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UPA MLAs in Raipur: झामुमो बता रहा गणेशोत्सव मनाने की बात, कांग्रेस ने कहा- सावधानी जरूरी है

झारखंड में राजनीतिक संकट (Jharkhand Political Crisis) के बीच यूपीए के मंत्रियों और विधायकों का प्रदेश के बाहर आना-जाना हो रहा है. इसको लेकर झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य का बयान है कि वो रायपुर में गणेश उत्सव मनाने के लिए गए (UPA MLAs went to Raipur) हैं. वहीं प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने इस सियासी संकट के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि कई राज्यों में चुनी हुई सरकार को अस्थिर किया गया है, ऐसे में यह जरूरी है कि सावधानी बरती जाए.

UPA MLAs went to Raipur to celebrate Ganesh festival said JMM Supriyo Bhattacharya
झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य
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Published : Sep 1, 2022, 9:37 AM IST

रांचीः मंगलवार को झारखंड से 31 विधायक लोकतंत्र बचाने के नाम पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर गए (Jharkhand Political Crisis) थे. जिसमें हेमंत सरकार में कांग्रेस कोटे से शामिल चारों मंत्री शामिल थे. हालांकि चारों मंत्री बुधवार को रांची लौट आए और वो गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे. लेकिन सवाल यह उठने लगा है कि आखिर कांग्रेस के विधायकों-मंत्रियों पर ही भरोसा क्यों नहीं. ऐसा इसलिए कि झामुमो कोटे से कोई भी मंत्री रायपुर नहीं गया है तो कई झामुमो विधायक ने भी रायपुर जाना ठीक नहीं समझा. सवाल यह कि क्या टूट का खतरा सबसे ज्यादा कांग्रेस को ही क्यों सता रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी तक विधायक और मंत्रियों के साथ रायपुर गए.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand political crisis रायपुर से रांची वापस गए झारखंड के मंत्री, कैबिनेट मीटिंग में होंगे शामिल


झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य (JMM leader Supriyo Bhattacharya) कहते हैं कि रायपुर जाना एकदम आवश्यक नहीं था, इसलिए झामुमो के सभी विधायक मंत्री रायपुर नहीं गए. उन्होंने कहा कि जिनको लगा कि रायपुर में गणेशोत्सव बढ़िया से मनाया जाता है और उसे देख आएं. वैसे विधायक और मंत्री वहां गए और जिनको लगा कि रांची या क्षेत्र में उनका रहना जरूरी है, वो यहीं रह गए. उन्होंने झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम के उस बयान का भी बचाव किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने रायपुर जाने से इनकार कर दिया है.

देखें पूरी खबर

सावधानी जरूरी है- बंधु तिर्कीः वहीं प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कांग्रेस में टूट के खतरे को लेकर कहा कि इसमें कोई विश्वास-अविश्वास की बात नहीं है. जिस तरीके से मामले में अनिश्चितता बनी हुई है और कई राज्यों में चुनी हुई सरकार को अस्थिर किया गया है वैसे में यह जरूरी है कि सावधानी बरती जाए. झारखंड में राजनीतिक संकट के लिए उन्होंने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है.

कांग्रेस को जोड़-तोड़ का खतरा ज्यादा क्यों? राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि 30 विधायक वाली पार्टी झामुमो से ज्यादा आसान 17+01 विधायक वाली पार्टी कांग्रेस में सेंध लगाना है. हावड़ा में भारी मात्रा में नोट के साथ गिरफ्त में आने वाले तीनों विधायक कांग्रेसी ही थे तो असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा सरमा से मुलाकात की एक विधायक की तस्वीर सामने आई थी वह भी कांग्रेस के ही थे. ऐसे में ऊपर से एकजुट दिख रही कांग्रेस विधायक दल के अंदर ही अंदर की घमासान में दूसरे दल फायदा ना उठा लें, इसी डर को दूर करने के लिए ही शायद कांग्रेस अपने चारों मंत्रियों के साथ स्थिति सामान्य होने तक रायपुर में कैंप करना उचित समझा. लेकिन इस संभावना को बल इस बात से भी मिलता है कि रायपुर से गुरुवार की बैठक में भाग लेने के लिए रांची रवाना होने से पहले विधायक दल के नेता ने कहा कि वह यानी चारों मंत्री फिर रायपुर लौट आएंगें.

रांचीः मंगलवार को झारखंड से 31 विधायक लोकतंत्र बचाने के नाम पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर गए (Jharkhand Political Crisis) थे. जिसमें हेमंत सरकार में कांग्रेस कोटे से शामिल चारों मंत्री शामिल थे. हालांकि चारों मंत्री बुधवार को रांची लौट आए और वो गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे. लेकिन सवाल यह उठने लगा है कि आखिर कांग्रेस के विधायकों-मंत्रियों पर ही भरोसा क्यों नहीं. ऐसा इसलिए कि झामुमो कोटे से कोई भी मंत्री रायपुर नहीं गया है तो कई झामुमो विधायक ने भी रायपुर जाना ठीक नहीं समझा. सवाल यह कि क्या टूट का खतरा सबसे ज्यादा कांग्रेस को ही क्यों सता रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी तक विधायक और मंत्रियों के साथ रायपुर गए.

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झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य (JMM leader Supriyo Bhattacharya) कहते हैं कि रायपुर जाना एकदम आवश्यक नहीं था, इसलिए झामुमो के सभी विधायक मंत्री रायपुर नहीं गए. उन्होंने कहा कि जिनको लगा कि रायपुर में गणेशोत्सव बढ़िया से मनाया जाता है और उसे देख आएं. वैसे विधायक और मंत्री वहां गए और जिनको लगा कि रांची या क्षेत्र में उनका रहना जरूरी है, वो यहीं रह गए. उन्होंने झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम के उस बयान का भी बचाव किया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने रायपुर जाने से इनकार कर दिया है.

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सावधानी जरूरी है- बंधु तिर्कीः वहीं प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कांग्रेस में टूट के खतरे को लेकर कहा कि इसमें कोई विश्वास-अविश्वास की बात नहीं है. जिस तरीके से मामले में अनिश्चितता बनी हुई है और कई राज्यों में चुनी हुई सरकार को अस्थिर किया गया है वैसे में यह जरूरी है कि सावधानी बरती जाए. झारखंड में राजनीतिक संकट के लिए उन्होंने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है.

कांग्रेस को जोड़-तोड़ का खतरा ज्यादा क्यों? राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि 30 विधायक वाली पार्टी झामुमो से ज्यादा आसान 17+01 विधायक वाली पार्टी कांग्रेस में सेंध लगाना है. हावड़ा में भारी मात्रा में नोट के साथ गिरफ्त में आने वाले तीनों विधायक कांग्रेसी ही थे तो असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा सरमा से मुलाकात की एक विधायक की तस्वीर सामने आई थी वह भी कांग्रेस के ही थे. ऐसे में ऊपर से एकजुट दिख रही कांग्रेस विधायक दल के अंदर ही अंदर की घमासान में दूसरे दल फायदा ना उठा लें, इसी डर को दूर करने के लिए ही शायद कांग्रेस अपने चारों मंत्रियों के साथ स्थिति सामान्य होने तक रायपुर में कैंप करना उचित समझा. लेकिन इस संभावना को बल इस बात से भी मिलता है कि रायपुर से गुरुवार की बैठक में भाग लेने के लिए रांची रवाना होने से पहले विधायक दल के नेता ने कहा कि वह यानी चारों मंत्री फिर रायपुर लौट आएंगें.

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