रांचीः सोमवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के सभी लोगों को मुफ्त में कोरोना टीका मुहैया कराने को लेकर घोषणा की है. केंद्र सरकार की घोषणा के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं हैं.
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इसी कड़ी में मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा कि यह घोषणा बहुत पहले ही केंद्र को कर देनी चाहिए थी.
भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो घोषणा की है 18 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को भारत सरकार की ओर से मुफ्त में टीके लगाए जाएंगे. इसका स्वागत वो कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने 19 अप्रैल को कहा था कि 45 से ऊपर का टीका सरकार देगी और 18 से 45 साल का टिकट राज्य सरकार देगी.
वह इस तरीके की बयानबाजी क्यों करते हैं यह समझ से परे है, जब केंद्र के पास बजटीय प्रावधान है तब ऐसा केंद्र ने क्यों कहा था. वैक्सीन को लेकर देश की कई विकास योजनाओं से पैसे काटकर बजटीय प्रावधान किया गया था.
ताकि देश के लोगों को मुफ्त में कोरोना टीका मिल सके. लेकिन इस तरीके का निर्णय केंद्र सरकार ने क्यों लिया था और एक बार फिर केंद्र ने पलटी मारते हुए यह फैसला लिया है. इसमे भी केंद्र की मंशा संदिग्ध है.
ग्लोबल टेंडर से परेशानी हो सकती है दूर
ग्लोबल टेंडर के जरिए ही इस परेशानी को दूर किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री का चिट्ठी का कोई जवाब नहीं दिया.
खैर भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों की चिट्ठियों का भी जवाब नहीं देते हैं लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस पूरे प्रकरण का एक्सपोजर किया गया तब जाकर केंद्र की नींद खुली और मजबूरी में आकर यह कदम केंद्र ने उठाया.
25 फीसदी टीका प्राइवेट अस्पतालों को क्यों
अभी भी केंद्र सरकार की ओर से एक व्यवसायिक दृष्टिकोण के तहत यह कदम उठाया जा रहा है. यदि टीका का राष्ट्रीयकरण होना है तो फिर 25 फीसदी क्यों प्राइवेट अस्पतालों को दिया जा रहा है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार के दावों में कहीं ना कहीं विरोधाभास है. केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीनेशन लगाने को लेकर 150 रुपया सर्विस चार्ज तय किया है, लेकिन वैक्सीन का दाम प्राइवेट अस्पतालों के लिए तय नही किया है. इसे क्यों नहीं क्लियर किया जा रहा है. इसका मतलब देश के 25 फीसदी लोग प्राइवेट में पैसे लगाकर वैक्सीन लेंगे.
यूपीए-2 की योजनाओं को बड़ा कर लूट रहे हैं वाहवाही
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार मुफ्त में अनाज देने की बात कह रही है लेकिन यह भी केंद्र के प्रावधान के तहत ही देंगे. यूपीए-2 ने पहले ही नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट नियम बना कर रखा है. उसी केंद्र कानून के तहत केंद्र सरकार आपदा के दौरान वैधानिक तौर पर अनाज बांटेगी.
इस तरीके से केंद्र सरकार को लोगों को बरगलाना नहीं चाहिए. केंद्र सरकार के पास पावर है. उन पावर को सही जगह पर इस्तेमाल करना चाहिए. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने केंद्र सरकार से अपील की है और मांग की है कि वह संघीय ढांचा बरकरार रखे. राज्य सरकारों के साथ तालमेल के साथ काम करे. एक समानता रखें तो बेहतर होगा.
वैक्सीनेशन को लेकर तैयार करें कैलेंडर
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन को लेकर कैलेंडर तैयार करे. उसमें हर राज्य का नाम हो जनसंख्या हो .कब कब वैक्सीनेशन मिल रहा है. कितना प्रतिशत मिल रहा है. यह तमाम ब्यौरा उसमें रहे. नहीं तो झारखंड जैसे राज्य केंद्र सरकार की नीतियों के कारण छलते रहेंगे क्योंकि झारखंड को ना तो उनका बकाया पैसा मिलता है और ना ही वह सम्मान केंद्र की ओर से दिया जाता है.
लड़कर सामान लेना पड़ता है. इसलिए वैक्सीन कैलेंडर 21 जून के पहले तैयार होना चाहिए. इससे पता चल सके किस राज्य को कितनी वैक्सीन देना चाहिए और डोज कैसे और कब कब मिलेगा. यह क्लियर होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अब तक वैक्सीन निर्माण करने वाले कंपनियों की ओर से जो पैसे राज्य सरकारों से लिए गए हैं, उन पैसों को भी वापस करना चाहिए.