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राज्यसभा चुनाव में विधायकों के खरीद फरोख्त मामले में कोर्ट सख्त, कार्रवाई नहीं होने पर सरकार से मांगा जवाब

निर्वाचन आयोग ने साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में कथित खरीद-फरोख्त पर झारखंड सरकार से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के एक सहयोगी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने कहा गया था.

विधायकों के खरीद फरोख्त मामले में कोर्ट सख्त
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Published : Mar 9, 2019, 1:15 PM IST

रांचीः राज्यसभा चुनाव 2016 में हुए मतदान से पहले विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले में निर्वाचन आयोग ने दो लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए थे. आदेश को ना मानने पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

विधायकों के खरीद फरोख्त मामले में कोर्ट सख्त

मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश एचसी मिश्रा की अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मामले में निर्वाचन आयोग के आदेश में अब तक की गई कार्रवाई के रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. जांच को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई में शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह से कार्रवाई होनी चाहिए थी वो नहीं की जा रही है.

वहीं, दूसरी ओर कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता से पूछा कि निर्वाचन आयोग ने सीधे अधिकारियों पर कार्रवाई ना करते हुए निर्वाचन आयोग को कार्रवाई के आदेश क्यों दिए. जिस पर निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ए के सिंह ने कोर्ट को बताया कि मामले में निर्वाचन आयोग को अधिकार है कि वह सीधे भी कार्रवाई कर सकती है और राज्य सरकार को भी कार्रवाई करने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को तय की है.

ये भी पढ़ें-रांची में नहीं बोलता धोनी का बल्ला, फैंस को फिर किया निराश, 4 मैच में बनाए हैं महज 47 रन

क्या है पूरा मामला

बता दें कि निर्वाचन आयोग ने साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में कथित खरीद-फरोख्त पर झारखंड सरकार से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के एक सहयोगी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने कहा गया था. निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव वीरेंद्र कुमार ने 13 जून 2017 को एक पत्र झारखंड के मुख्य सचिव को लिखा. इसमें में उन्होंने लिखा है कि शुरुआती जांच से प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला बनता दिख रहा है जो लोकसेवक हैं, आयोग ने पत्र में कहा है कि ये मामला रिश्वत और भ्रष्टाचार से जुड़ा है, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए.

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बाबूलाल मरांडी सहित विपक्षी नेताओं ने सामने रखी थी सीडी

झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा और कांग्रेस की निर्मला देवी ने 2016 में राज्य के दो राज्य सभा सीटों के लिए मतदान से पहले कथित खरीद फरोख्त की शिकायत की थी. विपक्षी नेताओं ने एक सीडी भी सामने रखी थी, जिसमें कथित तौर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक( विशेष शाखा) अनुराग गुप्ता व मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार की आवाज थी. जो अब उनके प्रेस सलाहकार बन गए हैं.

दोनों ने कथित तौर पर विपक्षी पार्टियों के विधायकों से बातचीत की थी और उन्हें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश की थी. बीजेपी अपने पक्ष में पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद दोनों राजसभा सीटें जीती थीं.

रांचीः राज्यसभा चुनाव 2016 में हुए मतदान से पहले विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले में निर्वाचन आयोग ने दो लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए थे. आदेश को ना मानने पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

विधायकों के खरीद फरोख्त मामले में कोर्ट सख्त

मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश एचसी मिश्रा की अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मामले में निर्वाचन आयोग के आदेश में अब तक की गई कार्रवाई के रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. जांच को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई में शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह से कार्रवाई होनी चाहिए थी वो नहीं की जा रही है.

वहीं, दूसरी ओर कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता से पूछा कि निर्वाचन आयोग ने सीधे अधिकारियों पर कार्रवाई ना करते हुए निर्वाचन आयोग को कार्रवाई के आदेश क्यों दिए. जिस पर निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ए के सिंह ने कोर्ट को बताया कि मामले में निर्वाचन आयोग को अधिकार है कि वह सीधे भी कार्रवाई कर सकती है और राज्य सरकार को भी कार्रवाई करने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को तय की है.

