रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की सलाह को विपत्ति लाने वाला करार दिया है. झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि बाबूलाल मरांडी विद्वान व्यक्ति हैं. उनको किसने सलाह दिया था कि दलबदल को लेकर न्यायाधिकरण में मामला चलने के बावजूद उच्च न्यायालय जाएं और मामला खारिज करवाएं. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि बाबूलाल मरांडी की सलाह से आपत्ति और विपत्ति आती है, इसलिए अपनी सलाह को वह अपने पास रखें.
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झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर महागठबंधन की सरकार अपना काम और फर्ज दोनों जानती है. बाबूलाल इसकी चिंता नहीं करें. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के जो नेता-विधायक, आज 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की वैधानिकता पर सवाल उठा रहे हैं, उनसे पूछिए कि सदन में जब विधेयक पारित हो रहा था, तब वह ताली क्यों बजा रहे थे. स्थानीय नीति विधेयक को राजभवन से लौटाने पर भाजपा नेताओं की बयानबाजी पर झामुमो नेता ने कहा कि हिम्मत है तो खुलकर 1932 खतियान का विरोध करें.
राज्यपाल, भाजपा के एजेंडे पर काम कर रहे हैं, ऐसा कांग्रेस के नेताओं ने कहा है, क्या झामुमो भी ऐसा मानता है? इस सवाल के जवाब में सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि वह इतना कड़ा वक्तव्य नहीं देंगे, लेकिन इससे इनकार भी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड की राजनीति यहां के लोग करेंगे कोई बाहरी नहीं करेगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ने कहा कि राजनीतिक दलों को आगे करने के लिए बहुत सारे कार्यक्रम होते हैं. झामुमो इस विधेयक को इसी रूप में लागू भी करवाएगी और संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करवाकर उसे संवैधानिक कवच भी प्रदान कराएगी.
बाबूलाल मरांडी ने क्या कहा था: दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार को दोषमुक्त स्थानीय नीति बनाने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन महंगे वकील हायर कर दोषमुक्त स्थानीय नीति का ड्राफ्ट तैयार कराएं और उसे राज्य में लागू कराएं.
राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाने पर शुरू हुई राजनीति: 29 जनवरी 2023 को राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है. विधेयक को वापस लौटाने की कई वजह का जिक्र भी किया गया. इसके बाद से इस मुद्दे पर राज्य के राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी जारी है. भाजपा, हेमंत सोरेन सरकार पर जानबूझकर त्रुटिपूर्ण विधेयक पारित कर राज्यवासियों के आंख में धूल झोंकने का आरोप लगा रही है. वहीं कांग्रेस-झामुमो इस बहाने भाजपा को आदिवासी-मूलवासी विरोधी बता रही है.