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'विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर राजनीतिक एजेंडा तय करता है राजभवन', राज्य समन्वय समिति के सदस्यों का बड़ा आरोप

राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने राजभवन पर आरोप लगाया है कि विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर राजभवन राजनीतिक एजेंडा तय करता है. सत्ताधारी दलों के नेताओं को महामहिम से मुलाकात का समय नहीं मिलता है. इसके साथ ही राज्य समन्वय समिति ने विधानसभा से पारित तीन विधेयकों को अपने संदेश के साथ दोबारा विधानसभा लौटाने का राज्यपाल से आग्रह किया है.

Jharkhand State Coordination Committee
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 3, 2023, 5:25 PM IST

नेताओं के बयान

रांची: रविवार को राज्य समन्वय समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन के जरिए विधानसभा से पारित तीन विधेयकों को राजभनव से अपने संदेश के साथ दोबारा विधानसभा को भेजने की मांग की है. 10 जून 2023 को राज्य समन्वय समिति की बैठक में इसके लिए निर्णय लिया गया था. विधानसभा से पारित तीनों विधेयकों को राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने राज्य हित में बेहद जरूरी विधेयक बताया.

यह भी पढ़ें: कब तक भागेंगे हेमंत सोरेन, जाना ही होगा जेल: बाबूलाल

सदस्यों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 का पालन किये बिना राजभवन ने तीनों विधेयकों को बिना राज्यपाल के संदेश के बिना वापस कर दिया, जो गलत है. राजभवन ने संवैधानिक प्रक्रिया को नजरअंदाज किया है.

इस दौरान राजभवन से समय नहीं मिलने और किसी भी अधिकारी के राजभवन में उपलब्ध नहीं होने पर राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने तीखी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि राजभवन एक दल विशेष के इशारे पर काम कर रहा है. राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने किसी अधिकारी की अनुपस्थिति में राजभवन के गेट पर मौजूद कांस्टेबल से ही ज्ञापन रिसीव करवाया.

राजभवन में भाजपा के नेता राजनीतिक एजेंडा तय करते हैं: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब सत्ताधारी दलों के लोगों ने महामहिम से मुलाकात का समय मांगा है और समय नहीं दिया गया है. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है.

उन्होने कहा कि एक ओर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के लिए राजभवन का गेट हमेशा खुला रहता है. यहां आकर भाजपा के नेता राजनीतिक एजेंडा तय करते हैं और दूसरी ओर हम जब यहां के आदिवासी मूलवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के हितों का मुद्दा लेकर आते हैं तो मुलाकात का समय नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जब हम लोगों ने समय मांगा था तब राजभवन से यह संदेश दिया जा सकता था कि जब राज्यपाल लौटेंगे तब मुलाकात होगी. लेकिन उनके आग्रह का कोई जवाब नहीं आया.

अनुच्छेद 200 का पालन नहीं किया गया-विनोद पांडेय: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और राज्यसभा में समिति के सदस्य विनोद पांडे ने कहा कि विधानसभा से पारित जिन तीन विधेयकों को राज्यपाल ने लौटाया है, उसमें संविधान के अनुच्छेद 200 का पालन नहीं किया गया है. इसलिए उनसे आग्रह है कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, ओबीसी को 27% आरक्षण विधेयक और मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने वाले विधेयक को अपने संदेश के साथ जल्द सरकार और विधानसभा को लौटाएं ताकि सरकार उस पर आगे जरूरी संशोधन कर दोबारा उसे विधानसभा से पारित करा सके.

भाजपा के इशारे पर काम कर रहे है राजभवन-बंधु: राज्य समन्वय समिति की ओर से राजभवन को ज्ञापन सौंपने आए प्रतिनिधि मंडल में शामिल पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि जिस तरह का व्यवहार राजभवन की ओर से किया जा रहा है, उससे साफ है कि राजभवन भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है. राज्य समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल में विनोद पांडेय, राजेश ठाकुर, बंधु तिर्की, फागु बेसरा और पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद शामिल थे.

नेताओं के बयान

रांची: रविवार को राज्य समन्वय समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन को ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन के जरिए विधानसभा से पारित तीन विधेयकों को राजभनव से अपने संदेश के साथ दोबारा विधानसभा को भेजने की मांग की है. 10 जून 2023 को राज्य समन्वय समिति की बैठक में इसके लिए निर्णय लिया गया था. विधानसभा से पारित तीनों विधेयकों को राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने राज्य हित में बेहद जरूरी विधेयक बताया.

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सदस्यों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 का पालन किये बिना राजभवन ने तीनों विधेयकों को बिना राज्यपाल के संदेश के बिना वापस कर दिया, जो गलत है. राजभवन ने संवैधानिक प्रक्रिया को नजरअंदाज किया है.

इस दौरान राजभवन से समय नहीं मिलने और किसी भी अधिकारी के राजभवन में उपलब्ध नहीं होने पर राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने तीखी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि राजभवन एक दल विशेष के इशारे पर काम कर रहा है. राज्य समन्वय समिति के सदस्यों ने किसी अधिकारी की अनुपस्थिति में राजभवन के गेट पर मौजूद कांस्टेबल से ही ज्ञापन रिसीव करवाया.

राजभवन में भाजपा के नेता राजनीतिक एजेंडा तय करते हैं: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब सत्ताधारी दलों के लोगों ने महामहिम से मुलाकात का समय मांगा है और समय नहीं दिया गया है. इससे पहले भी ऐसा हो चुका है.

उन्होने कहा कि एक ओर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के लिए राजभवन का गेट हमेशा खुला रहता है. यहां आकर भाजपा के नेता राजनीतिक एजेंडा तय करते हैं और दूसरी ओर हम जब यहां के आदिवासी मूलवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के हितों का मुद्दा लेकर आते हैं तो मुलाकात का समय नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जब हम लोगों ने समय मांगा था तब राजभवन से यह संदेश दिया जा सकता था कि जब राज्यपाल लौटेंगे तब मुलाकात होगी. लेकिन उनके आग्रह का कोई जवाब नहीं आया.

अनुच्छेद 200 का पालन नहीं किया गया-विनोद पांडेय: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और राज्यसभा में समिति के सदस्य विनोद पांडे ने कहा कि विधानसभा से पारित जिन तीन विधेयकों को राज्यपाल ने लौटाया है, उसमें संविधान के अनुच्छेद 200 का पालन नहीं किया गया है. इसलिए उनसे आग्रह है कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, ओबीसी को 27% आरक्षण विधेयक और मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने वाले विधेयक को अपने संदेश के साथ जल्द सरकार और विधानसभा को लौटाएं ताकि सरकार उस पर आगे जरूरी संशोधन कर दोबारा उसे विधानसभा से पारित करा सके.

भाजपा के इशारे पर काम कर रहे है राजभवन-बंधु: राज्य समन्वय समिति की ओर से राजभवन को ज्ञापन सौंपने आए प्रतिनिधि मंडल में शामिल पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि जिस तरह का व्यवहार राजभवन की ओर से किया जा रहा है, उससे साफ है कि राजभवन भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है. राज्य समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल में विनोद पांडेय, राजेश ठाकुर, बंधु तिर्की, फागु बेसरा और पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद शामिल थे.

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