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क्या है पूरा मामला

बता दें कि निर्वाचन आयोग ने साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में कथित खरीद-फरोख्त पर झारखंड सरकार से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के एक सहयोगी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने कहा गया था. निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव वीरेंद्र कुमार ने 13 जून 2017 को एक पत्र झारखंड के मुख्य सचिव को लिखा. इसमें में उन्होंने लिखा है कि शुरुआती जांच से प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला बनता दिख रहा है जो लोकसेवक हैं, आयोग ने पत्र में कहा है कि ये मामला रिश्वत और भ्रष्टाचार से जुड़ा है, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए.

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बाबूलाल मरांडी सहित विपक्षी नेताओं ने सामने रखी थी सीडी

झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा और कांग्रेस की निर्मला देवी ने 2016 में राज्य के दो राज्य सभा सीटों के लिए मतदान से पहले कथित खरीद फरोख्त की शिकायत की थी. विपक्षी नेताओं ने एक सीडी भी सामने रखी थी, जिसमें कथित तौर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक( विशेष शाखा) अनुराग गुप्ता व मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार की आवाज थी. जो अब उनके प्रेस सलाहकार बन गए हैं.

दोनों ने कथित तौर पर विपक्षी पार्टियों के विधायकों से बातचीत की थी और उन्हें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश की थी. बीजेपी अपने पक्ष में पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद दोनों राजसभा सीटें जीती थीं.

Intro:रांची
बाइट --अजीत कुमार महाधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट
बाइट--- राजीव कुमार अधिवक्ता याचिकाकर्ता

राज सभा चुनाव 2016 में हुई गड़बड़ी की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है उन्होंने राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि निर्वाचन आयोग के आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश एचसी मिश्रा की अदालत में मामले पर सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को सुनने के उपरांत कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में अब तक की की गई कार्रवाई और उनकी अधतन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है मामले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह से कार्रवाई होनी चाहिए थी उस तरह से अभी तक कार्रवाई नहीं की जा रही है राज्य सरकार की ओर से कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की अधिवक्ता से पूछा कि निर्वाचन आयोग ने सीधे अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जिस पर निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता ए के सिंह ने कोर्ट को बताया कि मामले में निर्वाचन आयोग को यह अधिकार है कि वह सीधे भी कार्रवाई कर सकती है और राज्य सरकार को भी कार्रवाई करने का आदेश दे सकती है जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने का आदेश दिया है मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को तय की है


Body:आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग नए साल 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान कथित खरीद-फरोख्त को लेकर झारखंड सरकार से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के एक सहयोगी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने को कहा था निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव वीरेंद्र कुमार ने 13 जून 2017 को यह पत्र झारखंड के मुख्य सचिव को लिखा इसमें लिखा गया है "शुरुआती जांच से प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला बनता दिख रहा है जो लोकसेवक है" आयोग ने पत्र में कहा है कि जो कि मामला रिश्वत और भ्रष्टाचार से जुड़ा है इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत भी कार्रवाई की जानी चाहिए


Conclusion:झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा और कांग्रेस की निर्मला देवी ने 2016 में राज्य से दो राज्य सभा सीटों के लिए मतदान से पहले खरीद फ्रॉक की शिकायत की थी

इन विपक्षी नेताओं ने एक सीडी सामने रखी थी जिसमें कथित तौर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक( विशेष शाखा) अनुराग गुप्ता व मुख्यमंत्री के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार की आवाज थी जो अब उनके प्रेस सलाहकार बन गए हैं दोनों ने कथित तौर पर विपक्षी पार्टियों के विधायकों से बातचीत की थी और उन्हें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश की थी भाजपा ने अपने पक्ष में पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद दोनों राजसभा सीटें जीती थी
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