रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आधिकारिक तौर पर नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर दी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्या ने इसकी घोषणा की. झामुमो के हरमू स्थित केंद्रीय कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि एक सार्वभौमिक देश के संवैधानिक प्रमुख और राष्ट्राध्यक्ष होने के बावजूद नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित नहीं करना एक आदिवासी महिला राष्ट्र प्रमुख का अपमान है.
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सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में अजीब विडंबना है कि यहां जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति की भी जाति बतायी जाती है. पहले भाजपा ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जाति बताकर ढोल पीटा कि एक दलित को उन्होंने राष्ट्रपति बनाया है. वहीं जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनीं तो भाजपा के नेता यह कहते हुए क्रेडिट लेने लगे कि उन्होंने आजादी के बाद पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनाया है. लेकिन जब संसद के एक अंग होने के नाते राष्ट्रपति से नए संसद भवन के उद्घाटन का वक्त आया तो उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण तक नहीं दिया गया.
सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि भाजपा ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि राष्ट्रपति संथाल आदिवासी और महिला हैं. भाजपा के नेता बताएं कि आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान करके वह कौन सी परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं. झामुमो नेता ने साफ शब्दों में कहा कि जिस नए संसद भवन में राष्ट्रपति का अभिनंदन नहीं होगा, उस कार्यक्रम से झामुमो का दूर रहना ही बेहतर होगा.
'सावरकर के जन्मदिन पर नए संसद भवन का उद्घाटन महज संयोग या प्रयोग': झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि भाजपा के नेता बताएं कि कई बार फिरंगियों से लिखित माफीनामा मांगने वाले विनायक दामोदर सावरकर के जन्मदिन के दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना महज संयोग है या जानबूझ किया गया प्रयोग. झामुमो नेता ने कहा कि 28 मई को झामुमो के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अंग्रेजों से माफी मांगने वाले पीढ़ी के कृत्य के लिए पश्चाताप करना है.
बता दें कि कल 24 मई को संयुक्त विपक्ष की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की घोषणा पत्र में 19 दलों में झामुमो का भी नाम था. आज अलग से संवाददाता सम्मेलन कर झामुमो ने राष्ट्रपति को कार्यक्रम से दूर रखने को आदिवासी और महिला का अपमान बताते हुए आधिकारिक रूप से अपना स्टैंड साफ कर दिया.