके रातभर बड़ी संख्या में झारखंड ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां की आराधना करते हैं.