रांची: 1932 वाले खतियान के आधार पर झारखंड सरकार नियमावली तैयार करे, यह झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेताओं का मन है. अब इस बगावत को हेमंत सोरेन कैसे रोक पाएंगे यह तो सत्ता के गलियारे में बंद कमरे में होने वाली बैठक के समझौते का स्वरूप है. लेकिन सामने जो दिख रहा है इसमें विरोध इतना मुखर है कि सत्तापक्ष को तो जाने दीजिए विपक्ष इस बात को लेकर के चिंतित दिख रहा है कि हेमंत के लिए अपने ही उनकी सियासी राह को कितना कठिन करते जा रहे हैं.
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25 मार्च को झारखंड विधानसभा के बजट सत्र का समापन हुआ. 26 मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नाम लोबिन हेंब्रम ने हेमंत सोरेन पर अपनी नाराजगी जता दी. बात यहीं तक नहीं है लोबिन हेंब्रम ने ईटीवी से खास बात करते हुए कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर कानून बनाने की जिस बात को सरकार के सामने रखा गया है और जनता से जो वादा किया गया है उससे हेमंत सोरेन बदल नहीं सकते और उन्हें यह करना ही होगा. क्योंकि जब यह बात गुरुजी को बताई गई तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें हेमंत के आगे झुकना नहीं है, तुम मजबूती से खड़े रहो.
मामला साफ है लोबिन हेंब्रम अपने बयानों से जो कहना चाह रहे हैं उसमें हेमंत सोरेन के वह निर्णय उनके पिता शिबू सोरेन के लिए भी नाराजगी वाला ही है, जिसमें 1932 के खतियान के आधार पर सरकार को नियम बनाना है. मतलब साफ तौर पर कहा जा सकता है कि सरकार चलाने के लिए हेमंत सोरेन ने चाहे जिस तरीके के नियम कानून बनाकर के चलने की बात कही हो लेकिन अपनों को साथ लेकर चलने में कई ऐसे हैं जो नाराज भी हैं और बगावती सुर भी उठाना शुरू कर दिए हैं, जिसमें अब खुद हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन का नाम भी राजनीति में हेमंत के विरोध में ही खड़ा दिख रहा है.
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हेमंत सोरेन की नाराजगी के साथ खड़े होने वालों की लिस्ट छोटी नहीं है. अगर लोबिन हेंब्रम की मानें तो गुरु जी हेमंत सोरेन की नीति और नियम से नाराज हैं. अब जरा इससे अलग चलते हैं तो परिवार में हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी हेमंत से नाराज हैं, सार्वजनिक तौर पर सीता सोरेन इस बात का आरोप लगा चुकी है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते. यहां तक कि सीता सोरेन की बेटियों ने दुर्गा सोरेन सेना का गठन कर लिया है और अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम भी कर रही हैं. सीता सोरेन कई बार इस बात को कह चुकी है कि राज्य में अवैध खनन नहीं रुक रहा है और अगर इसके लिए झारखंड के अधिकारियों को फोन करिए तो उन्हें तवज्जो नहीं देते, जबकि वो सीएम की भाभी हैं.
परिवार की बात से अलग जाकर देखें तो सरकार में जो लोग हेमंत सोरेन के साथ हैं उसमें विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन इरफान अंसारी और नमन विक्सल कोंगाड़ी के विरोधी तेवर भी सदन के बाहर दिखा. इरफान अंसारी पूरे बजट सत्र के दौरान कई बार अपनी सरकार पर हमला बोल चुके हैं. साहिबगंज में हुई नाव दुर्घटना में कई हाइवा के नदी में पलट जाने के मामले में भी काफी तूल पकड़ा था, क्योंकि यह पूरे तौर पर झारखंड में अवैध कारोबार और काली कमाई का एक बहुत बड़ा उदाहरण था जिसे लेकर सत्ता पक्ष के लोग ही विधानसभा में सवाल उठा बैठे साथ ही कांग्रेस के लोग भी इस बात पर नाराजगी जताई कि इस तरीके से अवैध कारोबार चल कैसे रहा है.
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हेमंत के साथ सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी के कई नेता हेमंत के खिलाफ खुलकर बोलते हैं. बजट सत्र से पहले या यूं कहें कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह के जाने के बाद जब झारखंड के सभी विधायक दिल्ली दरबार में राहुल गांधी से मिलने गए थे, तो लोगों ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक पर झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी पैठ बना रही है और कांग्रेस का मूल वोट बैंक टूट रहा है. बन्ना गुप्ता काफी विवादित बयानों में भी आ चुके थे जिसका मूल कारण हेमंत सोरेन के ऊपर दिया जाने वाला बयान था. हालांकि बाद के दिनों में आलाकमान ने सारी बातों को संभाल लिया और अब बन्ना गुप्ता चुप हैं, लेकिन उसके बाद भी बात इरफान अंसारी की करें या फिर सीता सोरेन की ये कुछ ऐसे अपने नाम हैं जिनके बागी हुए शोर हेमंत के सरकारी सफरनामा पर कई सवाल खड़ा कर रहे हैं.
हेमंत सोरेन वैसे लोगों से आराम से निपट लेंगे जो लोग नीतिगत व्यवस्था, नीतियां झारखंड का विकास, कानून व्यवस्था, अवैध खनन साथ ही गठबंधन का धर्म जैसे राजनीतिक मुद्दे निश्चित तौर पर झारखंड में होने वाले किसी भी राजनीतिक बैठक में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा का हो या फिर अपने नेताओं का हेमंत समझा लेंगे, निपटा भी लेंगे, लेकिन लोबिन हेंब्रम ने 26 मार्च 2022 को जिस नाराजगी को आम लोगों के सामने और झारखंड की जनता के सामने ला कर रखा है वह हेमंत के अपनों के बागी हो रहे लोगों के लिस्ट का सबसे डराने वाला नाम है, जिसमें खुद उनके पिता उनकी नीतियों से नाराज हो गए हैं. अब हेमंत के सियासी सफर में लगातार अपनों के हो रहे बगावती सुर हेमंत की नीति और निर्णय को कैसे प्रभावित करेंगे यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन हेमंत पर शिबू सोरेन की नाराजगी निश्चित तौर पर राजनीति में नेतृत्व पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है. क्या वास्तव में हेमंत अपनों को नाराज करके सत्ता की गद्दी पर सिर्फ बैठे हुए हैं.