रांची: झारखंड सरकार के द्वारा कोर्ट फीस (Court Fee) में की गई अप्रत्याशित वृद्धि से इन दिनों राज्य के वकील नाराज होकर अनिश्चितकालीन न्यायिक कार्य से अलग रहने की बात कह रहे हैं. दरअसल, झारखंड सरकार अधिनियम 2021 में हेमंत सरकार ने संशोधन कर स्टांप फीस 6 से लेकर 10 गुना तक बढ़ा दी है. राज्य सरकार के इस फैसले के बाद विवाद संबंधित सूट फाइल करने में जहां 50 हजार रुपये लगते थे, अब अधिकतम 3 लाख रुपये तक की कोर्ट फीस लगेगी. जनहित याचिका दाखिल करने में पहले ढाई सौ रुपये कोर्ट फीस लगती थी, अब इसके लिए एक हजार रुपये की फीस तय की गई है. इसी तरह विभिन्न मदों में अलग अलग वृद्धि की गई है जिससे आम लोगों की परेशानी बढेगी.
आखिर कैसे लड़ेगा गरीब मुकदमा: राज्य सरकार के इस फैसले पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल (Jharkhand State Bar Council) ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर फैसला वापस नहीं लिया जाता तो राज्य के सभी वकील न्यायिक कार्य से अनिश्चितकाल के लिए अलग हो जायेंगे. रांची जिला बार एसोसिएशन (Ranchi District Bar Association) के सचिव संजय विद्रोही ने कहा है कि ये अप्रत्याशित वृद्धि अतार्किक और अव्यावहारिक है. इससे राज्य की गरीब जनता न्याय से दूर हो जाएगी.
कोर्ट फीस बढ़ाने से पहले सरकार को एक ड्राफ्ट बनाना चाहिए था, जिस पर सभी लोगों से आपत्ति मांगनी चाहिए, लेकिन सरकार ने इन प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार कोर्ट फीस बढ़ोतरी वापस नहीं लेती है, तो बार काउंसिल इस पर जल्द ही आंदोलन का निर्णय लेगी. उन्होंने कहा कि इस फैसले से मुकदमों की संख्या में कमी होगी और स्वभाविक रुप से वकीलों की आमदनी में कमी आ जायेगी.