रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा बिना अपनी केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम के काम कर रही है. टीम गठन की घोषणा के 18 से 19 महीने बीत चुके हैं. लेकिन पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी तक केंद्रीय पदाधिकारियों की नई टीम गठित नहीं कर पाए हैं.
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दरअसल, 18 दिसंबर 2021 को रांची में झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12वां केंद्रीय महाधिवेशन हुआ था. उस बैठक में सर्वसम्मति से शिबू सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष और हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया गया था. इसके बाद यह घोषणा हुई थी कि जल्द ही हेमंत सोरेन केंद्रीय पदाधिकारियों की नई टीम गठित करेंगे.
केंद्रीय महाधिवेशन हुए 19 महीने हो जाने के बाद आज तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन से अब तक करीब पांच दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब झामुमो अपने केंद्रीय पदाधिकारियों की पूरी टीम गठित नहीं कर पाया है.
महाधिवेशन में हेमंत सोरेन को सौंपी गई थी जिम्मेवारी: झारखंड मुक्ति मोर्चा के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन में सर्वसम्मति से कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को यह जिम्मेवारी सौंपी गई थी कि वह टीम झामुमो की घोषणा करेंगे. लेकिन टीम की जगह आज की तारीख में झामुमो के केंद्रीय पदाधिकारियों में सिर्फ तीन लोग शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन के अलावा केंद्रीय महासचिव के रूप में विनोद पांडेय का नाम शामिल है. झामुमो पार्टी के संविधान के अनुसार केंद्रीय अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा कई केंद्रीय उपाध्यक्ष, केंद्रीय महासचिव, केंद्रीय सचिव और कोषाध्यक्ष तक का प्रावधान है. बावजूद इसके झामुमो की केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम नहीं बन सकी है.
दुविधा में हेमंत सोरेन!: झारखंड की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा अभी तक केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम गठित नहीं किये जाने की एक बड़ी वजह है, जो कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को दुविधा में डाले हुए है. पार्टी के विश्वसनीय सूत्र की मानें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के 12वें महाधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर झामुमो के संविधान में बदलाव किया गया. जिसके तहत उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव के पदों को कम किया गया. केंद्रीय महासचिव के पूर्व की 21 पदों को घटाकर 15 किया गया. वहीं केंद्रीय उपाध्यक्ष के पूर्व के 11 पदों को घटा कर 07 किया गया. इसी तरह केंद्रीय सचिव के पद भी घटा दिए गए.
ऐसे में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा में स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, मथुरा महतो, सुप्रियो भट्टाचार्या, दीपक बिरुआ, सीता सोरेन सहित एक लंबी कतार उन दिग्गज नेताओं की है, जो पूर्व में केंद्रीय पदाधिकारी थे. अब जब झामुमो में केंद्रीय पदाधिकारियों के पद ही कम कर दिए गए हैं तो ऐसे में जाहिर है कि कई दिग्गज को केंद्रीय कार्य समिति से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ेगा. संभवतः हेमंत सोरेन नई टीम गठित कर अपने ही दल के कई पुराने साथियों को नाराज नहीं करना चाहते हैं.
'झामुमो में सभी अच्छे प्लेयर सभी अच्छा खेल रहे हैं': झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय पदाधिकारियों के नाम की घोषणा नहीं होने और टीम झामुमो में सिर्फ तीन ही खिलाड़ी वाले सवाल पर अपने नेतृत्व का बचाव करते हुए सुप्रियो भट्टाचार्या कहते हैं कि झामुमो में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं और सभी बढ़िया खेल रहे हैं. पैन झारखंड नहीं बल्कि ओडिशा, बिहार, बंगाल में भी हमारी टीम मजबूती से मैदान में डटी है. हालांकिं उन्होंने भी माना कि पिछले महाधिवेशन में पदाधिकारियों के पद घटाए गए, जिसके बाद यह मंथन चल रहा है कि कैसे और कहां अपने अनुभवी नेताओं को एडजस्ट किया जाए.